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राजस्थान सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में बेची फर्जी डिग्रियां, दो निजी यूनिवर्सिटी के मालिक गिरफ्तार, महिला हिरासत में - 2 arrested for giving Fake degrees

राजस्थान की भर्ती परीक्षाओं में फर्जी डिग्री से नौकरी के मामले में बड़ा खुलासा करते हुए एक निजी विश्वविद्यालय के संस्थापक और एक अन्य यूनिवर्सिटी के मालिक को गिरफ्तार किया है. दोनों से एसओजी के अधिकारी पूछताछ में जुटे हैं. एक महिला को भी हिरासत में लिया गया है.

2 arrested for giving Fake degrees
दो निजी यूनिवर्सिटी के मालिक गिरफ्तार (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 5, 2024, 6:14 PM IST

Updated : Jul 5, 2024, 8:15 PM IST

दो निजी यूनिवर्सिटी के मालिक गिरफ्तार (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. राजस्थान की भर्ती परीक्षाओं में फर्जी डिग्री से नौकरी हासिल करने के खेल का भंडाफोड़ करते हुए एसओजी ने एक निजी यूनिवर्सिटी के संस्थापक और दूसरी निजी यूनिवर्सिटी के मालिक को गिरफ्तार किया है. अब इन दोनों से एसओजी के अधिकारी पूछताछ में जुटे हैं.

एसओजी-एटीएस के डीआईजी परिस देशमुख ने बताया कि फर्जी डिग्री के मामले में राजगढ़ (चूरू) स्थित ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संस्थापक जोगेंद्र सिंह और सनराइज यूनिवर्सिटी व एमके यूनिवर्सिटी के मालिक- पार्टनर जितेंद्र यादव को गिरफ्तार किया गया है. ओपीजेएस विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार रही एक महिला सरिता कड़वासरा को भी रोहतक में हिरासत में लिया गया है. उसे जयपुर लाकर गिरफ्तार किया जाएगा. वह जोगेंद्र की महिला मित्र भी है.

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उन्होंने बताया कि ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संस्थापक जोगेंद्र सिंह ने राजस्थान से लेकर बिहार और उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों तक फर्जी डिग्री बेचने का जाल बिछा रखा है. जितेंद्र यादव ओपीजेएस यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार रहा था. बाद में उसने पार्टनरशिप में अलवर में सनराइज यूनिवर्सिटी खोली और पाटन में एमके यूनिवर्सिटी शुरू की. जबकि जोगेंद्र सिंह रोहतक में स्कूल भी चलाता है. जोगेंद्र ने बारां में और जितेंद्र ने बूंदी में एक-एक नए विश्वविद्यालय खोलने की तैयारी कर रखी है. इनके लिए दलालों का एक पूरा नेटवर्क काम करता है.

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ऐसे चलाते थे फर्जी डिग्री गिरोह: डीआईजी परिस देशमुख ने बताया कि पीटीआई भर्ती में 1300 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवेदन में जानकारी दी कि उनके पास ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की बीपीएड की डिग्री है. जबकि इस विश्वविद्यालय में बीपीएड की महज 100 सीट हैं. उन्होंने बताया कि फर्जी डिग्री गिरोह से जुड़े बदमाश बिना डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को किसी भी परीक्षा में आवेदन करवा देते हैं. फिर वह परीक्षा देता है या उसकी जगह डमी अभ्यर्थी बिठाकर परीक्षा पास करवाई जाती है. परीक्षा पास होने पर अभ्यर्थी को फर्जी डिग्री मुहैया करवाकर नौकरी लगवा दी जाती है. बदले में मोटी रकम वसूल की जाती है. उन्होंने बताया कि पीटीआई भर्ती में 80 से ज्यादा चयनित अभ्यर्थियों के पास ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की डिग्री है. ये सभी अभ्यर्थी भी जांच के दायरे में हैं.

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फर्जी खेल प्रमाण पत्र भी करवाते थे मुहैया:डीआईजी परिस देशमुख ने बताया कि फर्जी डिग्री के साथ ही आरोपी फर्जी खेल प्रमाण पत्र भी मुहैया करवाते थे. खेल प्रमाण पत्र के लिए किसी कॉलेज का स्टूडेंट होना जरूरी है. ऐसे में आरोपी फर्जी तरीके से अभ्यर्थी को अपनी यूनिवर्सिटी में दाखिला देते और उसके नाम पर खेल प्रमाण पत्र जारी करवा देते. बदले में मोटी रकम वसूलते थे. उन्होंने बताया कि इन आरोपियों से फर्जी डिग्री और प्रमाण पत्र लेकर बड़ी संख्या में सरकारी नौकरी हासिल की गई है. उन सभी को भी जांच में शामिल किया जाएगा. जोगेंद्र सिंह के खिलाफ फर्जी डिग्री के मामले में पहले भी कई प्रकरण दर्ज हैं. बता दें कि फर्जी डिग्री के मामले में एसओजी ने पहले दलालों सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था. उनसे पूछताछ में हुए खुलासों के बाद अब यह बड़ी कार्रवाई सामने आई है.

पुराना रिकॉर्ड मांगा तो बताया जल गया: फर्जी डिग्री गिरोह का खुलासा होने के बाद जांच करने एसओजी की टीम ओपीजेएस यूनिवर्सिटी पहुंची और पीटीआई की पुरानी डिग्रियों से संबंधित पुराना रिकॉर्ड मांगा. इस पर पुराना रिकॉर्ड जलने का हवाला दिया गया. जांच में यह भी सामने आया है कि ओपीजेएस यूनिवर्सिटी में 15 से ज्यादा कोर्स के संचालन का दावा किया जाता है. जबकि इनके पास स्टाफ की संख्या महज 27 हैं. इनमें से भी 8-9 लोग नॉन टीचिंग स्टाफ हैं. एसओजी की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि ये शातिर बदमाश फर्जी डिग्री के नाम पर युवाओं से धोखाधड़ी भी करते हैं. एक बार कोई सौदा तय होने के बाद ये ज्यादा रुपए की डिमांड करते और ज्यादा रुपए नहीं देने पर डिग्री नहीं देते थे.

Last Updated : Jul 5, 2024, 8:15 PM IST

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