शिमला: हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग के सचिव व मुख्य अभियंता के जेल जाने की नौबत आ गई है. अदालती आदेश की अनुपालना न होने के कारण ये स्थितियां पैदा हुई हैं. हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक मामले में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के रवैये पर सख्त नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की अनुपालना न करने पर सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी भी की है. हाईकोर्ट ने यहां तक कहा कि आदेशों की अनुपालना न करके सरकार अदालत का कीमती समय बर्बाद कर रही है. इसलिए हाईकोर्ट को सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अफसरों और विभाग का प्रतिनिधित्व करने वाले विभागाध्यक्षों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को मजबूर होना पड़ रहा है.
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के समक्ष अवमानना से जुड़े 1200 के करीब मामले लंबित हैं. खंडपीठ ने कहा कि अमूमन ये देखा गया है कि राज्य सरकार बिना अनुपालना याचिका अथवा अवमानना याचिका को लेकर अदालती फैसलों पर अमल नहीं कर रही है. इससे अदालत के कीमती समय की बर्बादी होती है. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार में जिसका जितना बड़ा ओहदा होता है, उसकी कानून के अनुसार काम करने की उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी भी होती है. अदालती आदेशों की अवहेलना करना एक बहुत गंभीर मसला है. खंडपीठ ने इन परिस्थितियों को देखते हुए सरकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश जारी किए.
अदालत ने सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले लोक निर्माण विभाग के सचिव और विभाग का प्रतिनिधित्व करने वाले मुख्य अभियंता को अगली सुनवाई तक कोर्ट के आदेश की अक्षरश: अनुपालना करने के आदेश दिए हैं. साथ ही सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अन्यथा उन्हें 26 सितंबर को कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा. साथ ही खंडपीठ ने उपरोक्त अफसरों को यह बताने के आदेश दिए गए हैं कि क्यों न उन्हें कोर्ट के आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित न करने के लिए जेल भेज दिया जाए? साथ ही अदालत ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को दोषी अधिकारियों के लिए जेल में भरण पोषण के लिए जरूरी भत्ता तैयार रखने के आदेश भी दिए.
क्या है मामला?
हाईकोर्ट ने रवि कुमार की ओर से दाखिल याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश दिए है. मामले में कोर्ट ने प्रार्थी रवि कुमार की लोक निर्माण विभाग में अनुबंध आधार पर दी सेवाओं को सीनियोरिटी सहित अन्य सभी सेवा लाभों के लिए गिने जाने के आदेश जारी किए थे. यह आदेश कोर्ट ने ताज मोहम्मद वर्सेज राज्य सरकार में दिए फैसले के आधार पर जारी किए थे. कोर्ट ने बार बार कहा कि ताज मोहम्मद मामले में हाईकोर्ट का फैसला निर्णायक हो चुका है. इसके बावजूद सरकार ने कोर्ट का समय बर्बाद करते हुए बार-बार अतिरिक्त समय की मांग की. अदालत ने इस मांग को अनुचित ठहराते हुए सख्त टिप्पणियां की हैं.
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