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घर को लंकेश मंदिर बना 80 साल के शिक्षक आरती-भोग लगा करते हैं रावण पूजा, बुद्ध से है कनेक्शन - Chhatarpur Lankesh Ravan Mandir - CHHATARPUR LANKESH RAVAN MANDIR

कहते है पूजा पाठ करना आस्था का विषय होता है और देवी-देवताओं को लेकर हर व्यक्ति की अपनी अलग-अलग आस्था होती है. कोई देवी को अपना आराध्य मानता है तो कोई देवताओं का, लेकिन एमपी के एक बुजुर्ग देवी-देवता नहीं बल्कि लंका पति रावण की पूजा करते हैं. छतरपुर जिले में रहने 80 वर्ष के बुजुर्ग रावण के भक्त हैं और रोज उनकी पूजा पाठ करते हैं. इसके लिए उन्होंने अपने घर में एक मंदिर बनवाया है, जिसमें रावण की प्रतिमा स्थापित हैं.

MP RAVAN POOJA
एमपी में रावण पूजा (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 15, 2024, 7:56 PM IST

Updated : Jul 16, 2024, 5:49 PM IST

छतरपुर(एमपी).रावण की यह प्रतिमा मुस्कुराते हुए आशीर्वाद देने वाली मुद्रा में है, जिसमें 10 सिर, हाथ में धनुषबाण के अलावा अन्य अस्त्र-शस्त्र भी हैं. ये प्रतिमा मौजूद है छतरपुर से 100 किलोमीटर दूर गांव पहरा में रहने वाले रामप्रसाद अहिरवार के घर में. 80 वर्ष के ये बुजुर्ग रावण भक्त हैं और रोज उनकी पूजा पाठ करते हैं. ये देख अक्सर लोग हैरान रह जाते हैं.

80 साल के बुजुर्ग ने घर में स्थापित की दशानन की प्रतिमा (Etv Bharat)

इस वजह से करते हैं रावण पूजा

रावणभक्त रामप्रसाद अहिरवार पिछले 3 सालों से घर में रावण का मंदिर बनाकर पूजा कर रहे हैं. रामप्रसाद एक रिटायर्ड शिक्षक हैं और रावण की सुबह शाम पूजा कर उन्हें अगरबत्ती लगाते हैं. बुजुर्ग का कहना है कि उन्हें रावण पसंद हैं. उन्होंने अभी तक जितना भी रावण के बारे में पढ़ा या समझा है उससे समझ आता है कि रावण बुरा नहीं था. इसी वजह से वह रावण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने घर में रावण का मंदिर बनाने और उसकी पूजा करने का निर्णय लिया.

रावण के साथ पत्नी और बुद्ध की प्रतिमा

छतरपुर के रावणभक्त रामप्रसाद अहिरवार द्वारा मंदिर में रावण की प्रतिमा के अलावा उनकी स्वर्गीय पत्नी, भगवान बुद्ध की भी प्रतिमाएं स्थापित हैं. रामप्रसाद एक सरकारी शिक्षक थे और पिछले दो सालों में रावण के प्रति उनकी आस्था काफी ज्यादा बढ़ गई. रावण पर अध्ययन करने के बाद उन्होंने लंका पति की प्रतिमा अपने घर के मंदिर में स्थापित करा दी. रावण की पूजा करने को लेकर उनका तर्क यह भी है कि रावण एक शांति प्रिय राजा था और शुरुआती दिनों में उसे हिंसा पसंद नहीं थी. हालांकि, ज्यादातर लोग रामप्रसाद अहिरवार से अलग राय रखते हैं.

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गौरतलब है कि हिंदू धर्म में रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है. विद्वानों में भी रावण को लेकर अलग-अलग तरह की राय भी हैं, रावण की बुराईयों के अलावा उसके ज्ञान की वजह से रावण विद्वान ब्राह्मण माना जाता रहा है, जिसे सभी वेदों का ज्ञान था. भारत में कई स्थानों पर आज भी रावण के मंदिर मौजूद हैं.

Last Updated : Jul 16, 2024, 5:49 PM IST

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