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हर साल की बाढ़ से बिहार में करोड़ों का नुकसान, स्थायी समाधान अब भी दूर - Flood in Bihar

RAIN IN NEPAL नेपाल में मूसलाधार बारिश से बिहार में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. जल संसाधन विभाग ने चेतावनी दी है कि नेपाल से आने वाले पानी से राज्य में भारी तबाही मच सकती है. आम जनता में चिंता बढ़ गई है. बिहार में हर साल बाढ़ से हजारों करोड़ रुपये का नुकसान होता है, सरकार को बचाव कार्यों पर बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है. पढ़ें, विस्तार से.

बिहार में बाढ़ का कहर
बिहार में बाढ़ का कहर. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 1, 2024, 5:14 PM IST

Updated : Jul 1, 2024, 5:52 PM IST

बिहार में बाढ़ का कहर. (ETV Bharat)

पटना: नेपाल में हो रही बारिश से बिहार में टेंशन बढ़ने लगा है. बिहार की नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर हाई लेवल बैठक की है. बिहार सरकार बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर हर साल करोड़ों की राशि खर्च करती है और बाढ़ आने पर बचाव मद में भी हजारों करोड़ों की राशि खर्च करती है. लेकिन, इस समस्या के स्थायी समाधान पर विचार नहीं हो पा रहा है.

नेपाल में बारिश से बढ़ती है चिंताः मानसून में जब भी नेपाल में बारिश होती है खासकर उत्तर बिहार के लोगों की चिंता बढ़ने लगती है. विशेषज्ञ कहते हैं कि बिहार के बाढ़ को लेकर एक वैज्ञानिक ढंग से व्यापक स्टडी की जरूरत है. उसके बाद नदी जोड़ योजना का काम हो या फिर नेपाल के इलाके में डैम बनाने का काम हो. नए तटबंध निर्माण के काम पर भी गंभीरता से पहल होनी चाहिए. पूर्व जल संसाधन मंत्री संजय झा भी कहते रहे हैं कि नेपाल में होने वाली बारिश से ज्यादा चिंता होती है.

ETV GFX (ETV Bharat)

बिहार में बाढ़ दिवस घोषितः 15 जून से लेकर 31 अक्टूबर तक पहले बाढ़ दिवस सरकार ने तय किया था. लेकिन, सरकार ने अब 1 जून से 31 अक्टूबर तक बाढ़ दिवस घोषित कर रखा है. इस दौरान विशेषज्ञों की टीम लगातार तटबंधों पर नजर रखती है. नदियों के जलस्तर और नेपाल में होने वाली बारिश पर भी नजर रखी जाती है. बता दें कि बाढ़ के समय सड़क, सरकारी भवन, स्कूल और अन्य सरकारी संपत्तियों और निजी संपत्तियों का भी नुकसान हजारों करोड़ में होता है. यह सिलसिला पिछले कई दशकों से चला आ रहा है.

ETV GFX (ETV Bharat)

नदियों के साथ छेड़छाड़ः नदियों पर काम करने वाले दिनेश मिश्रा का कहना है नदियों के साथ लगातार छेड़छाड़ किया गया है. तटबंध का निर्माण भी सही तरीके से नहीं हुआ है. नदियों में गाद भी बढ़ गया है. नेपाल के इलाके में बड़े पैमाने पर पेड़ काटा गया है, जिसके कारण पानी बिना रुके हुए बिहार के निचले हिस्सों में आ जाता है और वह तबाही मचाता है. ऐसे मुद्दों पर बिहार और भारत सरकार को नेपाल के साथ बातचीत करने की जरूरत है.

"नेपाल से आने वाले पानी के कारण बिहार में जो तबाही मचती है उसका असर बिहार की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. लोगों को 5-6 महीने तक अपने इलाके से दूर रहना पड़ता है. उन्हें फिर से पुनर्निर्माण करना पड़ता है, जिस पर बड़ी राशि खर्च होती है. उत्तर बिहार का बड़ा हिस्सा बाढ़ के कारण ही पिछड़ा हुआ है."- एनके चौधरी, अर्थ शास्त्री

खगड़िया में कटाव रोकने की तैयारी. (ETV Bharat)

बढ़ता जा रहा बाढ़ का इलाकाः ए एन सिन्हा इंस्टीच्यूट के विशेषज्ञ डॉक्टर विद्यार्थी विकास का कहना है कि नेपाल पहाड़ी इलाका है. बिहार लो लैंड वाला इलाका है. इस कारण नेपाल में जब भारी बारिश होती है तो वहां के पानी के कारण बिहार की नदियां में उफान भरने लगती हैं. बिहार में तटबंध का निर्माण पिछले 50 सालों में लगातार बढ़ता जा रहा है और बाढ़ का इलाका भी उसी तरह से बढ़ता जा रहा है. पहले 25 लाख हेक्टेयर बाढ़ प्रभावित इलाका था लेकिन आज 70 लाख हेक्टेयर से अधिक इलाका बाढ़ प्रभावित है.

