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वरिष्ठ नेताओं की खींचतान में भाजपा संगठन पर्व में फंसा पेच! जिला अध्यक्ष बने तो हो प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव - BJP SANGATHAN PARV

प्रदेश भाजपा में वरिष्ठ नेताओं की खींचतान के बीच भाजपा संगठन पर्व पूरा होने में पेच फंसा हुआ है.

भाजपा में वरिष्ठ नेताओं की खींचतान
भाजपा में वरिष्ठ नेताओं की खींचतान (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 10, 2025, 9:53 AM IST

जयपुर : भारतीय जनता पार्टी भले ही संगठनात्मक दृष्टि से एकजुट होकर काम करने की बात करती हो, लेकिन वास्तविकता अलग है. इस बार संगठन पर्व में भाजपा आम सहमति बनाने में नाकाम साबित हो रही है, पहले मंडल अध्यक्षों के चुनाव में जमकर विवाद हुआ तो अब जिला अध्यक्षों के चुनाव में पार्टी अभी तक सहमति नहीं बन पा रही है. हालत यह है कि राजस्थान में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में खींचतान के बीच जयपुर शहर सहित 17 जिलों में जिलाध्यक्ष का चुनाव अटका हुआ है, जिसकी वजह से प्रदेश संगठन के चुनाव में देरी हो रही है. 44 में से 27 जिलों में अध्यक्ष का चुनाव पार्टी अभी भी तक करा पाई है. बताया जा रहा है कि वरिष्ठ नेताओं में आपसी खींचतान के कारण 17 जिलों में चुनाव नहीं हो पा रहे हैं. जिला अध्यक्ष के चुनाव पूरे हों तो प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होंगे. हालांकि, मदन राठौड़ का प्रदेशाध्यक्ष के रूप में निर्विरोध निर्वाचन तय माना जा रहा है.

राठौड़ अध्यक्ष बनने तय, लेकिन प्रक्रिया में देरी हो रही : भाजपा संगठन पूर्व की निर्वाचन प्रक्रिया के अनुसार मंडल से लेकर प्रदेश अध्यक्ष और उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव होने हैं. वर्तमान में मदन राठौड़ राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष हैं, लेकिन पार्टी संविधान के मुताबिक, फरवरी के पहले सप्ताह में निर्वाचन प्रक्रिया होनी थी, 5 फरवरी तक आवेदन, 6 फरवरी को आवेदन की जांच, 7 फरवरी तक नाम वापसी और फिर जरूरत पड़ने पर 8 फरवरी को चुनाव प्रक्रिया अपनाना तय था, लेकिन अभी तक यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई. हालांकि, यह अलग बात है कि मदन राठौड़ ही भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहेंगे, लेकिन निर्वाचन प्रक्रिया तो औपचारिकता के तौर पर पूरी की जाएगी. अब सवाल ये कि आखिर क्यों प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव समय पर नहीं हो रहा, इसकी बड़ी वजह मंडल अध्यक्ष के बाद जिला अध्यक्षों के चुनाव को लेकर फंसा पेच है.

जिला अध्यक्षों को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में रस्साकशी चल रही है. यही वजह है कि 44 में से 27 जिलों में अध्यक्ष का चुनाव पार्टी अभी भी तक करा पाई है. 17 जिलों में सहमति नहीं हो पा रही है. दरअसल, भाजपा में संगठनात्मक दृष्टि से कुल 44 जिले हैं. जिला अध्यक्षों की नियुक्ति और चुनाव प्रक्रिया के लिए विधायकों, मंत्रियों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की जिम्मेदारियां दी गई थी. 44 में से 27 जिलों में जिला अध्यक्षों का चुनाव कर लिया गया. वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में 27 जिलों में अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध रूप से संपन्न कराया गया. शेष 17 जिलों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक राय नहीं बनने से जिला अध्यक्षों का चुनाव नहीं हो सका है. पार्टी सूत्रों की मानें तो इन 17 जिलों से पार्टी के दिग्गज नेता अपने अपने चहेतों को आगे लाना चाहते हैं. ऐसे में आपसी खींचतान के चलते चुनाव प्रक्रिया देरी हो रही है.

