वैशाली: सोनपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 2 से 5 दिसंबर को संदेह के आधार पर दीपक कुमार तिवारी और सक्षम श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया गया था. उनके पास से टिकट कलेक्टर का आई कार्ड बरामद हुआ जो बिल्कुल ओरिजिनल आई कार्ड की तरह बनाया हुआ था. उस पर मुहर आदि सब कुछ मौजूद था. दोनों पश्चिम चंपारण के रहने वाले हैं. पूछताछ व जांच पड़ताल के बाद रेलवे में फर्जी बहाली के नाम पर धोखाधड़ी के एक बहुत बड़े रैकेट का पता चला है. यह रैकैट बंगाल, उड़ीसा और झारखंड सहित कई राज्यों में फैला है.
कैसे काम करता था रैकेटः सोनपुर जीआरपी के थाना अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि जांच में पता चला कि डीआरएम ऑफिस रेल मंडल सोनपुर में काम करने वाला चंदन कुमार रेलवे में नौकरी लगवाने का झांसा देकर ठगी करता था. "फर्जी ज्वाइनिंग लेटर तैयार कर कैंडिडेट को देता था. मोतिहारी के पप्पू कुमार फर्जी तरीके से ट्रेनिंग देता था. रेलवे के टिकट बुकिंग क्लर्क, टेक्नीशियन, ग्रुप डी आदि के फर्जी नियुक्ति पत्र दिए जाते थे. विभिन्न स्टेशनों पर टिकट काटने हेल्पर के काम की फर्जी ट्रेनिंग देते थे." एक दो महीने बाद अपने स्तर से एक दो महीने की सैलरी भी देते थे. फिर मोबाइल बंद कर नया सिम कार्ड खरीद लेते थे.
गैर हिंदी भाषी को टारगेट करते: सोनपुर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किए गए दो आरोपियों से पहले पूछताछ की गई. फिर मोतिहारी में छापेमारी की गई. इसके बाद एक रेल कर्मी को भी गिरफ्तार किया गया. इसके बाद अब यह संभावना जताई जा रही है कि यह एक अंतर राज्यीय रैकेट है जो बेहद बड़े पैमाने पर चलाए जा रहा है. रेल सूत्रों की मानें तो पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड सहित कई राज्यों में ऐसे लोगों को टारगेट किया जाता था, जो हिंदी भाषी नहीं हो. फिर इन लोगों को नौकरी का झांसा देकर इनसे मोटी रकम उगाही की जाती थी. कई रेल कर्मियों और अधिकारियों के मिलीभगत की आशंका है.