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वट सावित्री व्रत पर महिलाएं कर रही हैं वट वृक्ष की पूजा, मंदिरों में उमड़ी भीड़ - Vat Savitri Puja 2024 - VAT SAVITRI PUJA 2024

Vat Savitri Puja is celebrated in Haldwani आज गुरुवार 6 जून को ज्येष्ठ महीने की अमावस्या की तिथि है. आज शनि जयंती के साथ ही वट सावित्री व्रत और अमावस्या भी है. सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत पर वट वृक्ष की पूजा करके आशीर्वाद मांग रही हैं. आइए आपको बताते हैं, क्या है वट सावित्री व्रत और क्या है इसकी महत्ता.

Vat Savitri Puja
वट सावित्री व्रत (Photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 6, 2024, 10:13 AM IST

Updated : Jun 6, 2024, 11:18 AM IST

वट सावित्री पूजा करती महिलाएं (वीडियो- ईटीवी भारत)

हल्द्वानी: ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखने का विधान है. आज वट सावित्री का व्रत है. वट सावित्री व्रत के मौके पर महिलाएं सुबह से ही मंदिरों और वट वृक्ष की पूजा कर परिवार की सुख समृद्धि और पति की दीर्घायु की कामना कर रही हैं. पारंपरिक वेशभूषा में महिलाएं सजधज कर सुबह से ही वट वृक्ष के नीचे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना कर पति की लंबी उम्र की कामना कर रही हैं. साथ ही महिलाएं वट वृक्ष के नीचे बैठ कर सत्यवान और सावित्री की कथा को भी सुन रही है.
आज है वट सावित्री व्रत: मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा लगाकर विधि विधान से पूजा अर्चना करने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती भव: का आशीर्वाद मिलता है. पुराणों के अनुसार वट वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और अग्रभाग में शिव का वास माना गया है. यही कारण है कि महिलाएं अपने पति और परिवार की सुख शांति के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं. व्रत के दौरान बरगद के पेड़ के चारों ओर घूमकर महिलाएं रक्षा सूत्र बांध आशीर्वाद भी मांगती हैं.

सुहागिन महिलाएं कर रही हैं वट वृक्ष की पूजा: वट सावित्री व्रत करने वाली महिलाओं का कहना है कि यह सुहागिन महिलाओं का महत्वपूर्ण त्यौहार है. इस त्यौहार का वे पूरे साल बेसब्री से इंतजार करती हैं. शास्त्रों के अनुसार जेठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को जो स्त्रियां वट सावित्री की पूजा करती हैं, वे सौभाग्यवती बनी रहती हैं. साथ ही वटवृक्ष के अलावा ब्रह्मा और सावित्री की भी पूजा की जाती है.

मंदिरों में उमड़ी भीड़: हल्द्वानी के विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही महिलाओं की भीड़ उमड़ी हुई है. इस दौरान महिलाओं ने मंगल गीत भी गए और सुहाग सामग्रियों को पुरोहित को दान दिया. पुराणों के अनुसार यह व्रत सावित्री द्वारा अपने पति को पुन: जीवित करा लेने की स्मृति में रखा जाता है. वट वृक्ष की पूजा अखंड सौभाग्य और अक्षय उन्नति के लिए की जाती है. मान्यता है कि सावित्री ने वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस प्राप्त किया था.
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Last Updated : Jun 6, 2024, 11:18 AM IST

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