छिन्दवाड़ा: महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी. इस वर्ष महाशिवरात्रि पर्व विशेष शुभ संयोग लेकर आ रहा है. इस दिन सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में रहेंगे. करीब डेढ़ सौ वर्ष बाद यह संयोग बनने जा रहा है. खास बात यह है कि लगभग डेढ़ सौ साल पहले जब ऐसा संयोग बना था तब भी बुधवार को महाशिवरात्रि पर्व मनाया गया था. इस वर्ष भी बुधवार को महाशिवरात्रि है.
महाशिवरात्रि में बन रहा मालव्य योग
ज्योतिषाचार्य डॉ. वैभव अलोणी ने बताया कि "शिवरात्रि पर शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा, जिससे मालव्य राजयोग बनेगा. राहु भी मीन राशि में स्थित होगा, जिससे शुक्र-राहु की युति बनेगी. कुंभ राशि में सूर्य और शनि का मिलन होगा, जो शनि की मूल त्रिकोण राशि मानी जाती है. बुध भी कुंभ में स्थित होगा, जिससे त्रिग्रही योग का निर्माण होगा. सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग बनेगा. शनि की मूल त्रिकोण राशि में स्थिति से शश योग बनेगा. सर्वार्थ सिद्धि योग भी इस महाशिवरात्रि को और अधिक शुभ बना रहा है."
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पातालेश्वर धाम में शिव विवाह व महाशिवरात्रि महोत्सव
मंगलवार को पातालेश्वर धाम से भगवान महादेव की बारात निकाली गई. चारफाटक के श्री संतोषी माता मंदिर में बारात की भव्य अगवानी हुई. इससे पहले दूल्हा बने भोले बाबा और दुल्हन बनी गौरा मैया को भक्तों ने हल्दी लगाई. पातालेश्वर धाम में हल्दी, मेहंदी और संगीत का कार्यक्रम आयोजित हुआ. यहां पर भगवान भोलेनाथ को हल्दी व मेहंदी लगाई गई. वहीं, चारफाटक स्थित श्री संतोषी माता मंदिर में माता रानी को मातृ शक्तियों द्वारा हल्दी, मेहंदी लगाई गई. श्री पातालेश्वर धाम जय भोले जी सरकार सेवा समिति ने बारात निकाली.
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डोली में बैठकर विदा हुई मां पार्वती
पातालेश्वर धाम से प्रारंभ होकर बारात श्री महाकाल मोक्षधाम मंदिर, खिरकापुरा चौक, पुराना पावर हाउस, श्री बड़ी माता मंदिर से होते हुए छोटी बाजार, गोलगंज, फव्वारा चौक, मानसरोवर, बैल बाजार से होते हुए श्री संतोषी माता मंदिर चारफाटक पहुंची. यहां पर बारात का भव्य स्वागत किया गया. भगवान भोलेनाथ व माता रानी का जयमाला और पूजन के पश्चात बारात के साथ 'हर हर महादेव सेवा समिति' द्वारा माता रानी की डोली भी निकाली जाएगी. शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए बारात पातालेश्वर धाम पहुंची.