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फूड वेस्ट की मदद से दोगुनी हो सकेगी कंक्रीट की ताकत, आईआईटी इंदौर के रिसर्च में खुलासा - IIT INDORE RESEARCH

आईआईटी इंदौर के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा की गई रिसर्च में ये सामने आया है कि खाद्य अपशिष्ट के साथ चयनित गैर-रोगजनक बैक्टीरिया को मिलाने से कंक्रीट की ताकत दोगुनी हो सकती है.

With food waste help strength of concrete can be doubled
फूड वेस्ट की मदद से दोगुनी हो सकेगी कंक्रीट की ताकत (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 25, 2025, 8:52 PM IST

Updated : Feb 25, 2025, 9:09 PM IST

इंदौर: अपशिष्ट प्रबंधन और अपघटन को लेकर आईआईटी इंदौर में एक शोध किया गया है. इस शोध में अपशिष्ट अपघटन को कंक्रीट के गुणों के साथ किस तरह से उपयोग किया जा सकता है और इसकी क्षमता को कैसे बढ़ाया जा सकता है, इस पर काम किया गया है. जिसके कई बेहतर परिणाम सामने आए हैं.

अपशिष्ट अपघटन और CO2 उत्सर्जन पर शोध

आईआईटी इंदौर के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा की गई शोध में ये सामने आया कि वैश्विक स्तर पर लगभग एक तिहाई खाद्य उत्पादन बर्बाद हो जाता है. इस अपशिष्ट के अपघटन से लगभग 4400 मिलियन टन CO2 या वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का 8% निकलता है. क्या होगा अगर कोई बताए कि खाद्य अपशिष्ट वास्तव में कंक्रीट के गुणों में मदद कर सकता है और CO2 उत्सर्जन को कम कर सकता है.

आईआईटी इंदौर के शोधकर्ता डॉ. हेमचंद्र झा (Etv Bharat)

कंक्रीट की ताकत में वृद्धि और लागत कम

खाद्य अपशिष्ट के साथ चयनित गैर-रोगजनक बैक्टीरिया को मिलाने से कंक्रीट की ताकत दोगुनी हो सकती है. स्थायित्व में सुधार हो सकता है, दरारें ठीक हो सकती हैं और CO2 को कैप्चर करने में मदद मिल सकती है. इससे कई लाभ मिलते हैं और कंक्रीट की प्रभावी लागत भी कम हो जाती है. इस शोध टीम में प्रोफेसर संदीप चौधरी, डॉ. हेमचंद्र झा, डॉ. अक्षय, अनिल ठाकरे, शिवम राजपूत और डॉ. संचित गुप्ता शामिल हैं.

With food waste help strength of concrete can be doubled
फूड वेस्ट की मदद से दोगुनी हो सकेगी कंक्रीट की ताकत (Etv bharat)

बैक्टीरिया कंक्रीट की ताकत को करते हैं दुगना

शोधकर्ता डॉ. हेमचंद्र झा के अनुसार खाद्य अपशिष्ट को शामिल करने और उपयुक्त गैर-रोगजनक जीवाणु की पहचान करने की प्रक्रिया इसे अलग बनाती है. कंक्रीट में बैक्टीरिया के पहले के अनुप्रयोगों में सिंथेटिक रसायनों का उपयोग किया जाता था, जिससे यह प्रक्रिया महंगी और कम टिकाऊ हो जाती थी. खाद्य अपशिष्ट को शामिल करने के कई अलग-अलग तरीकों की जांच करने के बाद हमने पाउडर के रूप में खाद्य अपशिष्ट का उपयोग किया है.

जिससे इसे पानी में घुलना आसान हो जाता है और कंक्रीट के गुणों में बाधा नहीं आती है. विभिन्न बैक्टीरिया के साथ 20 से अधिक वर्षों के शोध में यह पहली बार है जब बैक्टीरिया ने कंक्रीट की ताकत को दोगुना (205.94%) कर दिया है और कम प्रभावी लागत और कार्बन फुटप्रिंट दिखाया है.

औद्योगिक क्षेत्र में किया जा सकता है उपयोग

शोध टीम के अनुसार उनका मौजूदा कार्य वर्तमान में फैक्ट्री स्केल पर उपयोग के लिए उपयुक्त है. इसका मतलब है कि ईंटों, ब्लॉकों और प्रीकास्ट कंक्रीट के निर्माता कम लागत और कम कार्बन निर्माण सामग्री के उत्पादन के लिए इस शोध का उपयोग कर सकते हैं. शोध टीम खाद्य अपशिष्ट और बैक्टीरिया को शामिल करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की दिशा में काम कर रही है, ताकि सभी प्रकार के निर्माण अनुप्रयोगों में इसका उपयोग आसानी से किया जा सके.

