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दिल्ली चुनाव: संसदीय और विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग-अलग, क्या बदलेगा सियासी समीकरण? - DELHI ASSEMBLY ELECTION

लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली की सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी, विधानसभा चुनाव में क्या होगा समीकरण? गौतम देब रॉय की रिपोर्ट.

PM modi and Arvind kejriwal.
पीएम मोदी और अरविंद केजरीवाल. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 22, 2025, 2:51 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है, प्रचार अभियान तेज हो रहा है. पिछले विधानसभा में 62 विधायक आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और आठ विधायक भारतीय जनता पार्टी के थे. लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने दिल्ली की सभी सातों सीटों पर कब्जा जमाया. इसके बाद भी बीजेपी विधानसभा चुनाव को हल्के में नहीं ले रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के शीर्ष नेता मेगा प्रचार करने के लिए तैयार हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना ​​है कि संसदीय चुनाव और विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग-अलग होते हैं.

दोनों चुनाव अलग-अलगः प्रसिद्ध राजनीतिक विशेषज्ञ और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रो. अपूर्वानंद ने ईटीवी भारत से कहा, "जहां मतदाता लोकसभा चुनाव में किसी विशेष पार्टी का समर्थन करते हैं, वे विधानसभा चुनाव में उसी पार्टी के खिलाफ मतदान कर सकते हैं." क्या, लोकसभा चुनाव का विधानसभा चुनाव पर भी प्रभाव पड़ सकता है, इस सवाल पर प्रो. अपूर्वानंद ने कहा कि ऐसा हर बार सभी निर्वाचन क्षेत्रों में नहीं होता है.

Arvind Kejriwal attends a public rally
अरविंद केजरीवाल मंगलवार, 21 जनवरी को नई दिल्ली में पार्टी उम्मीदवार मुकेश गोयल के समर्थन में एक जनसभा में शामिल हुए. (IANS)

क्या कहते हैं विशेषज्ञः प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा- "अक्सर हमने देखा है कि एक ही निर्वाचन क्षेत्र और एक ही मतदाता अलग-अलग चुनावों में अलग-अलग निर्णय लेते हैं. दिल्ली में हमने एक पैटर्न देखा है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में केजरीवाल या आप को वोट देने वाले मतदाताओं ने लोकसभा में भाजपा को वोट दिया. पिछले चुनाव में भी ऐसा ही देखने को मिला था और इस बार भी ऐसा हो सकता है. मतदाता विधानसभा में फिर से आप को वोट दे सकते हैं, भले ही उन्होंने लोकसभा में भाजपा को वोट दिया हो."

इंडिया ब्लॉक में बिखरावः मोदी, शाह और योगी गणतंत्र दिवस समारोह के बाद दिल्ली में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. भाजपा और आप दोनों ही 40-40 स्टार प्रचारकों के साथ अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं. दूसरी ओर कांग्रेस भी पीछे नहीं है. दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस और आप सहित इंडिया ब्लॉक में गठबंधन सहयोगी दिल्ली चुनाव अलग-अलग लड़ रहे हैं. भाजपा के साथ कई मुद्दों पर एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं. एनडीए एक साथ लड़ रहा है. भाजपा ने 70 में से 68 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है. दो सीटें जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के लिए छोड़ दी है.

Nayab Singh Saini.
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मंगलवार 21 जनवरी को राजेंद्र नगर से भाजपा उम्मीदवार उमंग बजाज के समर्थन में एक जनसभा की. (IANS)

स्थानीय मुद्दे मायने रखते हैंः प्रो. अपूर्वानंद कहते हैं "विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दे मायने रखते हैं. सांसद कानून निर्माता होते हैं और लोग उन्हें कानून बनाने के लिए चुनते हैं. उदाहरण के लिए, पार्टी का दावा है कि वे निर्वाचन क्षेत्रों में सड़कें और अस्पताल बनवाएंगी. लेकिन आरोप लगाए जाते हैं कि पांच साल तक सांसद बनने के बाद एक व्यक्ति ने निर्वाचन क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया. हालांकि, अस्पताल या सड़कें बनवाना सांसद का काम नहीं है. यह भारत में एक चलन बन गया है. हालांकि स्थानीय मुद्दे विधानसभा चुनावों में अपनी भूमिका निभाते हैं, लेकिन बड़े मुद्दे भी मायने रखते हैं, जिसमें पार्टी किस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती है."

