जयपुर: राजस्थान में खेल और खिलाड़ियों को लेकर कई बार सरकारें बड़े-बड़े दावे करती है. लेकिन लगता है कि राज्य के सर्वोच्च खेल पुरस्कार महाराणा प्रताप पुरस्कार और प्रशिक्षकों को दिए जाने वाले गुरू वशिष्ठ अवार्ड को सरकारों ने भुला दिया है. पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान भी खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को अवार्ड नहीं दिए जा सके. इस बार बीजेपी सत्ता में है, लेकिन अभी तक इन पुरस्कारों को लेकर किसी तरह का ऐलान नहीं किया गया है. इस तरह पुरस्कारों का इंतजार लगभग 7 साल से अधिक का हो गया है.
खिलाड़ियों ने संभाली जिम्मेदारी:पिछली बार कांग्रेस सरकार में खेल विभाग की जिम्मेदारी अशोक चांदना के पास थी. वे खुद क्रिकेट और पोलो के बेहतरीन खिलाड़ी हैं, लेकिन इसके बाद भी पुरस्कार को लेकर कोई तारीख तय नहीं कर पाए. हालांकि कुछ समय बाद ही अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित कृष्णा पूनिया को खेल परिषद का अध्यक्ष बनाया गया, जो खुद अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुकी हैं. ओलंपिक में भी भाग ले चुकी हैं. उन्होंने भी पुरस्कारों को लेकर कोई घोषणा नहीं की. मौजूदा समय की भाजपा सरकार में खेल विभाग की जिम्मेदारी ओलंपिक पदक विजेता कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को दी गई है, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी खिलाड़ियों को अवार्ड कब दिए जाएंगे यह तय नहीं हो पाया है.
जल्द देंगे पुरस्कार:मामले को लेकर खेल मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और कहना है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने खिलाड़ियों को दिए जाने वाले सम्मान में कोताही बरती. उनका कहना है कि खिलाड़ियों को जल्दी प्रोत्साहन लगातार मिलता रहेगा. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने एक बड़ा बैकलॉग तैयार कर दिया, लेकिन खेल विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जल्द से जल्द यह बैकलॉग तैयार किया जाए और खिलाड़ियों को पुरस्कार दिया जाए ताकि उनका मनोबल बढ़ सके.