देहरादूनःशहरों में हजारों छात्र स्कूली बसों या दूसरे वाहनों का प्रयोग करते हुए स्कूल पहुंचते हैं. कई बार स्कूली वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की भी खबरें सामने आती है. उत्तराखंड में भी इस तरह के कुछ मामले सामने आ चुके हैं. चिंता की बात यह है कि अभिभावक अपने बच्चों को इन वाहनों के जरिए स्कूल तो भेजते हैं लेकिन इन वाहनों में वह कितने सुरक्षित हैं, यह बात वह खुद भी नहीं जानते. इसके बावजूद मजबूरन अभिभावकों को वाहनों के जरिए बच्चों को स्कूल भेजना पड़ता है. इस स्थिति में आरटीओ कार्यालय का एक बड़ा रोल है और स्कूली वाहनों से जुड़े नियमों का पालन करवाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी इसके पास है.
शहरी क्षेत्र में ऐसे वाहनों की संख्या सैकड़ों में है. और इन सभी वाहनों पर आरटीओ कार्यालय नजर नियमित रूप से रख पाना काफी मुश्किल है. कई बार इसी का फायदा स्कूली वाहन चलाने वाले लोग भी उठाते हैं. इन गाड़ियों में तय सीमा से ज्यादा बच्चों को बैठाकर स्कूल ले जाने के तो कई मामले भी सामने आए हैं और अक्सर ऐसी तस्वीर भी सामने आती रही है. यही नहीं, गाड़ियों की फिटनेस से लेकर दूसरी जरूरी बातों को भी कई बार नजरअंदाज कर दिया जाता है.
इन्हीं स्थितियों के बीच अब आरटीओ कार्यालय देहरादून शहर में स्कूली बसों को लेकर विशेष अभियान चलाने जा रहा है. यह अभियान स्कूली बसों के सेफ्टी ऑडिट से जुड़ा हुआ है. जिसके लिए जल्द ही आरटीओ स्तर पर कार्रवाई की जानी है.
आरटीओ शैलेश तिवारी बताते हैं कि स्कूली वाहनों का समय-समय पर नियम के खिलाफ चलने पर चालान काटा जाता है. पिछले दिनों 60 से ज्यादा वाहनों का चालान काटा गया और चार स्कूली वाहन सीज भी किए गए. लेकिन अब आरटीओ कार्यालय के स्तर से स्कूली बसों का भी सेफ्टी ऑडिट करने की तैयारी की जा रही है.