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संसद क्यूं पहुंचना चाहते हैं जयराम, क्या है उनकी आगे की योजना, कोल इंडिया से लेकर सत्ताधारी दल पर कुछ ऐसा दिया जवाब - lok sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

Giridih Lok Sabha seat. फायर ब्रांड नेता बन चुके जयराम महतो गिरिडीह लोकसभा सीट पर उम्मीदवार बने हैं. जयराम की सभा में भीड़ उमड़ रही है. इनके पीछे हजारों लोगों की दीवानगी देखी जा रही है. जानिए इस दीवानगी की वजह, जयराम क्यूं जाना चाहते हैं संसद, क्या है उनकी योजना, किनसे है टक्कर और भीड़ को वोट में तब्दील करने में कितना हो पाएंगे कामयाब. जयराम के साथ ईटीवी भारत संवाददाता अमरनाथ सिन्हा की एक्सक्लूसिव बातचीत

LOK SABHA ELECTION 2024
डिजाइन इमेज (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 22, 2024, 2:17 PM IST

Updated : May 22, 2024, 2:35 PM IST

जयराम महतो से खास बातचीत (ETV BHARAT)

गिरिडीहः एनडीए के चंद्रप्रकाश चौधरी और इंडिया गठबंधन के मथुरा महतो के सामने झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति ( जेबीकेएसएस ) के जयराम कुमार महतो गिरिडीह संसदीय सीट से चुनावी मैदान में हैं. जयराम हाल के कुछेक वर्ष में काफी लोकप्रिय हो चुके हैं और उनकी लोकप्रियता उनकी सभा में उमड़ रही भीड़ बयां कर रही है. ईटीवी भारत ने जयराम से सीधी बात की. उनसे समझना चाहा कि एक छात्र चुनाव क्यूं लड़ना चाहता है, जीतने के बाद वे क्या करेंगे. जीत हुई तो जनता की आकांक्षा पर वे कितना खरा उतरेंगे.

आंदोलन से हुआ उदय, समस्या को हल करना ही उद्देश्य

जयराम ने कहा कि एक आंदोलन के माध्यम से मेरा उदय हुआ और सोशल मीडिया के माध्यम से लोग मुझे लोग जानने लगे. लोगों के बीच लोकप्रियता बढ़ी तो आम जनता अपनी समस्या को लेकर उनके पास पहुंचने लगे. जो लोग उनके पास आये और जिन समस्याओं को रखा उनमें सबसे अधिक समस्या जमीन अधिग्रहण की थी.

लोगों की समस्या को जब विशेषज्ञों के पास रखा तो यह बताया गया कि जिस तरह से जमीन अधिग्रहण के बाद विस्थापितों को मुआवजा और नौकरी नहीं मिली है, यह मामला देश के उच्च सदन यानी लोकसभा में पहुंचाना होगा. ऐसे में उनके संगठन और जनता ने उन्हें उम्मीदवार बनने को कहा और वे लोकसभा का चुनाव लड़ने को तैयार हुए. बताया कि चुंकि वे गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के मतदाता हैं, इसलिए उन्होंने इसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना उचित समझा.

झारखंडवासियों को इंसान नहीं समझती कोल इंडिया

जयराम ने कहा कि अभी तक जो भी जमीन अधिग्रहण और इसके बाद के मुआवजा की प्रक्रिया यहां अटकी है वे मामले सीसीएल और बीसीसीएल से जुड़े हुए हैं. जबकि डब्ल्यूसीएल और एनसीएल में जमीन से जुड़े मामले का निष्पादन तुरंत कर दिया जाता है. कहा कि ऐसा लगता है कि झारखंड के लोगों को कोल इंडिया इंसान समझती ही नहीं है.

जनता के पैसे से लड़ रहे हैं चुनाव

जयराम ने कहा कि उनकी सभा में तो पहले भी भीड़ उमड़ती थी. अभी जब भीषण गर्मी है इसके बावजूद लोगों की भीड़ उमड़ रही है. जितनी भीड़ उमड़ रही है, उससे कई गुणा अधिक मत उन्हें मिलेगा. रही बात चुनाव के लिए नगद राशि की तो जनता खुद उन्हें चंदा दे रही है. गांव गांव से लोग उन्हें पैसा दे रहे हैं.

यह बताता है कि गिरिडीह लोकसभा की जनता उन्हें कितना प्यार करती है. जयराम ने कहा कि झारखंड के हितों के लिए उनके व उनके समर्थकों द्वारा लगातार किया गया संघर्ष और विचारधारा के कारण मैंने अपनी पहचान बनायी. यही कारण है उनके द्वारा नामांकन करने के बाद से दूसरे दलों के नेताओं की नींद उड़ गई है.

जनता के पास दो एकड़ तो नेताजी कहां से लाये 200 एकड़

जयराम कहते हैं कि उन्होंने जब नामांकन किया तो दूसरे दलों के नेताओं की परेशानी बढ़ी. कई गांव के लोगों ने नेताओं के गांव के अंदर दाखिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया. यह जानकारी मुझे मिली तो मैंने जनता को कहा कि एनडीए हो या इंडिया गठबंधन. जिस दल के लोग गांव आये उन्हें इज्जत से बैठाइए, पानी पिलाइए लेकिन यह पूछिये की नेताजी कैसे अमीर बन गए. यह जरूर पूछिये कि आम जनता और किसान के पास 2 एकड़ जमीन नहीं है लेकिन नेता 200 एकड़ के मालिक कैसे बन गए.

ब्लड रिलेशन को नहीं मिलेगा टिकट

जयराम ने बताया कि उनकी पार्टी झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति ने कई निर्णय लिए हैं. उन निर्णयों में एक निर्णय यह है कि इस पार्टी के नेता - कार्यकर्ता जिसे भी चुनाव का टिकट मिलता है, भविष्य में उनके ब्लड रिलेशन वालों को टिकट नहीं दिया जाएगा. इतना ही नहीं उनके साथ साथ, उनकी पार्टी के नेता क्षेत्र के बाहर एक इंच भी जमीन नहीं खरीदेंगे. इसके अलावा वे यदि सांसद चुने जाते हैं तो तनख्वाह का 75 फीसदी हिस्सा जनता को दे देंगे.

सत्ता और संपत्ति का विकेंद्रीकरण होना चाहिए

जयराम ने कहा कि आज जिस तरह से राजनीतिक घटना घटित हो रही है भारतवर्ष में और जिस तरह से धर्म आस्था के नाम पर काम किया जा रहा है तो आनेवाले 20 वर्ष में भारत फिर से ब्रिटिश काल से बुरे दलदल में फंस जाएगा. कहा कि ठीक है भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है लेकिन संपत्ति का विकेंद्रीकरण नहीं हो रहा है. कहा कि जब तक सत्ता और संपत्ति का विकेंद्रीकरण नहीं होगा तो ऐसा लगेगा कि हम लोकतंत्र के लिए तैयार नहीं थे.

क्षेत्रवाद और डराने का आरोप गलत

जयराम ने कहा कि विपक्ष उनपर क्षेत्रवाद और दूसरे प्रदेश से आकर झारखंड में बसे लोगों को डराने - धमकाने का आरोप लगाता है, वह पूरी तरह से गलत है. वे कभी भी किसी को डराने का नाम नहीं करते हैं. उनका कहना है कि जो भाषा यहां की है, सरकारी मान्यता उसे ही मिलनी चाहिए. दूसरे प्रदेश के लोग अपनी भाषा में बोले, अपनी भाषा मे गीत गाये, इस पर किसी प्रकार की आपत्ति नहीं है लेकिन मान्यता यहां ( झारखंड ) की भाषा को मिलनी चाहिए.

स्थानीय नीति बनाने की है मांग

जयराम ने कहा कि उनकी मांग स्थानीय नीति को लेकर है जो जारी रहेगी. रही बात दूसरे प्रदेश के लोग जो यहां रह रहे हैं, रोजी - रोजगार कर रहे हैं उनसे किसी पर द्वेष नहीं है. कहा कि हम चाहते हैं कि झारखंड में सरकारी नौकरियां यहां के स्थानीय को मिले जो वाजिब मांग है.

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Last Updated : May 22, 2024, 2:35 PM IST

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