इंदौर: अपशिष्ट प्रबंधन और अपघटन को लेकर आईआईटी इंदौर में एक शोध किया गया है. इस शोध में अपशिष्ट अपघटन को कंक्रीट के गुणों के साथ किस तरह से उपयोग किया जा सकता है और इसकी क्षमता को कैसे बढ़ाया जा सकता है, इस पर काम किया गया है. जिसके कई बेहतर परिणाम सामने आए हैं.

अपशिष्ट अपघटन और CO2 उत्सर्जन पर शोध

आईआईटी इंदौर के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा की गई शोध में ये सामने आया कि वैश्विक स्तर पर लगभग एक तिहाई खाद्य उत्पादन बर्बाद हो जाता है. इस अपशिष्ट के अपघटन से लगभग 4400 मिलियन टन CO2 या वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का 8% निकलता है. क्या होगा अगर कोई बताए कि खाद्य अपशिष्ट वास्तव में कंक्रीट के गुणों में मदद कर सकता है और CO2 उत्सर्जन को कम कर सकता है.

आईआईटी इंदौर के शोधकर्ता डॉ. हेमचंद्र झा (Etv Bharat)

कंक्रीट की ताकत में वृद्धि और लागत कम

खाद्य अपशिष्ट के साथ चयनित गैर-रोगजनक बैक्टीरिया को मिलाने से कंक्रीट की ताकत दोगुनी हो सकती है. स्थायित्व में सुधार हो सकता है, दरारें ठीक हो सकती हैं और CO2 को कैप्चर करने में मदद मिल सकती है. इससे कई लाभ मिलते हैं और कंक्रीट की प्रभावी लागत भी कम हो जाती है. इस शोध टीम में प्रोफेसर संदीप चौधरी, डॉ. हेमचंद्र झा, डॉ. अक्षय, अनिल ठाकरे, शिवम राजपूत और डॉ. संचित गुप्ता शामिल हैं.

With food waste help strength of concrete can be doubled
फूड वेस्ट की मदद से दोगुनी हो सकेगी कंक्रीट की ताकत (Etv bharat)

बैक्टीरिया कंक्रीट की ताकत को करते हैं दुगना

शोधकर्ता डॉ. हेमचंद्र झा के अनुसार खाद्य अपशिष्ट को शामिल करने और उपयुक्त गैर-रोगजनक जीवाणु की पहचान करने की प्रक्रिया इसे अलग बनाती है. कंक्रीट में बैक्टीरिया के पहले के अनुप्रयोगों में सिंथेटिक रसायनों का उपयोग किया जाता था, जिससे यह प्रक्रिया महंगी और कम टिकाऊ हो जाती थी. खाद्य अपशिष्ट को शामिल करने के कई अलग-अलग तरीकों की जांच करने के बाद हमने पाउडर के रूप में खाद्य अपशिष्ट का उपयोग किया है.

जिससे इसे पानी में घुलना आसान हो जाता है और कंक्रीट के गुणों में बाधा नहीं आती है. विभिन्न बैक्टीरिया के साथ 20 से अधिक वर्षों के शोध में यह पहली बार है जब बैक्टीरिया ने कंक्रीट की ताकत को दोगुना (205.94%) कर दिया है और कम प्रभावी लागत और कार्बन फुटप्रिंट दिखाया है.

औद्योगिक क्षेत्र में किया जा सकता है उपयोग

शोध टीम के अनुसार उनका मौजूदा कार्य वर्तमान में फैक्ट्री स्केल पर उपयोग के लिए उपयुक्त है. इसका मतलब है कि ईंटों, ब्लॉकों और प्रीकास्ट कंक्रीट के निर्माता कम लागत और कम कार्बन निर्माण सामग्री के उत्पादन के लिए इस शोध का उपयोग कर सकते हैं. शोध टीम खाद्य अपशिष्ट और बैक्टीरिया को शामिल करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की दिशा में काम कर रही है, ताकि सभी प्रकार के निर्माण अनुप्रयोगों में इसका उपयोग आसानी से किया जा सके.

Last Updated : Feb 25, 2025, 9:09 PM IST
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