जयपुर. कर्नाटक में आज से शुरू होने जा रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक को नव सत्याग्रह का नाम दिया गया है. इस बैठक में पार्टी अगले साल के प्रमुख कार्यक्रम के अलावा अहम मसलों पर भी बात करेगी. जाहिर है की बैठक के बाद पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी, एक दर्जन के करीब प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी के पद में भी बदलाव के आसार हैं. बताया जा रहा है कि इस दौरान कांग्रेस के नए राष्ट्रीय महासचिव को लेकर भी फैसला होने जा रहा है, इस रेस में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम सबसे आगे है. गौरतलब है कि इसके पहले साल 1924 में 26 दिसंबर को कर्नाटक में ही कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ था, जिसमें महात्मा गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था. कांग्रेस इस शताब्दी के मौके को दो दिवसीय समारोह के रूप में मान रही है. शुक्रवार को जय बापू, जय भीम, जय संविधान के नारे के साथ पार्टी के नेता यहां एक रैली भी निकालेंगे.
गहलोत के नाम की चर्चा तेज : पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस संगठन महासचिव बनाए जाने की चर्चा अब पार्टी के गलियारों में तेज हो चुकी है. मौजूदा संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल एक बार फिर केरल में सक्रिय देखेंगे, उन्हें बतौर प्रदेश अध्यक्ष देखा जा सकता हैं. जाहिर है कि उत्तर भारत के वरिष्ठ नेता को संगठन महासचिव का पद सौंप कर पार्टी हिंदी बेल्ट में पार्टी की रणनीति को प्रभावी रूप से लागू करने की तैयारी कर रही है. ऐसे में तीन बार के मुख्यमंत्री के अलावा गांधी परिवार के करीबी और दिल्ली में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके अशोक गहलोत का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है. कांग्रेस संगठन महासचिव के पद की दौड़ में हिंदी पट्टी के नेताओं में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन और महाराष्ट्र से मुकुल वासनिक के नाम की भी चर्चा है.
राजस्थान के यह छह नेता रहेंगे सीडब्ल्यूसी में : बेलगांव में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राजस्थान की 6 नेता शिरकत करने जा रहे हैं. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट, वरिष्ठ नेता जितेंद्र सिंह, मोहन प्रकाश, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी शामिल है. अगले दिन रैली में AICC सचिवों को भी बुलाया गया है. कांग्रेस वर्किंग कमेटी की विस्तारित बैठक आज कर्नाटक के बेलगांव में होने जा रही है. इस बैठक में पार्टी की आगामी रणनीति और एजेंडे पर चर्चा की जाएगी. इसके साथ ही इस रणनीति और एजेंडे को धरातल पर उतारने के लिए 'नव सत्याग्रह' का आगाज होगा. इस बैठक में राजस्थान के प्रमुख कांग्रेस नेता भी शामिल होंगे. दरअसल, बेलगावी और महात्मा गांधी का 100 साल पुराना नाता है. महात्मा गांधी 26 दिसंबर 1924 को बेलगावी में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 39वें अधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. ऐसे में महात्मा गांधी के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के शताब्दी वर्ष के मौके पर कांग्रेस 'नव सत्याग्रह' का आगाज करने जा रही है.
सर्वसम्मति से पहली बार संभाली थी कमान : कांग्रेस की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा गया, तारीख- 26 दिसंबर 1924, जगह- बेलगावी (कर्नाटक), मौका- कांग्रेस का 39वां अधिवेशन. कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ. देश की आजादी की लड़ाई में मील का पत्थर साबित हुए इस अधिवेशन में सर्वसम्मति से महात्मा गांधी को पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया.
तारीख- 26 दिसंबर 1924
— Congress (@INCIndia) December 25, 2024
जगह- बेलगावी (कर्नाटक)
मौका- कांग्रेस का 39वां अधिवेशन
कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस का 39वां अधिवेशन हुआ. देश की आजादी की लड़ाई में मील का पत्थर साबित हुए इस अधिवेशन में सर्वसम्मति से गांधी जी को पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया.…
महात्मा गांधी को अध्यक्ष बने 100 साल : पोस्ट में आगे लिखा, इस अधिवेशन में देश के कोने-कोने से हजारों लोग आए. अधिवेशन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कांग्रेस की कमान मिली और बतौर अध्यक्ष उन्होंने जो संदेश दिए, उनका आजादी की लड़ाई में जोरदार असर देखा गया. साल 2024, उसी ऐतिहासिक अधिवेशन का शताब्दी वर्ष है. 100 साल की इस यात्रा में देश ने कई उतार-चढ़ाव देखे. इन तमाम उतार-चढ़ावों के दौरान गांधी जी के वही संदेश आज के भारत के लिए भी बेहद जरूरी और प्रासंगिक बने हुए हैं.
महात्मा गांधी ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया : महात्मा गांधी ने सभी देशवासियों से अपने आपसी मतभेदों को भुला, एकजुट होकर अत्याचारी ब्रिटिश हूकुमत के खिलाफ लड़ाई लड़ने का आह्वान किया था. खिलाफत आंदोलन के बाद हिंदुओं और मुसलमानों के बीच उपजी खाई को पाटकर पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोया. स्वराज के संकल्प पर बात करते हुए गांधी ने कहा कि जब तक हम जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर एक-दूसरे के साथ भेदभाव करेंगे, उन्हें अछूत मानते रहेंगे, तब तक स्वराज का संकल्प अधूरा ही रहेगा.
जागरूक लोगों की राजनीती में भागीदारी जरूरी : महात्मा गांधी ने कहा था, कि जब तक देश के शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे जागरूक लोगों की राजनीति में भागीदारी नहीं होगी, तब तक देश में परिवर्तन का संकल्प मुश्किल होगा. उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को बताया कि अंग्रेजों की तानाशाही के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार अहिंसा और विनम्रतापूर्वक अवज्ञा है. अगर हम अंग्रेजों का कहा नहीं करेंगे तो उनकी व्यवस्था खुद ही ध्वस्त हो जाएगी. इसी के कुछ साल बाद 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई.
बाबा साहेब और संविधान का भी जिक्र : इस पोस्ट में कहा गया, अब 100 साल बाद यानी 2024 की बात करते हैं. ये एक ऐसा दौर है जब भाजपा बाबा साहेब के संविधान की धज्जियां उड़ाकर, देश के नायकों का अपमान कर, जाति-धर्म के आधार पर नफरत भड़काकर देश की एकता को खंडित करना चाहती है. नफरत और हिंसा के इस दौर में भी कांग्रेस पार्टी गांधी के दिखाए मार्ग पर चलकर उनके दिए संस्कारों, सीखों और मूल्यों को मजबूती से आत्मसात करने को तत्पर है.
सत्याग्रह से नव सत्याग्रह तक: कांग्रेस पार्टी की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक उसी बेलगांव में 26 दिसंबर, 2024 को होने जा रही है, जहां से गांधी जी ने भारत को सद्भाव, एकता, प्रेम और तानाशाह ताकतों के प्रति अवज्ञा का मूल्य सिखाया था. कांग्रेस पार्टी और उसके करोड़ों कार्यकर्ता आज सत्य, अहिंसा और प्रेम के गांधीवादी आदर्शों को पुनर्जीवित करने के लिए पूरी निष्ठा से तत्पर हैं.