सीतामढ़ी: त्रेता युग में जब राजा जनक की नगरी जनकपुर में अकाल पड़ा था और वर्षा नहीं हो रही थी, तब ऋषि मुनियों के कहने पर राजा जनक ने हलेश्वर स्थान पर हलेश्वरी यज्ञ किया था. वहीं से राजा जनक ने हल चलाया था और हल चलाते-चलाते वह पुनौरा धाम पहुंचे थे. यहां धरती की गर्भ से माता सीताकी उत्पत्ति हुई थी.
दिवाली में श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी: कुछ वर्षों बाद पुनौरा धाम में मंदिर का निर्माण करवाया गया. उसके बाद से यहां भव्य दिवाली मनाई जाती है. भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई कर रावण को युद्ध में हराया था और जब वह अयोध्या पहुंचे थे, तब से दीपावली का उत्सव मां जानकी की नगरी में मनाया जाता है. अब दिवाली के मौके पर देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग अपने नाम का दीया यहां जलवा सकते हैं.
"दीपोत्सव के लिए ऐप लाया गया है. लोग अपने घर बैठे दीप जला सकते हैं."- स्थानीय
"माता की जन्मस्थली में हजारों दीप जलते हैं. श्रद्धालु जो भी दान देना चाहते हैं, घर बैठे दे सकते हैं."- रोशन भंडारी, स्थानीय
101 रुपये में अपने नाम से जलवा सकते हैं दीया : पुनौरा धाम में भी लगातार दीप उत्सव मनाया जाता है, लेकिन इस बार श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए भामा ऐप के माध्यम से श्रद्धालु ऑनलाइन दीप उत्सव पुनौरा धाम में मान सकते हैं. जानकी जन्मभूमि पुनौरा धाम ट्रस्ट के द्वारा भक्तों की सुविधा को लेकर भामा ऐप शुरू किया गया है. QR कोड के माध्यम से जो भक्त दिल्ली मुंबई सहित अन्य शहरों में रह रहे हैं, उन्हें मंदिर ट्रस्ट के द्वारा बनाए गए ऐप के माध्यम से 101 रुपए ट्रस्ट में भेजने होंगे. उसके बाद दिवाली में उनके नाम से दिया जलाया जाएगा.