पढे़ं. बोले ​मंत्री दिलावर, बाड़मेर में जिलाध्यक्ष बनने योग्य लोगों की लंबी सूची, लेकिन बनेगा कोई एक ही

इन जिलों की घोषणा हुई, इनकी बाकी : बता दें कि जयपुर देहात दक्षिण, अलवर दक्षिण, अलवर उत्तर, सीकर , अजमेर शहर, अजमेर देहात, भरतपुर, बीकानेर देहात, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, नागौर शहर, नागौर देहात, जोधपुर शहर, जोधपुर देहात दक्षिण, पाली, जालौर, सिरोही, बाड़मेर, बालोतरा, जैसलमेर, उदयपुर शहर, उदयपुर देहात, बांसवाड़ा, राजसमंद, कोटा शहर, कोटा देहात के जिला अध्यक्षों को घोषणा हो चुकी है. वहीं, जयपुर शहर, जयपुर शहर उत्तर, दौसा, झालावाड़, सवाई माधोपुर, बारां, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, बूंदी, बीकानेर शहर, टोंक, करौली, धौलपुर, झुंझुनू, भीलवाड़ा और जोधपुर उत्तर में भाजपा जिला अध्यक्षों का चुनाव नहीं हो सका है. अब ऐसा माना जा रहा है कि इन 17 जिलों में चुनाव प्रक्रिया नहीं अपनाई जाएगी. आगामी दिनों में प्रदेश अध्यक्ष ही उच्च पदाधिकारियों की राय लेकर सीधे नियुक्ति प्रदान करेंगे. पार्टी संविधान के मुताबिक प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव के लिए कम से कम 23 जिला अध्यक्षों का चुनाव होना अनिवार्य है. 27 जिलों में जिला अध्यक्षों की चुनाव प्रक्रिया अपनाई जा चुकी है. ऐसे में अब शेष रहे जिलों में चुनाव प्रक्रिया अपनाया जाना जरूरी नहीं है.

दिग्गज ने फंसाया पेच : बीजेपी भले ही संगठन पर्व के जरिए चुनाव प्रक्रिया के तहत मंडल अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव का दावा करती हो, लेकिन वास्तविकता थोड़ी अलग है. पहले मंडल अध्यक्षों के चुनाव को लेकर सवाल उठे, अब जिला अध्यक्षों के चुनाव को लेकर उठ रहे हैं. बताया जा रहा है जिन जिलों में जिला अध्यक्षों का चुनाव नहीं हो सका है, वे जिले पार्टी के दिग्गज नेताओं के क्षेत्र हैं. जैसे जयपुर शहर से सीएम भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दीया कुमारी और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के निर्वाचन क्षेत्र हैं. तीनों चाहते हैं कि उनके समर्थकों को संगठन में काम करने का मौका मिले.

पढे़ं. अजमेर में बोले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राठौड़, आगामी चार वर्ष 'चुनाव-चुनाव' नहीं, केवल 'विकास-विकास' होगा

चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और लोकसभा सांसद सीपी जोशी का निर्वाचन क्षेत्र है, झालावाड़ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का निर्वाचन क्षेत्र है और धौलपुर उनका गृह जिला है. दौसा और सवाई माधोपुर कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के निर्वाचन और गृह जिला है. बीकानेर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का, तो जोधपुर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का दखल है. हाड़ौती के लिहाज से बूंदी और बारां के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की सहमति जरूरी है. इसी तरह अन्य जिलों में भी दिग्गज नेताओं की पसंद और संगठन के पदाधिकारियों की एक राय नहीं होने की वजह से चुनाव प्रक्रिया अटकी हुई है.

कहीं कोई पेच नहीं फंसा : चुनाव प्रक्रिया में हो रही देरी पर संगठन पूर्व संयोजक नारायण पंचारिया ने कहा कि कहीं कोई देरी नहीं हो रही है. देश की सबसे बड़ी पार्टी के चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में चुनाव प्रक्रिया में थोड़ा बहुत समय ऊपर नीच होता ही है, लेकिन अन्य राज्यों के मुकाबले राजस्थान में चुनाव समय पर हो रहे हैं. मंडल अध्यक्ष में बाद 27 जिलों के जिला अध्यक्ष के चुनाव हो चुके हैं, जिन 17 में चुनाव होने उसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, इसी सप्ताह में ये काम भी पूरा हो जाएगा. जहां तक प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव है वो जल्द पूरा कर लिया जाएगा. कहीं भी कोई वरिष्ठ नेता या अन्य विवाद से चुनाव रुके हुए नहीं हैं. सभी की सहमति से जो पार्टी के लिए काम करने वाला कार्यकर्ता का ही चुनाव हो रहा है.

