शिमला: राजनीतिक दलों में मुफ्त की रेवड़ियां बांटने की प्रवृति से खजाने पर पड़ने वाले बोझ को लेकर 16वां वित्त आयोग गंभीर है. इसके साथ ही कई राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने से सरकारी कोष पर पड़ रहा विपरीत प्रभाव भी वित्त आयोग के ध्यान में है. सोलहवें वित्त आयोग ने अपने गठन के बाद सबसे पहले हिमाचल का दौरा किया है. शिमला में सोमवार को सरकार के साथ बैठक के बाद वित्त आयोग के चेयरमैन डॉ. अरविंद पनगढ़िया व उनकी टीम ने मीडिया के साथ बातचीत की.
इस दौरान हिमाचल की जरूरतों और आने वाले समय में वित्त आयोग की संभावित सिफारिशों से जुड़े सवालों पर डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि पहाड़ी राज्य की अपनी दिक्कतें होती हैं. मैदानी राज्यों के मुकाबले यहां निर्माण की लागत अधिक है. डॉ. पनगढ़िया ने एक सवाल के जवाब में कहा कि फ्री बीज और ओपीएस का असर किसी न किसी रूप में वित्तीय हालात पर पड़ता है. हिमाचल प्रदेश में आपदा के दौरान पिछले फाइनेंस कमीशन ने डिजास्टर रिलीफ इंडेक्स (डीआरआई) को प्रयोग किया था, वो पहाड़ी राज्य के अनुकूल नहीं था.
पहाड़ी राज्य में आपदा का प्रभाव अलग होता है. ऐसे में हिमाचल के कुछ इश्यूज डिजास्टर रिलीफ इंडेक्स में उचित रूप से समाहित नहीं हुए थे. डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि सोलहवें वित्त आयोग के पास अभी अक्टूबर 2025 तक का समय है. सभी राज्यों का दौरा करने के बाद वित्त आयोग अपनी सिफारिशें देगा. ये सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2026-27 से लेकर 2030-31 तक प्रभावी होंगी.
डॉ. पनगढ़िया ने कहा वित्त आयोग की टीम की राज्य सरकार के साथ मैराथन मीटिंग हुई है. इस दौरान हिमाचल सरकार ने 90 स्लाइड्स पर आधारित लंबी प्रेजेंटेशन दी है. वित्त आयोग ने सरकार का पक्ष व हिमाचल की जरूरतों को अच्छी तरह से समझा है. वित्त आयोग ने स्वीकार किया कि मैदानी इलाकों के मुकाबले यहां कंस्ट्रक्शन कठिन है. इस दौरान एक सवाल के जवाब में राज्य के वित्त सचिव अभिषेक जैन ने बताया कि चूंकि बरसात का सीजन सिर पर है और हिमाचल में बारिश के कारण आवागमन बाधित होता है. लिहाजा वित्त आयोग ने राज्य के आग्रह पर सबसे पहले यहां का दौरा किया है.