शिमला: हिमाचल के इतिहास में पहली बार आईजी व डीएसपी रैंक के अफसर कस्टोडियल डेथ मामले में दोषी सिद्ध हुए हैं. वर्ष 1994 बैच के आईपीएस व आईजी रैंक के अफसर एस. जहूर हैदर जैदी व डीएसपी मनोज जोशी सहित पुलिस के अन्य अफसर व कर्मचारी एक निर्दोष की कस्टडी में हुई मौत के दोषी करार दिए गए हैं. सीबीआई की अदालत इन दोषियों को आज 27 जनवरी को दोपहर करीब 2 बजे सजा सुनाएगी.
पिछली सुनवाई के दौरान शनिवार 18 जनवरी को चंडीगढ़ स्थित सीबीआई की अदालत में न्यायमूर्ति अलका मलिक ने सभी को सूरज कस्टोडियल डेथ केस में दोषी करार दिया था. अदालत की तरफ से दोषी करार दिए जाने के तुरंत बाद ही सभी को हिरासत में लेकर बुड़ैल जेल भेज दिया गया था. इस केस में अब सभी की निगाहें अदालत की आज की कार्यवाही पर टिकी हैं.
उल्लेखनीय है कि जुलाई 2017 में शिमला जिला की कोटखाई तहसील के हलाईला इलाके के दांदी जंगल में दसवीं कक्षा की छात्रा की लाश मिली थी. उसके साथ दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी. इस केस में तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने एसआईटी का गठन किया था. एसआईटी का नेतृत्व आईजी जहूर जैदी को सौंपा गया था. एसआईटी ने कुछ लोगों को संदेह के आधार पर पकड़ा था. उनमें से नेपाल मूल के सूरज नामक युवक की कोटखाई थाने में निर्मम पिटाई की गई थी. पिटाई से सूरज की मौत हो गई थी. जनता के दबाव व हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से जांच सीबीआई को सौंपी गई थी.
सीबीआई ने सूरज के शव का अपने स्तर पर एम्स की टीम से पोस्टमार्टम करवाया था. उसमें सूरज की मौत का कारण अत्यधिक पिटाई के रूप में सामने आया था. फिर सीबीआई को कुछ पक्के सबूत मिले और जांच एजेंसी ने आईजी जहूर जैदी सहित अन्य को गिरफ्तार कर लिया था. जहूर जैदी इस केस में चार साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं. इस बीच वे जमानत पर रिहा हुए और दो बार उनकी सेवाओं की बहाली की गई. अंतिम बार वे 2023 में बहाल हुए थे.
यहां जानिए पूरा मामला
कोटखाई की दसवीं कक्षा की छात्रा गुड़िया (काल्पनिक नाम) की रेप के बाद हत्या के मामले की जांच के लिए बनी एसआईटी के मुखिया आईजी जहूर जैदी थे. चार जुलाई को छात्रा लापता हुई थी और छह जुलाई को उसका निर्वस्त्र शव हलाईला इलाके के दांदी जंगल में मिला. एसआईटी ने जल्दबाजी में कुछ निर्दोष लोगों को पकड़ लिया. फिर 18 जुलाई 2017 की रात को कोटखाई थाना में सूरज नामक नेपाली युवक की निर्मम पिटाई की गई. एसआईटी ने गुड़िया रेप एंड मर्डर केस में राजेंद्र नामक व्यक्ति को मुख्य आरोपी बनाया था.
सूरज की पिटाई के बाद जब उसकी मौत हो गई तो हवालात यानी लॉकअप में ड्यूटी पर मौजूद संतरी दिनेश घबरा गया. उधर, डीएसपी मनोज जोशी ने सूरज की मौत का मामला दबाने के लिए उसे जबरन कैदियों की आपसी मारपीट में बदलने का प्रयास किया. फिर 19 जुलाई को आईजी जहूर जैदी कोटखाई थाने पहुंचे और अपने मोबाइल में दिनेश का बयान रिकॉर्ड किया. जैदी ने एक झूठी शिकायत पर संतरी दिनेश के साइन भी करवाए.
ये शिकायत कथित रूप से मुख्य आरोपी बनाए गए राजेंद्र राजू के खिलाफ थी कि उसने सूरज की पिटाई की है. इसी झूठी शिकायत के आधार पर राजेंद्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. बाद में दिनेश ने सीबीआई को सब बताया और सीबीआई ने जैदी का फोन जब्त किया तो उसमें रिकॉर्डिंग मिल गई. उधर, आईजी जैदी ने एक चालाकी की और अपने मोबाइल में की गई रिकॉर्डिंग को जांच रिपोर्ट में शामिल नहीं किया. अब आईजी जैदी, डीएसपी मनोज जोशी व अन्य के खिलाफ पुख्ता सबूत सीबीआई के पास आ गए थे.
सीबीआई अदालत ने आईजी के अलावा इन्हें पाया दोषी
सूरज कस्टोडियल डेथ मामले में आईजी जहूर जैदी, डीएसपी मनोज जोशी सहित अन्य दोषी करार दिए गए हैं. इन सभी को आज सजा सुनाई जाएगी. अन्य दोषियों में सब-इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह, एएसआई दीपचंद, हैड कांस्टेबल मोहन लाल, हैड कांस्टेबल सूरत सिंह, हैड कांस्टेबल रफीक मोहम्मद व कांस्टेबल रंजीत स्टेटा शामिल हैं. हालांकि सीबीआई की अदालत ने इसी केस में शिमला के पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी को बरी कर दिया है. चूंकि डीडब्ल्यू नेगी केस के दौरान शिमला जिला के एसपी थे और हवालात में बंद कैदियों के कस्टोडियन भी नियमानुसार वही थे. ऐसे में कस्टडी में किसी कैदी की मौत की जवाबदेही भी उनकी थी, लेकिन अदालत ने उन्हें बरी कर दिया.
फिलहाल, आईजी सहित अन्य दोषियों में से एएसआई दीपचंद रिटायर हो चुका है. बाकी डीएसपी मनोज जोशी दोषी करार दिए जाने से पहले छठी आईआरबी कोलर में तैनात था. बाकी पुलिस कर्मी दोषी करार दिए जाने से पहले पुलिस लाइन कैथू शिमला में सेवारत थे.
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