Chief Minister Atishi addresses a press conference
मुख्यमंत्री आतिशी बुधवार, 22 जनवरी को नई दिल्ली में पंडित रविशंकर शुक्ला लेन स्थित आप मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करती हुई. (IANS)

कांग्रेस की संभावनाः प्रो. अपूर्वानंद के अनुसार, कांग्रेस ने इस चुनाव में अपनी पूरी संगठनात्मक ऊर्जा नहीं लगाई है. "कांग्रेस ने लोगों को आप और भाजपा के बीच चुनाव करने के लिए मजबूर कर दिया. मतदाताओं का एक वर्ग ऐसा है, जो कांग्रेस को वोट देना चाहता है. उनका यह भी मानना ​​है कि अगर वे कांग्रेस को वोट देते हैं, तो उनका वोट बेकार नहीं जाएगा. इसलिए, इस मौजूदा परिदृश्य में, यह आप और भाजपा के बीच की लड़ाई है. हालांकि, अगर कांग्रेस अपने कामों को एक साथ करती है, तो चीजें अलग-अलग दिशाओं में जा सकती हैं."

Union Minister Harsh Malhotra and BJP MP Manoj Tiwari.
मंगलवार, 21 जनवरी को दिल्ली भाजपा कार्यालय में केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा ​​और भाजपा सांसद मनोज तिवारी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए आप नेता. (IANS)

दिल्ली विधानसभा के आंकड़ेः सातवीं दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 62 विधायक हैं, जो कुल विधानसभा सीटों का 89 प्रतिशत है. दूसरी ओर, आठ विधायक भारतीय जनता पार्टी के हैं, जो कुल विधानसभा सीटों का 11 प्रतिशत है. 2015 में अपने पहले चुनाव के बाद आप के 67 विधायक थे, जबकि भाजपा के 3 विधायक थे. दिलचस्प बात यह है कि 2024 के संसदीय चुनाव में दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटों पर भाजपा ने कब्ज़ा कर लिया है.

MP Sanjay Singh
राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मंगलवार, 21 जनवरी, 2025 को नई दिल्ली में पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. (IANS)

इसे भी पढ़ेंः दिल्ली चुनाव में BJP की Team 27, विपक्ष को धूल चटाने के लिए लगा देंगे पूरा जोर! देखें पूरी लिस्ट

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नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है, प्रचार अभियान तेज हो रहा है. पिछले विधानसभा में 62 विधायक आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और आठ विधायक भारतीय जनता पार्टी के थे. लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने दिल्ली की सभी सातों सीटों पर कब्जा जमाया. इसके बाद भी बीजेपी विधानसभा चुनाव को हल्के में नहीं ले रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के शीर्ष नेता मेगा प्रचार करने के लिए तैयार हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना ​​है कि संसदीय चुनाव और विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग-अलग होते हैं.

दोनों चुनाव अलग-अलगः प्रसिद्ध राजनीतिक विशेषज्ञ और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रो. अपूर्वानंद ने ईटीवी भारत से कहा, "जहां मतदाता लोकसभा चुनाव में किसी विशेष पार्टी का समर्थन करते हैं, वे विधानसभा चुनाव में उसी पार्टी के खिलाफ मतदान कर सकते हैं." क्या, लोकसभा चुनाव का विधानसभा चुनाव पर भी प्रभाव पड़ सकता है, इस सवाल पर प्रो. अपूर्वानंद ने कहा कि ऐसा हर बार सभी निर्वाचन क्षेत्रों में नहीं होता है.

Arvind Kejriwal attends a public rally
अरविंद केजरीवाल मंगलवार, 21 जनवरी को नई दिल्ली में पार्टी उम्मीदवार मुकेश गोयल के समर्थन में एक जनसभा में शामिल हुए. (IANS)

क्या कहते हैं विशेषज्ञः प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा- "अक्सर हमने देखा है कि एक ही निर्वाचन क्षेत्र और एक ही मतदाता अलग-अलग चुनावों में अलग-अलग निर्णय लेते हैं. दिल्ली में हमने एक पैटर्न देखा है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में केजरीवाल या आप को वोट देने वाले मतदाताओं ने लोकसभा में भाजपा को वोट दिया. पिछले चुनाव में भी ऐसा ही देखने को मिला था और इस बार भी ऐसा हो सकता है. मतदाता विधानसभा में फिर से आप को वोट दे सकते हैं, भले ही उन्होंने लोकसभा में भाजपा को वोट दिया हो."

