कोलाहल से बहरेपन और ब्रेन हेमरेज की बढ़ रही शिकायतें, सरगुजा में साइलेन्स जोन भी नहीं है साइलेन्ट - Surguja silence zone not silent
सरगुजा में कुछ दिनों पहले कोलाहल से बहरेपन और ब्रेन हेमरेज के केस का खुलासा हुआ है. यहां ध्वनि प्रदूषण से लोग परेशान हैं. आलम यह है कि यहां अस्पताल स्कूल जैसे साइलेन्स जोन भी साइलेन्ट नहीं है. जिसकी वजह से लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
सरगुजा में साइलेन्स जोन भी नहीं है साइलेन्ट (ETV Bharat)
सरगुजा:अंबिकापुर शहर में ध्वनि प्रदूषण को लेकर जारी दिशा निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है. शासन के निर्देश पर शहर में जगह जगह साइलेंस जोन के बोर्ड तो लगा दिए गए हैं, लेकिन साइलेंस जोन में नियमों का पालन नहीं हो रहा है. कोलाहल अधिनियम का उल्लंघन कर कानफोड़ू डीजे भी बजाए जा रहे हैं, जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है. एक बार फिर से शासन ने ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है.
ये नियम हुआ था जारी: हाईकोर्ट के निर्देश पर शासन ने जिला प्रशासन को आदेश जारी किया था. आदेश के तहत कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 एवं ध्वनि प्रदूषण (विनिमय और नियंत्रण) नियम 200 के तहत सरगुजा जिले के कई इलाकों को साइलेंस जोन घोषित किया गया था.
खुलकर हो रहा नियमों का उल्लंघन:शासन के निर्देश के बाद नवंबर 2023 में जगह-जगह साइलेंस जोन का बोर्ड लगाकर कोलाहल अधिनियम को लागू किया गया था, लेकिन जिन क्षेत्रों को कोलाहल के लिए प्रतिबंधित किया गया है, वहां नियमों का पालन नहीं हो रहा है. अस्पताल, स्कूल के बाहर ही लोग इन नियमों का खुलकर उल्लंघन कर रहे है.
"न्यायालय के निर्देश का पालन पुलिस करा रही है. इसके साथ ही जितने डीजे संचालक हैं, सभी की बैठक लेकर उनको नियमों से अवगत कराया गया है. शांति समिति की बैठक लेकर समितियों को भी अवगत कराया गया है. कोलाहल अधिनियम का जिले में पालन कराया जाएगा. नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. जहां भी नियमों का उल्लंघन होगा, उन पर कार्रवाई होगी. साइलेन्स जोन में लगातार पेट्रोलिंग की जाती है. जब भी कोई शिकायत आती है, उस पर कार्रवाई की जाती है." -अमोलक सिंह ढिल्लो, एएसपी, सरगुजा
"साल 2022 में हमने शहर के चौराहे, जहां अधिक हल्ला रहता है. इन चौराहों में ड्यूटी करने वाले ट्रैफिक कर्मियों की जांच की थी. इनमें 50 लोगों में 12 लोगों में कम सुनाई देने की समस्या और 25 लोगों में हाई बीपी, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन की शिकायत पाई गई थी. उन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की भी जांच की गई थी, उनमें भी ऐसी ही समस्या पाई गई थी."-डॉ. शैलेंद्र गुप्ता, नोडल अधिकारी, बधिरता कार्यक्रम
तेज आवाज से लोगों के सेहत पर पड़ रहा असर: हाल ही में एक मामला सामने आया था, जिसमें डीजे की आवाज से युवक का ब्रेन हेमरेज हो गया. इसके साथ ही शहर में अमानक साइलेंसर भी ध्वनि प्रदूषण का कारण बन रहे है. यहां के स्थानीय निवासी कहते हैं कि, "यहां हमेशा शोर-शराबा होता है. कभी भी ये क्षेत्र शांत नहीं होता." कोलाहल अधिनियम के दायरे में डीजे संचालक सबसे पहले आते हैं. तीव्र ध्वनि वाले डीजे से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.