क्या हो सकता है समाधानः विद्यार्थी विकास का कहना है कि नदियों में भी गाद भर गया है, इसलिए नदी तुरंत उफान भरने लगती है. उन्होंने कहा कि बिहार में आने वाली बाढ़ को लेकर वैज्ञानिक ढंग से व्यापक स्तर पर स्टडी करने की जरूरत है. नेपाल में डैम बनाने की मांग भी होती रही है, लेकिन आज की स्थितियों को देखते हुए लगता है कि पूरा रिसर्च हो और उसके आधार पर न केवल नदी जोड़ योजना, डैम बनाने की पहल और तटबंध का निर्माण सब कुछ तय किया जाए.

बढ़ रहा नदी का जलस्तर. (ETV Bharat)

"पिछले 50 साल में हजारों करोड़ का नुकसान हो चुका है और यह हर साल नुकसान होता है इसलिए कुछ हजार करोड़ रिसर्च में खर्च कर आगे की रणनीति तैयार की जाए जिससे बिहार को बाढ़ से निजात मिल सके."-डॉ विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट

तटबंध की सुरक्षा पर कितने खर्च हुएः बिहार सरकार की ओर से पिछले 5 वर्षों में तटबंध की सुरक्षा पर 5500 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. 37 स्थान पर तटबंध टूटे हैं ऐसे पिछले 35 वर्षों में 103 स्थान पर 31 तटबंध टूटे हैं, जिनमें सर्वाधिक टूट कमला बलान नदी में हुई है. 29 स्थान पर कमल बलान टूटी है. कोसी का बड़ा हिस्सा बाढ़ प्रभावित है. नदियों पर तटबंध निर्माण और सुरक्षा में बड़ी राशि हर साल खर्च हो रही है, लेकिन बाढ़ का डर हर साल बढ़ता जा रहा है.

सीतामढ़ी में लगा बाढ़ का पानी. (ETV Bharat)

नेपाल के पानी को मैनेज की व्यवस्था नहींः बाढ़ को लेकर एएन सिंहा इंस्टीट्यूट सहित कई संस्थाओं द्वारा स्टडी की गयी है. सरकार के स्तर पर कभी भी उत्तर बिहार में आने वाली बाढ़ को लेकर व्यापक स्टडी नहीं हुई है. बिहार में बाढ़ को लेकर सरकार के स्तर पर कई तैयारी की जाती है. बाढ़ जब आता है तो आपदा प्रबंधन विभाग जिला प्रशासन के सहयोग से बचाव कार्य भी चलाता है, जिस पर हजारों करोड़ों की राशि खर्च होती है.

डबल इंजन सरकार से उम्मीदः बिहार के पूर्व जल संसाधन मंत्री संजय झा लगातार कहते रहे हैं कि नेपाल में डैम बनाकर ही बिहार को बाढ़ से निजात दिलाया जा सकता है. केंद्र में अब जदयू भी सरकार में प्रमुख भागीदार है. संजय झा, राज्य सभा में सांसद हैं. ऐसे में देखना होगा कि नेपाल में डैम बनाने का मुद्दा हो या फिर बिहार को बाढ़ से निजात दिलाने का कोई और उपाय उस पर पहल होता है या नहीं. फिलहाल नेपाल से आने वाली पानी का बिहार के जल संसाधन विभाग के पास रोकने का कोई उपाय नहीं है.

जल नियंत्रण बोर्ड का आंकड़ा (CE, Flood Control And drainage Patna)

नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा:पिछले कई दिनों से बिहार के अलग-अलग हिस्सों में बारिश हो रही है. जिस वजह से गंगा समेत सभी नदियों का जलस्तरबढ़ने लगा है. नेपाल के जल ग्रहण क्षेत्र में भी बारिश ने नदियों के जलस्तर को बढ़ा दिया है. कोसी, बागमती, गंडक, बूढ़ी गंडक, गंगा, सोन और पुनपुन में भी जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. हालांकि जलस्तर अभी खतरे के निशान से नीचे है. कोसी बराज में रविवार को शाम को 1 लाख 96 हजार 405 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है.

डेंजर लेवल से नीचे है:जल संसाधन विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार गंगा नदी का पटना के दीघा घाट में अभी जलस्तर 45 मीटर बना हुआ है. गांधी घाट में गंगा नदी 43 मीटर है. पटना के हाथीदह में गंगा नदी का जलस्तर अभी 35.22 मीटर है. सोन नदी का पटना के कोईलवर में जलस्तर 46.21 मीटर है. वहीं पुनपुन नदी का पटना के श्रीपालपुर में जलस्तर 44.66 मीटर है. पिछले एक सप्ताह में नदियों का जलस्तर बढ़ा है, लेकिन डेंजर लेवल से नीचे है.

खगड़िया में कटाव शुरू: खगड़िया के चौथम प्रखंड के सरसावा पंचायत के शिसवा गांव में कटाव शुरू हो गया है. बढ़ते जलस्तर को देखते हुए ग्रामीण बांस को काटकर नदी में गिरा रहे हैं. जिससे की कटाव की रफ्तार धीमी हो जाए. ग्रामीण खुद से दिन-रात कटाव रोकने में जुटे हुए हैं, लेकिन रुकने का नाम नहीं ले रहा है. धीरे-धीरे खेती युक्त जमीन कटाव का शिकार हो रही है. इसी तरह कटाव जारी रहा तो आने वाले समय में गांव का अस्तित्व खत्म हो जाएगा.

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Last Updated : Jul 1, 2024, 5:52 PM IST

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