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कोटा में होली की झांकियों में राम मंदिर से लेकर चंद्रयान-3 और कोचिंग सुसाइड तक का जिक्र - Holi tableaux in Kota

Holi tableaux in Kota, इस बार कोटा की होली की झांकियों में राम मंदिर से लेकर चंद्रयान-3 और कोचिंग सुसाइड तक का जिक्र किया गया है. साथ ही एक झांकी में भगवान विष्णु के दशावतार को दर्शाया गया है.

Holi tableaux in Kota
Holi tableaux in Kota

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 23, 2024, 6:34 PM IST

कोटा में होली की झांकियों में राम मंदिर से लेकर चंद्रयान-3 तक की झलक

कोटा.कोटा में होली के मौके पर कई जगहों पर झांकियां बनाई जाती है. कई झांकियां करीब 45 साल से बनाई जा रही हैं और उनका हर बार थीम अलग रहता है. यही वजह है कि इन्हें देखने के लिए हजारों की संख्या में रोजाना लोग उमड़ते हैं. ये झांकियां होली के दो दिन पहले खोल दी जाती है, जिनको देखने के लिए बच्चों से लेकर हर आयु वर्ग के लोगों में खासा उत्साह रहता है. हर साल अलग-अलग थीम पर यह झांकियां बनाई जाती है. इस बार कोटा में होली की झांकियों में राम मंदिर से लेकर चंद्रयान-3 के विक्रम की लैंडर और कोचिंग सुसाइड तक का जिक्र किया गया है. इसके अलावा अशोक वाटिका में हुए मां सीता और भगवान हनुमान के संवाद को दिखाया गया है. दूसरी तरफ एक झांकी में भगवान विष्णु के दशावतार को दिखाया गया है.

झांकी में दिखी विद्यार्थियों की पीड़ा :नयापुरा की आदर्श होली संस्था की झांकी में इस बार कोचिंग स्टूडेंट्स के दर्द को बयां किया गया है. उन्होंने कोटा कोचिंग की झांकी के बारे में बताया कि आत्महत्या करने वाले बच्चों की क्या कहानी होती है. इस झांकी के जरिए कोटा के लोगों को सचेत किया गया है. इसमें बताया गया है कि कैसे उनके परिजन हंसी खुशी उन्हें यहां भेजते हैं और उसके बाद बच्चा पढ़ाई में पिछड़ने व अन्य कारणों से तनाव में चला जाता है व फिर आत्महत्या के बाद उसका शव यहां से जाता है. इसके अलावा अशोक वाटिका में भगवान हनुमान और मां सीता के संवाद को भी दिखाया गया है.

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झांकी में चंद्रयान-3 :आदर्श होली संस्था के संयोजक राकेश शर्मा राकू ने बताया कि कोटा से कई लोग राम मंदिर के दर्शन के लिए नहीं जा पा रहे हैं. इसलिए यहां राम मंदिर को बनाया गया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से भगवान राम की प्रतिमा अयोध्या में है, ठीक वैसी ही हूबहू प्रतिमा यहां बनाई गई है. साथ ही चंद्रयान-3 की भी सुंदर झांकी यहां बनाई गई है. इसमें चंद्रमा की सफेद सतह को दर्शाने के लिए चूने और सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है. साथ ही विक्रम और लैंडर हूबहू वैसे ही यहां खड़े किए गए हैं, क्योंकि चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार किसी देश का झंडा लहराया है. ऐसे में हमने भी इस गौरवान्वित पल को झांकियों के जरिए दर्शाने की कोशिश की है.

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बंगाली कारीगरों ने झांकी को बनाया जीवंत : शारदा सरस्वती विकास समिति ने सिविल लाइंस में होली की झांकी बनाई है, जहां भगवान विष्णु के दशावतार को दिखाया गया है. यह झांकी आम जनता के लिए शुक्रवार रात को खोल दी गई. बड़ी संख्या में लोग इसे देखने के लिए रात के दौरान पहुंच रहे हैं. वहीं, इस झांकी को बनाने में करीब एक से डेढ़ माह का वक्त लगा है. विकास समिति के संयोजक शीतल प्रकाश मीणा श्याम ने बताया कि बंगाली कलाकारों को एक माह पहले ही यहां बुलाया जाता है. इसके पहले कोर कमेटी बैठकर तय कर लेती हैं कि किस थीम पर झांकी को बनाना है. हर साल अलग-अलग थीम पर होली की झांकी बनाई जाती है. उन्होंने बतााय कि हम साल 2000 से झांकी लगा रहे हैं और इस साल ये हमारा 24वां आयोजन है.

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गोकास्ट से होगा होलिका दहन : शीतल प्रकाश मीणा ने बताया कि इससे पहले हमने भगवान महादेव के 12 ज्योर्तिलिंग बनाए थे. इसके अलावा रिवर फ्रंट को झांकियों के जरिए दर्शाया गया था. साथ ही इस बार राम मंदिर को लेकर सभी लोग उत्साहित हैं, इसलिए भगवान विष्णु के दशावतार को प्रदर्शित किया गया है. इसमें मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि अवतार शामिल है. वहीं, भगवान का काल्पनिक स्वरूप भी बनाया गया है. इसके साथ ही होली दहन के पहले भगवान खाटू श्याम का जागरण होगा और फिर होली दहन किया जाएगा. आगे उन्होंने बताया कि इस बार होलिका दहन के लिए गोकास्ट का उपयोग किया जाएगा.

Holi tableaux in Kota

थीम पर करते हैं गहन मंथन : राकेश शर्मा राकू ने बताया कि हर साल नई थीम पर वो झांकियां बनाते हैं. 45 साल से यह आयोजन हो रहा है. ऐसे में अब लोगों की डिमांड के अनुरुप लगातार कार्यक्रम को भव्य और बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. हमारे कार्यकर्ता दिल और दिमाग से थीम को डिजाइन करते हैं, जिसे हूबहू प्रदर्शित करने की कोशिश की जाती है. हालांकि, थीम के बारे में लोगों को पहले नहीं बताया जाता है. यही वजह है कि झांकी स्थल को पूरी तरह से घेर कर काम किया जाता है और होलिका दहन के दो दिन पहले इसे लोगों के लिए खोला जाता है.

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