GREEN VEGETABLES PRICE HIKE:कहा जाता है कि अगर दाल और सब्जियां महंगी हो जाए, तो गरीब मिर्च और हरी धनिया की चटनी में भी अपना गुजारा कर लेता है, लेकिन अब गरीब की थाली से चटनी भी दूर होती नजर आ रही है. थोक एवं फुटकर बाजार में हरी सब्जियों के दाम लंबे समय से तेजी पर चल रहे हैं. महंगाई के कारण घरों में गृहणियों का आर्थिक बजट भी बिगड़ने लगा है. यही नहीं हरा धनिया, हरी मिर्च, टमाटर, प्याज और लहसुन के दामों में उछाल के कारण घरों में चटनी बनाना और सब्जी का तड़का लगाना भी महंगा हो गया है. अब गृहणियां चटनी व सब्जी का विकल्प ढूंढने लगी हैं.
गरीब की थाली से दूर हुई चटनी-रोटी
सब्जी विक्रेताओं ने बताया कि 'इन दिनों हरा धनिया 200 से 300 रुपए, लहसुन 300 से 400 रुपए, मेथी 200 से 250 रुपए, ककोड़ा व हरा मटर 200 से 240 रुपए प्रति किलो के भाव से फुटकर में बेचा जा रहा है. इसी तरह हरी मिर्च, गोभी, सेमी, पालक, परमल 60 से 80 रुपए प्रतिकिलो के दाम पर बिक रहे हैं. यही नहीं मुनगा (कौसे) फर्रास के दाम 100 रुपए प्रतिकिलो के पार चल रहे हैं. जबकि आलू, प्याज व टमाटर में भी लोगों को राहत नहीं मिल रही है. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में भी नई उपज आने तक सब्जियों के दामों में तेजी बनी रह सकती है.'
मौसम से बिगड़ा सब्जियों का मिजाज,आवक हुई कम
मौसम में लगातार हो रहे बदलाव, कभी बारिश कभी धूप के कारण खेतों में हरी सब्जियां खराब हो रही हैं. उनका उत्पादन व क्वालिटी पर भी असर पड़ रहा है. इस वजह से बाजार में हरी सब्जियों की आवक इन दिनों कम हो रही है. आवक घटने के कारण दामों में तेजी बनी हुई है. विक्रेताओं के अनुसार बारिश की नई सब्जियां आने के बाद आवक बढ़ने पर भाव में गिरावट की संभावना की जा सकती है.
घर में दूसरे विकल्प की तलाश कर रही महिलाएं
गृहणी राजू चौहान ने बताया कि 'सब्जियों के दामों में आ रही महंगाई के कारण अब चटनी बनाना और सब्जियों के लिए तड़का लगाना भी मुश्किल होने लगा है. घर में अन्य विकल्प तलाश कर भोजन बना रहे हैं. दूसरी गृहणी सुनीता इरपाची का कहना है कि दाल और तेल के भाव में अभी राहत नहीं मिली है, अब हरी सब्जियों के दाम भी तेजी पर आ गए हैं. घर में हरी सब्जियों का स्वाद लेना भी दूभर होने लगा है.'