भोपाल।राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते राज्य प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़ने वाली डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे फिर नौकरी में वापस आने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से नौकरी में वापसी लाने की गुहार लगाई है. निशा बांगरे ने सामान्य प्रशासन विभाग को इस बारे में पत्र लिखा है. अभी तक विभाग ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है. निशा बांगरे ने बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरने के लिए नौकरी छोड़ दी थी. हालांकि कांग्रेस ने उन्हें इस सीट से मैदान में नहीं उतारा. बाद में निशा बांगरे ने लोकसभा टिकट की उम्मीद पाली लेकिन उसमें भी उन्हें निराशा हाथ लगी.
विधानसभा टिकट की उम्मीद में सुप्रीम कोर्ट तक लगाई दौड़
निशा बांगरे छतरपुर जिले के लवकुश नगर में एसडीएम पद पर थीं. उन्हें पूरी उम्मीद थी कि कांग्रेस बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित करेगी. आमला क्षेत्र में सरकारी नौकरी में रहते हुए उन्होंने अपने कामों से खूब सुर्खियां बटोरी थीं. इसी को भुनाने के लिए उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले इस्तीफा भेज दिया लेकिन सरकार ने इस्तीफा मंजूर नहीं किया. इसके बाद वह सरकार से सीधे टक्कर लेने के लिए खड़ी हो गईं. उन्होंने पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने आमला से भोपाल तक सरकार के खिलाफ पदयात्रा भी की और आखिरकार कोर्ट के आदेश के बाद 23 अक्टूबर को सरकार ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया था.
न विधानसभा का टिकट मिला और न लोकसभा का
सरकार द्वारा उनका इस्तीफा मंजूर किए जाने के पहले ही कांग्रेस ने आमला विधानसभा सीट से मनोज माल्वे को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था. निशा बांगरे को उम्मीद थी कि कांग्रेस इस सीट से टिकट बदल देगी और इस उम्मीद में उन्होंने कमलनाथ के समक्ष कांग्रेस की सदस्यता भी ले ली. बाद में कमलनाथ के आश्वासन पर भी पार्टी से जुड़ गईं. उन्हें उम्मीद थी कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उन्हें कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं बनी. बाद में लोकसभा में भी कांग्रेस ने उन्हें तवज्जो नहीं दी. कांग्रेस ने पिछले दिनों उन्हें प्रदेश प्रवक्ता बनाया लेकिन इससे बेहतर अब उन्होंने वापस नौकरी में आना ही बेहतर समझा.
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