शिमला: गग्गल एयरपोर्ट विस्तारीकरण मामले में हिमाचल हाईकोर्ट ने ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश जारी किए है. न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने कहा कि कोर्ट के लिए 7 दिसंबर 2023 को महाधिवक्ता की ओर से अपने दिए गए बयान को वापस लेने के लिए की गई प्रार्थना पर फिलहाल विचार करने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है. कोर्ट को दिए आश्वासन में महाधिवक्ता ने स्पष्ट रूप से कहा था कि प्रतिवादी किसी को भी भूमि से बेदखल नहीं करेंगे, जो भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन उचित मुआवजा और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 की धारा 11(1) के तहत जारी अधिसूचना का हिस्सा है.
मामले की सुनवाई के बाद अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट से विभिन्न औपचारिकताएं पूरी करने के अतिरिक्त समय की प्रार्थना की थी. हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण से जुड़ी वैधानिक अनुपालना के संबंध में ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया. सरकार की ओर से कोर्ट के समक्ष पेश 13 नवंबर 2024 विशेष सचिव (पर्यटन और सीए) ने पूरक हलफनामा दायर किया. इसके अवलोकन से पता चलता है कि प्रतिवादी-राज्य ने पहले ही भूमि अधिग्रहण के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है और कुछ मामलों में पैसे भी दे दिए है.
कोर्ट ने पाया कि कुछ मामलों में भूमि अधिग्रहण कलेक्टर द्वारा अवार्ड पारित किया गया है, लेकिन आज तक भारत सरकार द्वारा वन भूमि के डायवर्सन के संबंध में आवश्यक अनुमति प्रदान नहीं की है. न्यायालय ने पाया कि गग्गल में कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार का प्रस्ताव परियोजना स्क्रीनिंग समिति के पास लंबित है. टेक्नो इकोनॉमिक फिजिबिलिटी रिपोर्ट यानी टीईएफआर, जो पर्यावरण संबंधी सेवाओं के लिए एक पूर्व आवश्यक कार्य है, अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है और उपरोक्त रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही भारत सरकार वन मंजूरी के लिए अनुमति देने के लिए आगे बढ़ सकती है.
न्यायालय ने पाया कि बाधा सीमा सतह सर्वेक्षण, जो किसी भी हवाई अड्डे के निर्माण/विकास के लिए फिर से आवश्यक शर्त है. वह सक्षम प्राधिकारी के समक्ष विचाराधीन है. इस तथ्य पर ध्यान देने के बाद आवश्यक वैधानिक अनुपालना प्रतिवादी-राज्य सरकार द्वारा अभी तक नहीं की गई है.
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