शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गोविंद सागर झील में अवैध डंपिंग को गंभीरता से लेते हुए दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं. कोर्ट ने मुख्य सचिव को कार्रवाई की निगरानी करने के आदेश देते हुए स्टेट्स रिपोर्ट भी तलब की है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून का उल्लंघन कर डंपिंग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए इसे अंजाम तक ले जाने की जिम्मेवारी मुख्य सचिव की होगी.
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने फोर-लेन विस्थापित और प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल की तरफ से दायर जनहित याचिका पर ये आदेश पारित किए. कोर्ट ने पर्यावरण की दृष्टि से इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा सरकार के कर्ताधर्ताओं द्वारा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का सीधा मतलब है कि वे अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों के निर्वहन करने में विफल रहे हैं.
कोर्ट ने कहा कि यह सरकार का संवैधानिक दायित्व है कि वह पर्यावरण को बचाने और सुधारने के पुरजोर प्रयास करे साथ ही देश के वन्य एवं जल प्राणियों की रक्षा करे. प्रार्थी के अनुसार नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने ठेकेदार को किरतपुर-मनाली सड़क को चौड़ा करने का कार्य सौंपा है. स्थानीय लोगों के कठोर विरोध के बावजूद भी भाखड़ा बांध जलाशय में अवैध रूप से सड़क का मलबा फैंका जा रहा है. इसके बारे में स्थानीय प्रशासन और एनएचएआई को कई शिकायतें की गई हैं.