प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना किसी कानून के लोगों को भू माफिया घोषित करने पर सवाल उठाया है. कोर्ट ने राज्य के सचिव को निर्देश दिया कि वे तीन सप्ताह में हलफनामा दायर करके जवाब दें. कोर्ट ने अगले आदेश तक याचिकाकर्ता को भू-माफिया घोषित करने पर रोक लगा दी. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति दोनादी रमेश की खंडपीठ ने बनवारी लाल की याचिका पर दिया.
आगरा निवासी याचिकाकर्ता ने उसे भू-माफिया घोषित किए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उसने अपना नाम भूमि हड़पने वालों की सूची से हटाने की प्रार्थना की थी. याची का कहना था कि उनके विरुद्ध स्कूल की भूमि पर अतिक्रमण करने का एक मात्र आरोप था. उसमें भी कोई तथ्य नहीं पाया गया. जिला मजिस्ट्रेट, आगरा के कार्यालय ने भी उसका नाम भूमि हड़पने वालों की सूची से हटाने के लिए अधिकारियों को लिखा था, इसके बाद भी राज्य के अधिकारियों ने भू-माफिया की सूची से नाम नहीं हटाया.
याची अधिवक्ता ने दलील दी कि किसी व्यक्ति को भू-माफिया घोषित करने से उसकी प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जो सम्मान के साथ जीने के उसके अधिकार का अभिन्न अंग है. यह दलील दी गई कि राज्य प्राधिकारियों की किसी व्यक्ति को भूमि हड़पने वाला घोषित करना तथा इस प्रकार आम जनता के बीच उसकी प्रतिष्ठा और गरिमा का उपहास उड़ाना पूरी तरह से असंवैधानिक है, जिस सरकारी आदेश का सहारा लिया गया है, उसमें केवल भूमि हड़पने वालों की ओर से किए गए अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए एक कार्यबल बनाने की बात की गई है. ऐसा आदेश किसी व्यक्ति को भूमि हड़पने वाला घोषित करने का आधार नहीं बन सकता है. खंडपीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति को 'भू-माफिया' घोषित करने की कानूनी अनुमति पर न्यायालय द्वारा विचार किए जाने की आवश्यकता है.
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