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यहां शिवलिंग के नीचे मौजूद है महाभारत की मणि, हर साल एक इंच बढ़ता है ये शिवलिंग

छतरपुर के खजुराहो में है मतंगेश्वर मंदिर, शिवलिंग का चमत्कार देखकर पर्यटन विभाग भी हैरान

CHHATARPUR MATANGESVARA TEMPLE
छतरपुर खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर में भक्तों की भीड़ (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 17, 2024, 1:34 PM IST

Updated : Oct 17, 2024, 1:42 PM IST

छतरपुर: देश-दुनिया में छतरपुर के खजुराहो मंदिर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. तभी तो दुनिया भर के लोग खजुराहो के चंदेलकालीन मंदिरों को देखने आते हैं. शरद पूर्णिमा पर खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर में भोले नाथ के अद्भुत श्रृंगार को देखने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा. महिलाओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना कर अपना व्रत खोला. मान्यता है कि यहां का शिवलिंग हर साल शरद पूर्णिमा पर बढ़ता है.

शिवलिंग के नीचे रखी है मरकत मणि

शिवलिंग लगभग अब 21 फुट का हो गया है. वहीं भक्तों का मानना है कि शिवलिंग जब अपने पूरे स्वरूप में आ जाएगा, तब कलयुग का अंत हो जाएगा. वहीं खजुराहों के लोगों की ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग के नीचे मरकत मणि रखी है, जो युधिष्ठिर को भगवान भोलेनाथ के द्वारा दी गई थी. युधिष्ठिर ने मतंग ऋषि को दी थी, जिसके बाद यह मणि राजा को सौंपी गई. यह मणि आज भी इच्छा पूर्ति के लिए जानी जाती है. इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से पूजा करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है.

छतरपुर के खजुराहो का मतंगेश्वर मंदिर (ETV Bharat)

शरद पूर्णिमा पर किया गया शिवलिंग का अद्भुत श्रृंगार

मतंगेश्वर मंदिर में महादेव का अद्भुत शिवलिंग है. खजुराहो को सैकड़ों साल पुराने चंदेलकालीन मंदिरों के कारण विश्व विख्यात वर्ल्ड हैरिटेज यूनेस्को साइट के रूप में जाना जाता है. वहीं स्थानीय निवासी राजीव शुक्ला बताते हैं, ''इतिहास में यहां 85 मंदिरों के मौजूद होने के प्रमाण है, जिनमें से आज लगभग 22 से 25 मंदिर ही दिखाई देते हैं. मतंगेश्वर मंदिर में शिव जी परिवार के साथ विराजमान हैं.'' सीढ़ियों से गुजरने के बाद आपको सबसे पहले दर्शन महादेव के पुत्र गणेश जी के होते हैं. उसके बाद आपको कुछ सीढ़ियां और चढ़नी होती हैं, जिसके बाद आपको विशाल शिवलिंग के दर्शन मिलते हैं. शरद पूर्णिमा के मौके पर भोले नाथ का अद्भुत श्रृंगार किया गया.

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हर साल एक इंच बढ़ता है शिवलिंग

मंदिर के पुजारी बाबूलाल गौतम ने बताया, '' मंदिर में शिवलिंग 9 फीट जमीन के बाहर और उतना ही जमीन के अंदर भी है. यही नहीं इसके अलावा मंदिर में मौजूद इस शिवलिंग की हर साल शरद पूर्णिमा के दिन एक इंच लंबाई बढ़ती है. शिवलिंग की लंबाई नापने के लिए पर्यटन विभाग के कर्मचारी इंची टेप से नापते हैं, जहां शिवलिंग पहले की तुलना में लंबा मिलता है. शिवलिंग का अद्भुत चमत्कार देखने के लिए लोगों का तांता मंदिर में उमड़ता है. इस मंदिर का नाम मतंग ऋषि के नाम पर पड़ा है. यह स्थान प्राचीन है. बताया जाता है कि आदिकाल में यहां शिव पार्वती का विवाह भी हुआ था, लेकिन इस मंदिर परिसर का निर्माण महाभारत काल का माना जाता है. इसका वर्तमान स्वरूप 9वीं शताब्दी में हुए जीर्णोद्धार के तहत कराया गया, तब से यह मंदिर इसी रुप में है.''

Last Updated : Oct 17, 2024, 1:42 PM IST

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