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राजस्थान विधानसभा में उठे महत्वपूर्ण मुद्दे, रोहिंग्या घुसपेठियों और किसानों के अधिकारों की हुई चर्चा - RAJASTHAN VISHANSABHA

राजस्थान विधानसभा में शून्यकाल के दौरान रोहिंग्या घुसपेठियों, किसानों के मुआवजे पर चर्चा हुई

विधानसभा में शून्यकाल के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई
विधानसभा में शून्यकाल के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई (ETV Bharat File Photo)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 3, 2025, 2:02 PM IST

जोधपुर :शून्यकाल में नियम 295 के तहत विधानसभा में सोमवार को हवा महल विधायक बालमुकुंदाचार्य ने जयपुर सहित प्रदेश के कई इलाकों में मौजूद बांग्लादेशी रोहिंग्या घुसपेठियों को वापस भेजने का मुद्दा उठाया. वहीं, शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने पश्चिमी राजस्थान में सौर उर्जा प्लांट लगाने वाली कंपनियों द्वारा किसानों को जमीनों का कम मूल्य देने का मामला उठाया. शून्यकाल शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सदन में कोई अधिकारी नहीं होने पर सरकार को घेरने का प्रयास किया. इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने संसदीय मंत्री से कहा कि हमारी बात होने के बावजूद ऐसा क्यों है ? संसदीय मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा, "हमें प्रश्नकाल तक ही अधिकारी मौजूद रखने का पता था, लेकिन आगे से ऐसा नहीं होगा."

रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में निकल रही हाईटेंशन लाइन के लिए मुआवजा पूरा नहीं मिल रहा है. यहां किसानों के साथ कुठाराघात हो रहा है. कंपनियों के लिए जो जमीन चाहिए, उनके लिए एक टुकड़ा होगा, लेकिन अन्नदाता के लिए वह जीवनदायिनी होती है. जिन किसानों के पास पांच से सात बीघा जमीन है, उसमें अगर एक पोल लग जाता है तो वह खेती नहीं कर सकते हैं. जो किसान जमीन देने के लिए सहमत नहीं होते, उन्हें पुलिस प्रशासन द्वारा डराया-धमकाया जा रहा है, जो कि सही नहीं है. भाटी ने कहा कि मुआवजे के लिए जो नियम बनाए गए हैं, उनमें बदलाव किया जाए. विकास के नाम पर किसान के साथ अनैतिक घटनाएं हो रही हैं, जो चिंताजनक हैं. भाटी ने सरकार से आशा जताई कि वह किसानों के हित में फैसला लेगी. शून्यकाल में सरकार की ओर से मंत्रियों ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किए.

विधानसभा में उठे महत्वपूर्ण मुद्दे (ETV Bharat)

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रोहिंग्या को वापस भेजे सरकार: विधायक बालमुकुंदाचार्य ने कहा कि कुछ दलालों ने दस्तावेज बनाकर प्रदेश के लोगों का हक खा रहे हैं. प्रदेश में रह रहे विशेष समुदाय के कुछ लोग अवैध रूप से दस्तावेज बना रहे हैं. साथ ही इनके द्वारा चोरी, हत्या जैसे अपराध हो रहे हैं. ये लोग खाली भूखंडों में रहने लगे हैं. ऐसे में इन घुसपैठियों को वापस भेजा जाए और इनका साथ देने वाले दलालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

जयपुरिया अस्पताल में स्टाफ की कमी: वरिष्ठ विधायक कालिचरण सर्राफ ने जयपुरिया अस्पताल में मरीजों की संख्या के अनुपात में डॉक्टरों और पैरा-मेडिकल स्टाफ की कमी का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि पूर्व में यहां अधिशेष डॉक्टरों को हटा दिया गया था, जिसके बाद से हालात खराब हो गए हैं. वहां लगातार सुविधाओं का विस्तार हो रहा है, लेकिन चिकित्सकीय स्टाफ की कमी के कारण लोगों को उचित सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.

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मंदिर कॉरिडोर का विकास: कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने कोटा में वल्लभ संप्रदाय के मथुराधीश मंदिर के विकास का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि इस मंदिर का कॉरिडोर नाथद्वारा की तर्ज पर विकसित किया जाए. राशि स्वीकृत होने के बावजूद कार्य शुरू नहीं हुआ है.

नगर पालिका मास्टर प्लान पर पुनर्विचार: डेगाना विधायक अजयसिंह किलक ने नगर पालिका के मास्टर प्लान पर पुनर्विचार करने की बात रखी. उन्होंने कहा कि इस मास्टर प्लान के चलते कई लोग प्रभावित हो रहे हैं और उनकी निजी संपत्तियों को इसके दायरे में लाया गया है, जबकि इस पर आपतियां दी गई थीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने नया मास्टर प्लान तैयार करने की मांग की.

सड़क निर्माण और जलजीवन मिशन: बयाना की विधायक ऋतु बनावात ने अपने विधानसभा क्षेत्र में टूटी सड़कों के निर्माण का मामला उठाया. वैर विधायक बहादुर सिंह ने जलजीवन मिशन के तहत कामों में तेजी लाने और अधूरे कामों को पूरा कराने की बात रखी. नसीराबाद विधायक रामस्वरूप लांबा ने क्षेत्र में रोडवेज बसों के संचालन में सुधार का मुद्दा उठाया. बारां विधायक प्रतापसिंह सिंघवी ने बारां जिले में हो रहे अवैध खनन का मामला उठाया.

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मूंगफली की खरीद में पारदर्शिता: रतनगढ़ विधायक पूसाराम गोदारा ने शून्यकाल में एमएसएपी पर मूंगफली की खरीद में पारदर्शिता बरतने का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि बाजार में मूंगफली पांच हजार रुपए प्रति क्विंटल बिक रही है, जबकि सरकार 7750 रुपए प्रति क्विंटल खरीद रही है. लेकिन दलालों और बिचौलियों के कारण किसानों को नुकसान हो रहा है और उन्हें भुगतान समय पर नहीं मिल रहा है. उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि सहकारी विभाग सहित अन्य संबंधित विभाग इसकी जांच करे और प्रति किसान मूंगफली की खरीद सीमा 40 क्विंटल से बढ़ाकर 80 क्विंटल की जाए, ताकि किसानों को लाभ हो सके.

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