शिमला: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित अरबों रुपए के मुआवजे वाले मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जल्दी से आदेश की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए कहा है. मंडी जिला के नेरचौक के मीर बख्श नामक शख्स का दावा है कि नेरचौक मेडिकल कॉलेज अस्पताल व कुछ अन्य सरकारी कार्यालय उसके पुरखों की जमीन पर बने हैं. इसके लिए मीर बख्श के परिवार ने बरसों तक अदालती लड़ाई लड़ी है. सुप्रीम कोर्ट से भी मीर बख्श के हक में फैसला आया है. अब मीर बख्श ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में अनुपालना याचिका दाखिल की हुई है. इसी याचिका की सुनवाई पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 12 हफ्ते के भीतर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.
अदालत ने राज्य सरकार को मंडी के नेरचौक में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अलावा कृषि एवं बागवानी फॉर्म के लिए इस्तेमाल की गई भूमि को लौटाने से जुड़े आदेशों की शीघ्रता से अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए कहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में वर्ष 2009 में प्रार्थी के हक में फैसला सुनाया गया था. वर्ष 2023 में पारित निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था. इसके बाद प्रार्थी मीर बख्श ने अपनी भूमि का मुआवजा आंकते हुए इसकी कीमत 10 अरब 61 करोड़ रुपए बताई है. अब प्रार्थी ने 500 करोड़ रुपए मूल्य की भूमि और 500 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि की मांग करते हुए हाईकोर्ट में अनुपालना याचिका दाखिल की है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार को शीघ्रता से इस मांग पर विचार कर 12 हफ्ते के भीतर जरूरी कार्रवाई करने के आदेश जारी किए. मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा कि प्रार्थी को मुआवजे के तौर पर भूमि देने के लिए भूमि का चयन करने की कार्रवाई जारी है.
उल्लेखनीय है कि मंडी जिला के बल्ह निवासी मीर बख्श पुत्र सुल्तान मोहम्मद ने हाईकोर्ट में 10 अरब 61 करोड रुपए दिए जाने की अनुपालना याचिका दायर की है. मामले के अनुसार भारत सरकार ने यह मान लिया था कि वर्ष 1947 में सुल्तान मोहम्मद परिवार सहित पाकिस्तान चला गया है और वर्ष 1957 में उसकी 110 बीघा जमीन को इवेक्यूइ संपत्ति घोषित किया. फिर कुछ भूमि की नीलामी करने का निर्णय लिया. कुछ भूमि सरकार ने अपने पास रख ली और इसी जमीन में से ही 8 बीघा सुल्तान मुहम्मद ने नीलामी में खरीद ली. वर्ष 1957 से ही सुल्तान मुहम्मद ने अपनी 110 बीघा जमीन के लिए दिल्ली में इवेक्यूइ प्रॉपर्टी अपीलेट अथॉरिटी जिसे कस्टोडियन कहा जाता था, अपील दाखिल की. इसी क्रम में वर्ष 2002 में सुल्तान मोहम्मद के पुत्र मीर बख्श ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई. सन 2009 में हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने मीर बख्श के हक में फैसला सुनाते हुए प्रदेश सरकार को उन्हें जमीन लौटाने के आदेश जारी किए थे.