गिरिडीहः एनडीए के चंद्रप्रकाश चौधरी और इंडिया गठबंधन के मथुरा महतो के सामने झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति ( जेबीकेएसएस ) के जयराम कुमार महतो गिरिडीह संसदीय सीट से चुनावी मैदान में हैं. जयराम हाल के कुछेक वर्ष में काफी लोकप्रिय हो चुके हैं और उनकी लोकप्रियता उनकी सभा में उमड़ रही भीड़ बयां कर रही है. ईटीवी भारत ने जयराम से सीधी बात की. उनसे समझना चाहा कि एक छात्र चुनाव क्यूं लड़ना चाहता है, जीतने के बाद वे क्या करेंगे. जीत हुई तो जनता की आकांक्षा पर वे कितना खरा उतरेंगे.
आंदोलन से हुआ उदय, समस्या को हल करना ही उद्देश्य
जयराम ने कहा कि एक आंदोलन के माध्यम से मेरा उदय हुआ और सोशल मीडिया के माध्यम से लोग मुझे लोग जानने लगे. लोगों के बीच लोकप्रियता बढ़ी तो आम जनता अपनी समस्या को लेकर उनके पास पहुंचने लगे. जो लोग उनके पास आये और जिन समस्याओं को रखा उनमें सबसे अधिक समस्या जमीन अधिग्रहण की थी.
लोगों की समस्या को जब विशेषज्ञों के पास रखा तो यह बताया गया कि जिस तरह से जमीन अधिग्रहण के बाद विस्थापितों को मुआवजा और नौकरी नहीं मिली है, यह मामला देश के उच्च सदन यानी लोकसभा में पहुंचाना होगा. ऐसे में उनके संगठन और जनता ने उन्हें उम्मीदवार बनने को कहा और वे लोकसभा का चुनाव लड़ने को तैयार हुए. बताया कि चुंकि वे गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के मतदाता हैं, इसलिए उन्होंने इसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना उचित समझा.
झारखंडवासियों को इंसान नहीं समझती कोल इंडिया
जयराम ने कहा कि अभी तक जो भी जमीन अधिग्रहण और इसके बाद के मुआवजा की प्रक्रिया यहां अटकी है वे मामले सीसीएल और बीसीसीएल से जुड़े हुए हैं. जबकि डब्ल्यूसीएल और एनसीएल में जमीन से जुड़े मामले का निष्पादन तुरंत कर दिया जाता है. कहा कि ऐसा लगता है कि झारखंड के लोगों को कोल इंडिया इंसान समझती ही नहीं है.
जनता के पैसे से लड़ रहे हैं चुनाव
जयराम ने कहा कि उनकी सभा में तो पहले भी भीड़ उमड़ती थी. अभी जब भीषण गर्मी है इसके बावजूद लोगों की भीड़ उमड़ रही है. जितनी भीड़ उमड़ रही है, उससे कई गुणा अधिक मत उन्हें मिलेगा. रही बात चुनाव के लिए नगद राशि की तो जनता खुद उन्हें चंदा दे रही है. गांव गांव से लोग उन्हें पैसा दे रहे हैं.
यह बताता है कि गिरिडीह लोकसभा की जनता उन्हें कितना प्यार करती है. जयराम ने कहा कि झारखंड के हितों के लिए उनके व उनके समर्थकों द्वारा लगातार किया गया संघर्ष और विचारधारा के कारण मैंने अपनी पहचान बनायी. यही कारण है उनके द्वारा नामांकन करने के बाद से दूसरे दलों के नेताओं की नींद उड़ गई है.
जनता के पास दो एकड़ तो नेताजी कहां से लाये 200 एकड़
जयराम कहते हैं कि उन्होंने जब नामांकन किया तो दूसरे दलों के नेताओं की परेशानी बढ़ी. कई गांव के लोगों ने नेताओं के गांव के अंदर दाखिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया. यह जानकारी मुझे मिली तो मैंने जनता को कहा कि एनडीए हो या इंडिया गठबंधन. जिस दल के लोग गांव आये उन्हें इज्जत से बैठाइए, पानी पिलाइए लेकिन यह पूछिये की नेताजी कैसे अमीर बन गए. यह जरूर पूछिये कि आम जनता और किसान के पास 2 एकड़ जमीन नहीं है लेकिन नेता 200 एकड़ के मालिक कैसे बन गए.