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दिल्ली दंगे के एक मामले में 6 आरोपी बरी, पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई पुलिस - North East Delhi riots 2020

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 3, 2024, 2:30 PM IST

Delhi Riots 2020: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 2020 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान आगजनी, दंगा और चोरी करने के आरोपी छह लोगों को बरी कर दिया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला उनके खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे. कोर्ट ने छह आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया है.

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नई दिल्ली:दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के छह आरोपियों को आगजनी, चोरी करने दूसरे आरोपों से बरी करने का आदेश दिया है. एडिशनल सेशंस जज पुलस्त्य प्रमाचल ने छहो आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया. कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया उनमें हाशिम अली, अबू बकर, मोहम्मद अजीज, राशिद अली, निजामुद्दीन ऊर्फ भोला और मोहम्मद दानिश शामिल हैं. कोर्ट ने इन आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 148, 149, 188, 380, 427, 435 और 436 के आरोपों से बरी करने का आधेश दिया है.

दंगाईयों ने नरेश चंद के घर में लगाई थी आग

शिकायतकर्ता नरेश चंद के मुताबक 25 फरवरी 2020 की शाम करीब साढ़े चार बजे शिव विहार के गली नंबर 12 में कुछ दंगाई नरेश चंद के घर में घुस गए. भीड़ ने उसके घर में तोड़फोड़ की ओर आग लगा दिया. दंगाईयों ने पार्किंग में रखी मोटरसाइकिल और घर के तीन दुकानों में आग लगा दी. नरेश चंद ने अपनी शिकायत में कहा था कि दंगाईयों ने उसके घर में रखे फ्रीज, 40 इंच का एलईडी, नकदी, जेवर और चार सिलेंडर लूट लिए. नरेश चंद ने इस घटना की शिकायत करावल नगर थाने में की जिसके बाद करावल नगर थाने ने 28 फरवरी को एफईआआर दर्ज किया.

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जांच के दौरान शिकायतकर्ता नरेश चंद ने हाशिम, राशिद, अबु बकर, अजीज, शानू, सलीम ऊर्फ भोला का नाम लिया और कहा कि इन लोगों ने घटना वाले दिन उसके घर में आग लगाई. आग लगाने के दौरान नरेश चंद का बेटा उमाकांत भी मौके पर मौजूद था. आगे की जांच में जांच अधिकारी को 13 दूसरी शिकायतें भी मिलीं. जांच अधिकारी ने उन सभी शिकायतों को वर्तमान एफआईआर में क्लब कर दिया. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जांच अधिकारी से जब 13 दूसरी शिकायतों के स्टेटस के बारे में पूछा तो जांच अधिकारी ने बताया कि उन 13 शिकायतों की दूसरे मामलों में जांच चल रही है.

ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई पुलिस:कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि अभियोजन पक्ष ने डीवीआर को आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य के रुप में पेश किया. लेकिन ऐसा कोई गवाह पेश नहीं हुआ जो वीडियो में आरोपियों की पहचान कर सके. आरोपियों की पहचान करने के लिए जांच अधिकारी ने कोई कदम भी नहीं उठाया. ऐसे में आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करना कठिन है. ऐसे में आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी किया जाता है. बता दें कि फरवरी 2020 में हुई हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और दो सौ के करीब लोग घायल हुए थे.

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