नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस को 2017 में बिजली का करंट लगने से मरने वाले सब इंस्पेक्टर की विधवा को 10 लाख रुपये का अनुग्रह मुआवजा देने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता के पति अफजल अली की 21 मई, 2017 को बिजली का करंट लगने से मौत हो गई थी. उनकी विधवा शगुफ्ता अली ने आधिकारिक प्रतिवादियों से 50 लाख रुपये का मुआवजा मांगा था. न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने अपने फैसले में कहा, "याचिकाकर्ता को पहले से दिए जा चुके लाभों के मद्देनजर, न्यायालय अपने विवेक से बीएसईएस द्वारा याचिकाकर्ता को 10 लाख रुपये का अनुग्रह एकमुश्त मुआवजा देना उचित समझता है."
50 लाख रुपये भुगतान की प्रार्थना:याचिकाकर्ता ने मुआवजे के रूप में 50 लाख रुपये का भुगतान करने की प्रार्थना की है. उच्च न्यायालय ने कहा कि, "दिल्ली पुलिस द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, मृतक के परिवार को पहले ही पारिवारिक पेंशन लाभ के रूप में 27,96,496 रुपये दिए जा चुके हैं और उन्हें 21 मई, 2027 तक 17,150 रुपये की मासिक पेंशन भी मिल रही है और उसके बाद उन्हें 10,290 रुपये मिलेंगे." उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता सिविल न्यायालय में उचित कानूनी उपाय करने के लिए भी स्वतंत्र है. सक्षम सिविल न्यायालय को ऐसे किसी भी मुकदमे की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया जाता है. पीठ ने कहा कि बीएसईएस को भी निर्देश दिया जाता है कि वह अनावश्यक स्थगन मांगकर कार्यवाही में कोई अनावश्यक देरी न करे.
पीठ ने आगे स्पष्ट किया कि इस न्यायालय द्वारा दी गई अनुग्रह राशि सिविल न्यायालय द्वारा दिए जाने वाले किसी भी मुआवजे से स्वतंत्र है और इसके अतिरिक्त है. अधिवक्ता सईद कादरी ने साहिल गुप्ता और मोहम्मद शकील के साथ याचिकाकर्ता शगुफ्ता अली के लिए बहस की. मामले के तथ्यों से पता चलता है कि याचिकाकर्ता के पति अफजल अली 1990 से दिल्ली पुलिस (यातायात) में सब-इंस्पेक्टर के रूप में काम कर रहे थे.