राजस्थान ओलंपिक संघ विवाद (ETV BHARAT JAIPUR) जयपुर.राजस्थान ओलंपिक संघ के दो गुटों में चल रहे विवादों के बीच रविवार को एक गुट ने चुनावी प्रक्रिया संपन्न कर पदाधिकारियों की घोषणा की. जबकि दूसरे गुट ने अपने ओलंपिक संघ की कार्यकारिणी को सभी नियमों को पूरा करने और 31में से 27 खेल संघों के समर्थन का दावा किया. साथ ही एजीएम की बैठक करते हुए ओलंपिक संघ के चुनाव जुलाई के दूसरे सप्ताह में कराना तय किया.
जयपुर क्लब में रविवार को अनिल व्यास गुट की ओर से ओलंपिक संघ का चुनाव कराया गया, जिसमें अनिल व्यास को अध्यक्ष और रामावतार सिंह जाखड़ को महासचिव घोषित करते हुए पूरी कार्यकारिणी का गठन किया गया. अनिल व्यास ग्रुप ने भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन से विधिवत मान्यता होने और मान्यता प्राप्त 29 में 18 खेल संघों के समर्थन का दावा किया. व्यास ग्रुप ने दावा किया कि उनकी कार्यकारिणी ही असली संघ है, बाकी राजस्थान ओलंपिक संघ का होने का दावा करने वाले लोग पूरी तरह से गैरकानूनी हैं.
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उनके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जा रही हैं. उनके खिलाफ हाईकोर्ट और जिला कोर्ट में मामला विचाराधीन भी बना हुआ हैं. इस दौरान उन्होंने ओलंपिक संघ का भवन बनाने और नेशनल गेम्स की तर्ज पर राज्य में स्टेट गेम्स कराने का दावा किया. दूसरी तरफ शहर के एक निजी होटल में राजस्थान ओलंपिक संघ के बैनर तले एजीएम हुई. इसमें अध्यक्ष अजीत सिंह और सचिव अरूण सारस्वत की ओर से दावा किया गया कि उनकी ओलंपिक संघ की कार्यकारिणी सभी नियमों को पूरा करती हैं. उनके पास 31में से 27 खेल संघों का समर्थन हैं.
उन्होंने कहा कि अनिल व्यास ग्रुप के खेल संघों के पदाधिकारियों की मान्यता ही खटाई में पड़ी हुई हैं. वो खुद को किस आधार पर ओलंपिक संघ के पदाधिकारी बता रहे हैं. उन्होंने बताया कि एजीएम की बैठक में इस ग्रुप ने ओलंपिक संघ के चुनाव जुलाई के दूसरे सप्ताह में कराना तय किया है. साथ ही भारतीय ओलंपिक संघ की ओर से किए गए नियमों के संशोधन प्रस्ताव को राज्य में भी उतारा जाएगा. इस दौरान उनके संगठन ने स्पोर्टस कोड का विरोध करने का भी फैसला लिया.
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बहरहाल, करीब चालीस साल तक राजस्थान ओलंपिक संघ के अध्यक्ष रहे जर्नादन सिंह गहलोत के निधन के बाद से ही ओलंपिक संघ में चल रही ये खींचतान खत्म नहीं हो रही. इस बीच राज्य ओलंपिक संघों की ताकत को वोटिंग राइट हटाकर कम भी कर दिया गया है. वर्चस्व की लड़ाई के बीच ओलंपिक संघ की रस्साकशी जारी है, जो कई खिलाड़ियों और खेल संघों के लिए एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है. ऐसे में अब भारतीय ओलंपिक संघ या कोर्ट ही यह स्पष्ट करेगा कि कौन असली और कौन नकली है.