शिमला: कण-कण में देव शक्तियां और घर-घर में जांबाज वीर...हिमाचल प्रदेश की पहचान को यदि रेखांकित करना हो तो सबसे पहले जहन में यही तस्वीर आती है. देश में इस समय भारतीय वायुसेना के शौर्य के किस्से घर-घर कहे जा रहे हैं. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर देवभूमि हिमाचल प्रदेश आस्था की गंगा में डुबकी लगा रही है. साथ ही, अपने शूरवीरों को भी याद कर रही है. भारतीय सेना के शौर्य वाली तस्वीर में सबसे अधिक चमक देवभूमि के वीरों ने भरी है.
शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के शूरवीरों को वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया. ये अवॉर्ड सेना, अर्ध सैनिक बलों और पुलिस जवानों को प्रदान किया गए. ये अवॉर्ड बहादुर जवानों को उनके अदम्य साहस के लिए प्रदान किए गए. हिमाचल के दो सपूतों कुलदीप मांटा और पवन धंगल को भी सर्वोच्च बलिदान के बाद इस सम्मान से सम्मानित किया गया.
देश के पहले परमवीर थे सोमनाथ शर्मा
चार परमवीर चक्र, दस महावीर चक्र, 51 वीरचक्र सहित हिमाचल के जांबाज अब तक वीरभूमि हिमाचल की झोली 1165 गैलेंट्री अवॉर्ड्स से भर चुके हैं. गर्व की बात है कि हिमाचल के वीर इस सिलसिले को निरंतर जारी रखने की हुंकार भरते हैं. यदि जनसंख्या को आधार माना जाए तो भारतीय सेना में सबसे अधिक शौर्य सम्मान हिमाचल के हिस्से ही आए हैं. मेजर सोमनाथ शर्मा ने जिस शौर्य गाथा की नींव रखी थी, उस पर मेजर धनसिंह थापा, कैप्टन विक्रम बत्रा और सूबेदार संजय कुमार सहित सैंकड़ों वीरों ने बहादुरी की शानदार इमारत खड़ी की है.
4 लाख से अधिक सैनिक परिवार
युद्ध भूमि व अन्य शौर्य मोर्चों पर हिमाचल के वीरों ने लगभग 1165 सम्मान हासिल किए हैं. इनमें भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान के तौर पर 4 परमवीर चक्र, 2 अशोक चक्र, दस महावीर चक्र, 19 कीर्ति चक्र, 51 वीरचक्र, 90 शौर्य चक्र और 989 अन्य सेना मैडल शामिल हैं. आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारतीय सेना को मिले शौर्य सम्मानों में से हर दसवां मैडल हिमाचली के वीर के सीने पर सजा है. करीब 72 लाख की आबादी वाले हिमाचल प्रदेश में 1.06 लाख से अधिक भूतपूर्व फौजी हैं. यानी एक लाख से अधिक फौजी देश की सेवा करने के बाद सेवानिवृत जीवन जी रहे हैं. यदि सेवारत सैनिकों व अफसरों की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश के तीन लाख से अधिक जांबाज इस समय सेना में हैं. इस तरह करीब साढ़े चार लाख से अधिक हिमाचली परिवार भारतीय सेना का गौरवमयी हिस्सा हैं.