शिमला: आईजीएमसी अस्पताल शिमला में आउटसोर्स कर्मियों के लिए हाईकोर्ट से राहत की खबर है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कॉरपोरेट केयर व शिमला क्लीनवेज कंपनी को एक हफ्ते के भीतर उपरोक्त कर्मियों का वेतन जारी करने के आदेश दिए हैं. दो महीने से आउटसोर्स कर्मियों को वेतन नहीं मिला है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने दोनों कंपनियों की तरफ से दाखिल की गई अपील को बंद करते हुए आउटसोर्स कर्मचारियों की सैलरी चुकाने के आदेश दिए.
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था कि राज्य सरकार ने अपीलकर्ता मैसर्स कॉरपोरेट केयर और मैसर्स शिमला क्लीनवेज को देय राशि का भुगतान कर दिया गया है. पिछली सुनवाई के समय सरकार की ओर से अदालत को बताया गया था कि सरकार पर कॉरपोरेट केयर और शिमला क्लीनवेज का 30 नवंबर, 2024 तक क्रमश: 1 करोड़ 97 लाख 55 हजार 819 रुपये और 1 करोड़ 63 लाख 34 हजार 391 रुपये बकाया हैं.
मामले की सुनवाई में अदालत को बताया गया था कि आउटसोर्स कर्मचारियों को दो माह की सैलरी नहीं मिली है. इस पर कोर्ट ने कहा कि अब चूंकि कंपनियों को सरकार की तरफ से बकाया राशि मिल गई है इसलिए कर्मचारियों की सैलरी का भुगतान एक सप्ताह में कर दिया जाए.
उल्लेखनीय है कि आईजीएमसी अस्पताल में पिछले दो माह से 132 आउटसोर्स कर्मचारी सैलरी से वंचित हैं. इन्हें 2 महीने से सैलरी नहीं मिली है. याचिकाकर्ता कॉरपोरेट केयर और शिमला क्लीनवेज का आरोप था कि सरकार उनके साथ हुए करार को मध्य में ही छोड़ कर एचपीएसईडीसी के माध्यम से आउटसोर्स कर्मचारियों की तैनाती करना चाहती है.
एकल पीठ ने उक्त कंपनियों की याचिका 50 हजार रुपये कॉस्ट के साथ खारिज कर दी थी. एकल पीठ ने कंपनियों पर तथ्यों को छिपाने और छेड़छाड़ वाले दस्तावेज के आधार पर कोर्ट को गुमराह कर अंतरिम आदेश की गुहार लगाने का दोषी पाया था. कंपनियों ने एकल पीठ के इस फैसले को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी. खंडपीठ ने उपरोक्त आदेश देते हुए कंपनियों की अपील को बंद कर दिया. इस तरह आउटसोर्स कर्मियों की सैलरी का रास्ता साफ हो गया है और एक हफ्ते में उन्हें वेतन मिल जाएगा.
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