पटनाः शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बात भी नहीं मान रहे हैं. विपक्ष ऐसा आरोप लगा रहे थे, अब सत्ता पक्ष के लोगों ने भी यह आरोप लगाने शुरु कर दिये हैं. गुरुवार 29 फरवरी को बिहार विधान परिषद की कार्यवाही के दौरान भाजपा और जदयू के पार्षदों ने केके पाठक पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया. इस दौरान शिक्षा मंत्री ने सदन में सफाई भी दी पर वो हंगामा करते रहे.
केके पाठक पर कार्रवाई की मांगः विधान परिषद में डॉक्टर संजीव सिंह और नवल किशोर यादव ने केके पाठक पर आरोप लगाया कि वह मुख्यमंत्री के बातों को नहीं मान रहे हैं, जो कि गलत है. डॉक्टर संजीव सिंह ने इतना तक कह दिया कि जिस तरह की कार्यशैली पाठक की है उससे लगता है कि बिहार में विधायिका से ऊपर कार्यपालिका हो गई है. उन्होंने कहा की ऐसे अधिकारी पर विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है. बीजेपी के विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने कहा कि केके पाठक को मुख्यमंत्री की बात मान तुरंत आदेश निकालना चाहिए था.
मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं थे सत्ता पक्ष के पार्षदः सत्ता पक्ष के पार्षदों ने जब सवाल उठाया तो सदन में शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने जवाब दिया. सदन को आश्वस्त किया कि मुख्यमंत्री ने जो कहा है वो होगा. आप लोग इत्मीनान से रहिए. वाबजूद इसके सदन में सत्ता पक्ष के विधान पार्षद केके पाठक पर कारवाई की मांग करते रहे. उन्हें सदन में बुलाया जाने की मांग की. जब पार्षद शिक्षा मंत्री के बयान से संतुष्ट नहीं दिखे तो सभापति ने खुद सदस्यों को आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री ने जो कहा है उसपर विचार होगा. जो अधिकारी आदेश नहीं मानेंगे उसपर कारवाई होगी, तब जाकर सत्ता पक्ष के सदस्य शांत हुए.