इंडिया ब्लॉक में बिखरावः मोदी, शाह और योगी गणतंत्र दिवस समारोह के बाद दिल्ली में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. भाजपा और आप दोनों ही 40-40 स्टार प्रचारकों के साथ अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं. दूसरी ओर कांग्रेस भी पीछे नहीं है. दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस और आप सहित इंडिया ब्लॉक में गठबंधन सहयोगी दिल्ली चुनाव अलग-अलग लड़ रहे हैं. भाजपा के साथ कई मुद्दों पर एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं. एनडीए एक साथ लड़ रहा है. भाजपा ने 70 में से 68 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है. दो सीटें जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के लिए छोड़ दी है.

Nayab Singh Saini.
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मंगलवार 21 जनवरी को राजेंद्र नगर से भाजपा उम्मीदवार उमंग बजाज के समर्थन में एक जनसभा की. (IANS)

स्थानीय मुद्दे मायने रखते हैंः प्रो. अपूर्वानंद कहते हैं "विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दे मायने रखते हैं. सांसद कानून निर्माता होते हैं और लोग उन्हें कानून बनाने के लिए चुनते हैं. उदाहरण के लिए, पार्टी का दावा है कि वे निर्वाचन क्षेत्रों में सड़कें और अस्पताल बनवाएंगी. लेकिन आरोप लगाए जाते हैं कि पांच साल तक सांसद बनने के बाद एक व्यक्ति ने निर्वाचन क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया. हालांकि, अस्पताल या सड़कें बनवाना सांसद का काम नहीं है. यह भारत में एक चलन बन गया है. हालांकि स्थानीय मुद्दे विधानसभा चुनावों में अपनी भूमिका निभाते हैं, लेकिन बड़े मुद्दे भी मायने रखते हैं, जिसमें पार्टी किस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती है."

Chief Minister Atishi addresses a press conference
मुख्यमंत्री आतिशी बुधवार, 22 जनवरी को नई दिल्ली में पंडित रविशंकर शुक्ला लेन स्थित आप मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करती हुई. (IANS)

कांग्रेस की संभावनाः प्रो. अपूर्वानंद के अनुसार, कांग्रेस ने इस चुनाव में अपनी पूरी संगठनात्मक ऊर्जा नहीं लगाई है. "कांग्रेस ने लोगों को आप और भाजपा के बीच चुनाव करने के लिए मजबूर कर दिया. मतदाताओं का एक वर्ग ऐसा है, जो कांग्रेस को वोट देना चाहता है. उनका यह भी मानना ​​है कि अगर वे कांग्रेस को वोट देते हैं, तो उनका वोट बेकार नहीं जाएगा. इसलिए, इस मौजूदा परिदृश्य में, यह आप और भाजपा के बीच की लड़ाई है. हालांकि, अगर कांग्रेस अपने कामों को एक साथ करती है, तो चीजें अलग-अलग दिशाओं में जा सकती हैं."

Union Minister Harsh Malhotra and BJP MP Manoj Tiwari.
मंगलवार, 21 जनवरी को दिल्ली भाजपा कार्यालय में केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा ​​और भाजपा सांसद मनोज तिवारी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए आप नेता. (IANS)

दिल्ली विधानसभा के आंकड़ेः सातवीं दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 62 विधायक हैं, जो कुल विधानसभा सीटों का 89 प्रतिशत है. दूसरी ओर, आठ विधायक भारतीय जनता पार्टी के हैं, जो कुल विधानसभा सीटों का 11 प्रतिशत है. 2015 में अपने पहले चुनाव के बाद आप के 67 विधायक थे, जबकि भाजपा के 3 विधायक थे. दिलचस्प बात यह है कि 2024 के संसदीय चुनाव में दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटों पर भाजपा ने कब्ज़ा कर लिया है.

MP Sanjay Singh
राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मंगलवार, 21 जनवरी, 2025 को नई दिल्ली में पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. (IANS)

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