कोटा :देशभर से छात्र कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने के लिए पहुंचते हैं. इन छात्रों साल में केवल एक बार दिवाली पर ही लंबा वेकेशन मिलता है. कोटा में कोचिंग कर रहे छात्रों को एक सप्ताह की छुट्टी मिलती है. इसमें अधिकांश बच्चे अपने घर पर दिवाली और छठ पूजा के लिए जाते हैं, लेकिन इन छात्रों को घर पहुंतने के लिए ट्रेनों में लंबी वेटिंग और नो रूम की स्थिति का सामना करना पड़ता है. हालात ऐसे हैं कि इन बच्चों की छुट्टियां शनिवार से शुरू हो रही हैं, लेकिन छात्रों को तीन से चार दिन पहले से ही जाना पड़ रहा है, क्योंकि बाद में ट्रेनों में जगह नहीं मिलेगी. यूपी और लंबी दूरी तय करने वाले बच्चे अभी से घर जाने लगे हैं.
दूसरी तरफ त्यौहार को देखते हुए बसों का भी किराया बढ़ गया है. हालात ऐसे हैं कि कई रूट पर तो 60 फ़ीसदी तक किराया बढ़ गया है. जिन रूटों पर ट्रेन का टिकट नहीं मिल पा रहा है, उनमें कोचिंग विद्यार्थियों को ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इन रूटों पर निजी बस ऑपरेटर ज्यादा किराया वसूल रहे हैं. इसमें उदयपुर, जयपुर, जोधपुर, इंदौर, उज्जैन, लखनऊ, कानपुर, झांसी, ग्वालियर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, देहरादून, हरिद्वार, दिल्ली व अहमदाबाद शामिल है. इधर परिवहन विभाग के कार्यवाहक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी राजीव त्यागी का कहना है कि फेस्टिवल सीजन या फिर यात्री भार बढ़ने पर यह किराया ज्यादा हुआ है तो मामले की जानकारी ली जाएगी.
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इन रूटों पर ट्रेनों में है लंबी वेटिंग :कोटा से दिल्ली, यूपी, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ जाने वाली अधिकांश ट्रेनों में रिग्रेट, नो रूम और लंबी वेटिंग जैसे हालात हैं. इनमें अभी से नवंबर के पहले वीक तक रिजर्वेशन मिलना मुश्किल है. रेलवे फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनें भी चला रहा है, लेकिन जैसे ही ट्रेन की घोषणा होती है और उसमें रिजर्वेशन ओपन होता है तो ट्रेन तुरंत ही फुल हो जाती है. रेलवे ने इसी साल अपना नियम भी बदला है कि वेटिंग के टिकट पर आरक्षित कोच में यात्रा नहीं कर पाएंगे. इसका खामियां भी छात्रों को उठाना पड़ेगा.
टैक्स ज्यादा और लौटती हैं खाली :वहीं, बढ़ें हुए किराएको लेकरबस ऑपरेटर अशोक चांदना का कहना है कि कोचिंग विद्यार्थियों के लिए स्पेसिफिक बसें ऑपरेटर भेज रहे हैं. वापसी में इन बसों में यात्रियों की संख्या कम ही रहती है. पूरा खर्चा नहीं निकल पाता है, इसलिए एक रुट में बच्चों को सुविधा देने के लिए ही ज्यादा किराया लिया जाता है. इसीलिए करीब 60 फीसदी तक किराया बढ़ जाता है. यह किराया ऑनलाइन बुकिंग करने वाले भी बढ़ा देते हैं. वह भी अपना ज्यादा मार्जिन इसमें लेते हैं. दीपावली पर अतिरिक्त बसें हमें लगानी पड़ती हैं. इन बसों का अतिरिक्त टैक्स व टोल टैक्स भी दोनों तरफ का होता है. टैक्स के कारण उन्हें 1 दिन बस चलने पर भी 3 गुना पैसा देना पड़ता है. इसके अलावा वापसी में जब खाली लौटती है तो उसका ऑपरेटिंग कॉस्ट भी इस किराए में जुड़ जाता है. इसके अलावा त्यौहार होने पर चालक-परिचालक को भी भेजने पर उसे ज्यादा राशि देनी पड़ती है.