पटना: मातृ शक्ति की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रचल रहा है और इस समय पूरा वातावरण भक्तिमय नजर आ रहा है. राजधानी पटना में इस बार दुर्गा पूजा के दौरान देवी दुर्गा की इको-फ्रेंडली अनोखी प्रतिमाएं देखने को मिलेंगी. मूर्तिकार जितेंद्र ने बताया कि छह अलग-अलग प्रकार की प्रतिमाएं बनाई हैं, जिनमें रुद्राक्ष, बिंदी, मिक्स अनाज, पंच फोरन, रुई-बाती और क्रिस्टल मोतियों का उपयोग किया गया है.
किस मूर्ति की क्या है खासियत:टिकुली बिंदी से तैयार की गई माता की मूर्ति पटना के मुसल्लहपुर चाईंटोला में स्थापित होगी. इसे तैयार करने में 50 हजार अलग-अलग साइज के बिंदियों का इस्तेमाल किया गया है. इस मूर्ति के बैकग्राउंड में आलता, शंखा पोला, आइना और कंघी से डिजाइन बनाई गई है. जिसका इस्तेमाल महिलाओं के श्रृंगार में होता है. इसे बनाने में लगभग 35 हजार खर्च हुआ है.
40 हजार रुद्राक्ष से मां दुर्गा की मूर्ती:पटना के अमरूदी गली में रुद्राक्ष की मूर्ति स्थापित होगी. इस मूर्ति को तैयार करने में अलग-अलग साइज के 40 हजार रुद्राक्ष का इस्तेमाल हुआ है. इसमें रुद्राक्ष में ही सिर्फ 42 हजार रुपए का खर्च हुआ है. इसी प्रकार क्रिस्टल मोतियों की प्रतिमा में करीब 1500 विभिन्न रंग के क्रिस्टल माला का इस्तेमाल किया गया है. इसे तिरंगे के रंग से सजाया गया है.
15 किलो अनाज से मूर्ती का निर्माण:वहीं मिक्स अनाज की मूर्ति में 15 किलो अनाज का इस्तेमाल किया गया है. इसमें चावल, दाल, गेहूं, राजमा, बादाम का इस्तेमाल हुआ है. माता के साड़ी का बॉर्डर राजमा से तैयार किया गया है और माता का चेहरा चना दाल से तैयार किया गया है. बाइपास नया चक में यह मूर्ति स्थापित होगी.
घर की मसाले से मां की मूर्त:घर के मसाले जैसे पंच फोरन से तैयार की गई माता की मूर्ति में कुल 15 किलो सौंफ, मेथी, जीरा, मंगरैला, राई, अजवाइन और सरसों का इस्तेमाल कर माता का स्वरूप तैयार किया गया है. इसमें मूर्ति के पीछे के बैकग्राउंड में तेजपत्ता का इस्तेमाल हुआ है. पटना के भवर पोखर में यह मूर्ति स्थापित होगी.
5 हजार रूई की बाती से मां की प्रतिमा: वहीं रुई की बाती से जो माता की प्रतिमा तैयार की गई है उसमें 5000 बाती का इस्तेमाल हुआ है. इसमें माता का चेहरा, गला और हाथ तैयार करने में सीधी रुई बाती कि इस्तेमाल किया गया है, जबकि माता की सारी गोल रुई की बाती से तैयार की गई है और केसरिया सफेद और हरा रंग से सारी को रंग गया है. पटना के मुसल्लहपुर नाथूगली में यह मूर्ति स्थापित होगी.
एक महीना चलता है मूर्ति के डिजाइन का काम: दोनों भाई हर बार अलग-अलग तरीके की मूर्ति तैयार की है. इससे पहले वह मास्क की मूर्ति, एक्सपायरी दवा की गोलियों की मूर्ति, रद्दी कागज की मूर्ति, लिपस्टिक की मूर्ति, तुलसी दान की मूर्ति, राजमा की मूर्ति इत्यादि बन चुके हैं. उनकी तैयार की गई मूर्तियां 35 से 45 हजार रुपए बिकती है. उएक मूर्ति को तैयार करने के लिए एक महीना पहले डिजाइन का काम चलता है और उसके बाद 15 से 17 दिन में एक मूर्ति तैयार होती है.