जयपुर : राइजिंग राजस्थान समिट में निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा पर हैं. कांग्रेस ने गोपालगढ़ दंगों से जुड़े केस में मिली अग्रिम जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाकर सीएम की विदेश यात्रा पर सवाल खड़े किए हैं. इस संबंध में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री से जवाब देने की मांग की है.
गोविंद सिंह डोटासरा ने X पर पोस्ट में लिखा कि "CBI द्वारा दर्ज एक प्रकरण में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा 2013 से जमानत पर हैं और मामला फिलहाल न्यायालय में लंबित है. कोर्ट से बिना अनुमति लिए विदेश जाकर मुख्यमंत्री ने न्यायालय द्वारा दी गई जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है. मुख्यमंत्री जैसे जिम्मेदार एवं संवैधानिक पद वाले व्यक्ति द्वारा की गई यह त्रुटि गंभीर है."
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10 सितंबर 2013 को दी सशर्त अग्रिम जमानत :नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने X पर पोस्ट में लिखा कि "मीडिया के माध्यम से जानकारी में आया है कि अधिवक्ता सांवर चौधरी ने अदालत में याचिका दर्ज कर बताया है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गोपालगढ़ दंगों से संबंधित FIR RC/05/SC-III/2011, PS CBI-III, New Dellhi के चल रहे ट्रायल के बीच अदालत की अनुमति के बिना विदेश यात्रा कर अग्रिम जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है. इस मुकदमे में भजनलाल को 10 सितंबर 2013 को सशर्त अग्रिम जमानत दी गई.
बिना कोर्ट की अनुमति विदेश जाने पर रोक :जूली ने आगे लिखा, इस मामले में न्यायालय की पूर्वानुमति के बिना देश की सीमा के बाहर जाना अनुमत नहीं है. परन्तु मुख्यमंत्री बिना अदालत की अनुमति के दक्षिण कोरिया एवं जापान यात्रा पर गए हैं. मुख्यमंत्री खुद अगर इस तरह कानून से खिलवाड़ करेंगे तो जनता में क्या संदेश जाएगा. इस मामले पर मुख्यमंत्री को अविलंब अपना पक्ष स्पष्ट तौर पर रखना चाहिए जिससे सच जनता के सामने आ सके.
आप ने भी जताई आपत्ति :आम आदमी पार्टी की ओर से एक्स पर पोस्ट कर बयान जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि गंभीर मामले में जमानत पर चल रहे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा बिना कोर्ट की अनुमति लिए विदेशी दौरे पर चले गए. क्या यह न्यायालय की अवमानना नहीं है? अगर संवैधानिक पद बैठा व्यक्ति ही कानून को तोड़ेगा तो संविधान की रक्षा कैसे होगी. न्यायालय को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए.