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Delhi: AAP विधायक उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे, भाजपा MLAs सवाल पूछने में आगे, पढ़ें प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट - REPORT CARD OF DELHI MLAS

दिल्ली के विधायकों की कार्यशैली और सदन में व्यवहार को लेकर गुरुवार को प्रजा फाउंडेशन ने रिपोर्ट कार्ड जारी किया है. देखें पूरी रिपोर्ट कार्ड...

दिल्ली विधायकों का प्रदर्शन कार्ड
दिल्ली विधायकों का प्रदर्शन कार्ड (Etv Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 24, 2024, 8:49 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. चुनाव को लेकर चुनाव आयोग और तीनों राजनीतिक दल भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने भी तैयारियां तेज कर दी है. साथ ही विधायकों ने भी जनता के बीच जाना शुरू कर दिया. ऐसे में विधायकों के कामकाज की भी चर्चा होने लगी है कि उन्होंने 2020 में विधायक बनने के बाद जनता के लिए क्या काम किया. साथ ही विधानसभा में जनता से जुड़े कितने मुद्दे उठाए. इन सबके बीच प्रजा फाउंडेशन ने गुरुवार को दिल्ली के विधायकों का रिपोर्ट कार्ड जारी किया है.

प्रजा फाउंडेशन की यह रिपोर्ट कार्ड 17 मार्च 2023 से 8 अप्रैल 2024 की अवधि में विधायकों के प्रदर्शन का आकलन करता है. रिपोर्ट कार्ड में उन विधायकों के प्रदर्शन का भी मूल्यांकन किया गया है, जिन्होंने विधानसभा में न्यूनतम तीन साल कार्य किया. साथ ही दिल्ली की 7वीं विधानसभा की समग्र उत्पादकता, विशेष रूप से कार्य दिवसों की संख्या की विस्तार से जांच भी की गई है.

विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी (अब सांसद) ने 81.81% अंक प्राप्त कर प्रथम स्थान प्राप्त किया. विधायक भूपिंदर सिंह जून 78.77% के अंक के साथ दूसरे स्थान पर हैं. जबकि, विधायक राजेश गुप्ता 74.55% के अंक के साथ तीसरे स्थान पर हैं. तीनों उच्चतम प्रदर्शन वाले विधायकों ने विचार-विमर्श मंचों में अपने संवैधानिक कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाया और विधानसभा सत्रों में उच्चतम उपस्थिति और नागरिक मुद्दों को अधिक संख्या में उठाया है.

7वीं विधानसभा में विधायकों का समेकित प्रदर्शन चिंताजनक तस्वीर पेश करता है. 6वीं विधानसभा की तुलना में पिछले कुछ वर्षों में 70 विधायकों की उपस्थिति और सवाल पूछने की स्थिति अंकों के आधार पर औसत घटती दिख रही है. 2022 में विधायकों की विधानसभा में उपस्थिति का औसत 51.30% था, जो 2023 में घटकर 50.90% हो गया. वहीं, 2024 में और ज्यादा गिरकर 49.29% हो गया. प्रजा फाउंडेशन के सीईओ मिलिंद म्हस्के ने कहा कि पिछले चार साल में दो विधायकों ने एक भी मुद्दा नहीं उठाया. जबकि, आठ विधायकों ने 2024 (17 मार्च 2023 से 8 अप्रैल 2024) में एक भी मुद्दा नहीं उठाया.

भाजपा MLAs सवाल पूछने में आगे, पढ़ें प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट (etv bharat)

7वीं विधानसभा में सुधरा पांच विधायकों का प्रदर्शन:पूरे कार्यकाल में विधायकों के प्रदर्शन की बारीकी से जांच करने पर शीर्ष पांच विधायकों के औसत अंक में सुधार है. 7वीं विधानसभा में उनका औसत अंक 76.20% था, जो 6वीं विधानसभा के औसत 70.30% से अधिक है. इसके विपरीत निचले स्तर के पांच विधायकों के प्रदर्शन में भारी गिरावट आई है. 6वीं विधानसभा में इनका औसत स्कोर 39.63% था, जबकि 7वीं विधानसभा में यह घटकर मात्र 19.01% रह गया, यानी 50% से अधिक की भारी कमी आई है. प्रजा फाउंडेशन की सहयोगी प्रबंधक पूजा वर्मा ने कहा कि यह गिरावट इंगित करती है कि ये विधायक जनता के प्रतिनिधिय के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को पर्याप्त रूप से पूरा नहीं कर रहे हैं.

2021 से देखी गई विधायकों द्वारा मुद्दों को उठाने में वृद्धि:पूजा वर्मा ने बताया कि 2021 में विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है. 2021 (8 मार्च 2021 से 26 नवंबर 2021) में, विधायकों ने 521 मुद्दे उठाए, 2022 में 872 मुद्दे (3 जनवरी 2022 से 1 सितंबर 2022) और 2023 में (16 जनवरी 2023 से 15 दिसंबर 2023) यह संख्या बढ़कर 1,147 मुद्दों तक पहुंच गई थी. अपराध, शिक्षा और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित पूछताछ की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है.

बहरहाल, स्वास्थ्य संबंधी सवालों की संख्या में गिरावट आई है. 2022 में स्वास्थ्य संबंधित 74 मुद्दे उठाए गए थे, लेकिन 2023 में यह संख्या घटकर 56 हो गई. सबसे अधिक परेशान करने वाली प्रवृत्ति बरसाती जल निकासी के क्षेत्र में देखी गई है, जहां उठाए गए मुद्दों की संख्या 2021 में 31 से गिरकर 2022 में 26 हो गई और फिर 2023 में सिर्फ 6 रह गई.

मिलिंद म्हस्के ने आगे कहा कि आगामी 8वीं विधानसभा चुनाव को देखते हुए उम्मीद है कि विधानसभा कार्य दिवसों में वृद्धि होगी और विधायक प्रासंगिक प्रश्न उठाएंगे, जिससे दिल्ली के प्रमुख मुद्दों पर व्यापक चर्चा हो सकेगी. केवल एक परामर्शी और उत्तरदायी शासन मॉडल के माध्यम से हम वर्तमान चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं और अपने नागरिकों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं. म्हस्के ने बताया कि पिछले दो दशकों से प्रजा फाउंडेशन जवाबदेह शासन को सक्षम बनाने की दिशा में काम कर रहा है.

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