जयपुर : भारतीय जनता पार्टी भले ही संगठनात्मक दृष्टि से एकजुट होकर काम करने की बात करती हो, लेकिन वास्तविकता अलग है. इस बार संगठन पर्व में भाजपा आम सहमति बनाने में नाकाम साबित हो रही है, पहले मंडल अध्यक्षों के चुनाव में जमकर विवाद हुआ तो अब जिला अध्यक्षों के चुनाव में पार्टी अभी तक सहमति नहीं बन पा रही है. हालत यह है कि राजस्थान में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में खींचतान के बीच जयपुर शहर सहित 17 जिलों में जिलाध्यक्ष का चुनाव अटका हुआ है, जिसकी वजह से प्रदेश संगठन के चुनाव में देरी हो रही है. 44 में से 27 जिलों में अध्यक्ष का चुनाव पार्टी अभी भी तक करा पाई है. बताया जा रहा है कि वरिष्ठ नेताओं में आपसी खींचतान के कारण 17 जिलों में चुनाव नहीं हो पा रहे हैं. जिला अध्यक्ष के चुनाव पूरे हों तो प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होंगे. हालांकि, मदन राठौड़ का प्रदेशाध्यक्ष के रूप में निर्विरोध निर्वाचन तय माना जा रहा है.

राठौड़ अध्यक्ष बनने तय, लेकिन प्रक्रिया में देरी हो रही : भाजपा संगठन पूर्व की निर्वाचन प्रक्रिया के अनुसार मंडल से लेकर प्रदेश अध्यक्ष और उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव होने हैं. वर्तमान में मदन राठौड़ राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष हैं, लेकिन पार्टी संविधान के मुताबिक, फरवरी के पहले सप्ताह में निर्वाचन प्रक्रिया होनी थी, 5 फरवरी तक आवेदन, 6 फरवरी को आवेदन की जांच, 7 फरवरी तक नाम वापसी और फिर जरूरत पड़ने पर 8 फरवरी को चुनाव प्रक्रिया अपनाना तय था, लेकिन अभी तक यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई. हालांकि, यह अलग बात है कि मदन राठौड़ ही भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहेंगे, लेकिन निर्वाचन प्रक्रिया तो औपचारिकता के तौर पर पूरी की जाएगी. अब सवाल ये कि आखिर क्यों प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव समय पर नहीं हो रहा, इसकी बड़ी वजह मंडल अध्यक्ष के बाद जिला अध्यक्षों के चुनाव को लेकर फंसा पेच है.

जिला अध्यक्षों को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में रस्साकशी चल रही है. यही वजह है कि 44 में से 27 जिलों में अध्यक्ष का चुनाव पार्टी अभी भी तक करा पाई है. 17 जिलों में सहमति नहीं हो पा रही है. दरअसल, भाजपा में संगठनात्मक दृष्टि से कुल 44 जिले हैं. जिला अध्यक्षों की नियुक्ति और चुनाव प्रक्रिया के लिए विधायकों, मंत्रियों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की जिम्मेदारियां दी गई थी. 44 में से 27 जिलों में जिला अध्यक्षों का चुनाव कर लिया गया. वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में 27 जिलों में अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध रूप से संपन्न कराया गया. शेष 17 जिलों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक राय नहीं बनने से जिला अध्यक्षों का चुनाव नहीं हो सका है. पार्टी सूत्रों की मानें तो इन 17 जिलों से पार्टी के दिग्गज नेता अपने अपने चहेतों को आगे लाना चाहते हैं. ऐसे में आपसी खींचतान के चलते चुनाव प्रक्रिया देरी हो रही है.

