कवर्धा: एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान माओवादियों को तगड़ा झटका इस बार कवर्धा में लगा है. बोड़ला एरिया कमेटी के डिप्टी कमांडर रहे रमेश और उसकी पत्नी ने सरेंडर कर दिया. रमेश साल 2019 में नक्सली संगठन में बोड़ला एरिया कमेटी का डिप्टी कमांडर रह चुका है. शासन की ओर से पति पत्नी को पुनर्वास योजना के तहत 25 पच्चीस हजार की राशि दी गई है. कवर्धा में दो बड़े नक्सलियों का सरेंडर माओवादी विचारधारा के खिलाफ चल रही लड़ाई में बड़ी सफलता है.
कलेक्टर और एसपी के सामने सरेंडर: कवर्धा एसपी दफ्तर में सरेंडर करने वाले नक्सली दंपत्ति को कलेक्टर ने पुनर्वास योजना के तहत दी जाने वाली राशि सौंपी. कलेक्टर ने कहा कि सरकार की जो भी सुविधाएं हैं उसका लाभ इनको दिया जाएगा. कवर्धा एसपी धर्मेंद्र सिंह छवाई ने कहा कि रमेश माडावी सुकमा के पुवर्ती का रहने वाला है. साल 2009 में रमेश जगरगुंडा दलम का सदस्य बना. एक साल की ट्रेनिंग के बाद कुख्यात नक्सली रमन्ना का बॉडीगार्ड बना.
दो हार्डकोर नक्सलियों ने आज सरेंडर किया है. शासन की नीति के मुताबिक उनको पुनर्वास सहायता दी जा रही है - गोपाल वर्मा, कलेक्टर
साल 2015 से साल 2019 तक दोनों लोग कबीरधार में सक्रिय थे. बाद में अपने गांव लौट गए - धर्मेंद्र सिंह छवाई, एसपी, कवर्धा
कुख्यात नक्सली रमन्ना का बॉडीगार्ड बना: नक्सली रमन्ना का अंगरक्षक बनने के बाद साल 2015 में एमएमसी जोन का नक्सलियों ने गठन किया. उस वक्त संगठन ने रमेश को बोड़ला एरिया कमेटी का डिप्टी कमांडर और उसकी पत्नी रोशनी उर्फ हिड़मे को कमेटी का सदस्य बनाकर भेजा. रोशनी साल 2003 में नक्सल संगठन से जुड़ चुकी थी. रोशनी भी पुवर्ती गांव की ही रहने वाली है. नक्सल दंपत्ति साल 2015 से लेकर 2019 तक कबीरधाम में सक्रिय रहे. 2019 में दोनों गांव लौट गए लेकिन माओवादियों के संपर्क में लगातार बने रहे.