पढे़ं. बोले ​मंत्री दिलावर, बाड़मेर में जिलाध्यक्ष बनने योग्य लोगों की लंबी सूची, लेकिन बनेगा कोई एक ही

इन जिलों की घोषणा हुई, इनकी बाकी : बता दें कि जयपुर देहात दक्षिण, अलवर दक्षिण, अलवर उत्तर, सीकर , अजमेर शहर, अजमेर देहात, भरतपुर, बीकानेर देहात, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, नागौर शहर, नागौर देहात, जोधपुर शहर, जोधपुर देहात दक्षिण, पाली, जालौर, सिरोही, बाड़मेर, बालोतरा, जैसलमेर, उदयपुर शहर, उदयपुर देहात, बांसवाड़ा, राजसमंद, कोटा शहर, कोटा देहात के जिला अध्यक्षों को घोषणा हो चुकी है. वहीं, जयपुर शहर, जयपुर शहर उत्तर, दौसा, झालावाड़, सवाई माधोपुर, बारां, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, बूंदी, बीकानेर शहर, टोंक, करौली, धौलपुर, झुंझुनू, भीलवाड़ा और जोधपुर उत्तर में भाजपा जिला अध्यक्षों का चुनाव नहीं हो सका है. अब ऐसा माना जा रहा है कि इन 17 जिलों में चुनाव प्रक्रिया नहीं अपनाई जाएगी. आगामी दिनों में प्रदेश अध्यक्ष ही उच्च पदाधिकारियों की राय लेकर सीधे नियुक्ति प्रदान करेंगे. पार्टी संविधान के मुताबिक प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव के लिए कम से कम 23 जिला अध्यक्षों का चुनाव होना अनिवार्य है. 27 जिलों में जिला अध्यक्षों की चुनाव प्रक्रिया अपनाई जा चुकी है. ऐसे में अब शेष रहे जिलों में चुनाव प्रक्रिया अपनाया जाना जरूरी नहीं है.

दिग्गज ने फंसाया पेच : बीजेपी भले ही संगठन पर्व के जरिए चुनाव प्रक्रिया के तहत मंडल अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव का दावा करती हो, लेकिन वास्तविकता थोड़ी अलग है. पहले मंडल अध्यक्षों के चुनाव को लेकर सवाल उठे, अब जिला अध्यक्षों के चुनाव को लेकर उठ रहे हैं. बताया जा रहा है जिन जिलों में जिला अध्यक्षों का चुनाव नहीं हो सका है, वे जिले पार्टी के दिग्गज नेताओं के क्षेत्र हैं. जैसे जयपुर शहर से सीएम भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दीया कुमारी और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के निर्वाचन क्षेत्र हैं. तीनों चाहते हैं कि उनके समर्थकों को संगठन में काम करने का मौका मिले.

पढे़ं. अजमेर में बोले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राठौड़, आगामी चार वर्ष 'चुनाव-चुनाव' नहीं, केवल 'विकास-विकास' होगा

चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और लोकसभा सांसद सीपी जोशी का निर्वाचन क्षेत्र है, झालावाड़ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का निर्वाचन क्षेत्र है और धौलपुर उनका गृह जिला है. दौसा और सवाई माधोपुर कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के निर्वाचन और गृह जिला है. बीकानेर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का, तो जोधपुर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का दखल है. हाड़ौती के लिहाज से बूंदी और बारां के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की सहमति जरूरी है. इसी तरह अन्य जिलों में भी दिग्गज नेताओं की पसंद और संगठन के पदाधिकारियों की एक राय नहीं होने की वजह से चुनाव प्रक्रिया अटकी हुई है.

कहीं कोई पेच नहीं फंसा : चुनाव प्रक्रिया में हो रही देरी पर संगठन पूर्व संयोजक नारायण पंचारिया ने कहा कि कहीं कोई देरी नहीं हो रही है. देश की सबसे बड़ी पार्टी के चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में चुनाव प्रक्रिया में थोड़ा बहुत समय ऊपर नीच होता ही है, लेकिन अन्य राज्यों के मुकाबले राजस्थान में चुनाव समय पर हो रहे हैं. मंडल अध्यक्ष में बाद 27 जिलों के जिला अध्यक्ष के चुनाव हो चुके हैं, जिन 17 में चुनाव होने उसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, इसी सप्ताह में ये काम भी पूरा हो जाएगा. जहां तक प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव है वो जल्द पूरा कर लिया जाएगा. कहीं भी कोई वरिष्ठ नेता या अन्य विवाद से चुनाव रुके हुए नहीं हैं. सभी की सहमति से जो पार्टी के लिए काम करने वाला कार्यकर्ता का ही चुनाव हो रहा है.

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