मिलिए छपरा के मिट्ठू राय से (ETV Bharat) सारण:एक कहावत है कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, लहरों से डर कर नैया पार नहीं होती. यह कहावत हम सभी के जीवन में एक विशेष स्थान रखती है और जो भी कोशिश करता है वह सफल जरूर होता है. ऐसा ही एक मामला छपरा से सामने आया है.
पिता बनाते हैं पंचर, बेटे अधिकारी:दरअसल छपरा से एनएच 19 के रास्ते मांझी होकर उत्तर प्रदेश जाने के रास्ते में छपरा शहर से कुछ दूर के बाद एक छोटा सा बाजार मिलता है जिसे लोग सेंगर टोला कहते हैं. यह रिविलगंज प्रखंड के अंतर्गत आता है. इसी सेंगर टोला चौक पर उत्क्रमित मध्य विद्यालय के पास एक छोटी सी दुकान है, जिसमें मिट्ठू राय दिन भर साइकिल की रिपेयरिंग करते हैं और साइकिल का पंचर बनाते हैं. मिट्ठू की चर्चा पूरे गांव में होती है. वहीं लोग उनके जीवन से काफी प्रभावित भी हैं.
IB और सेना में बड़े अधिकारी हैं बेटे (ETV Bharat) "मिट्ठू राय बहुत मेहनती हैं. उन्होंने अपने दो बच्चों को अधिकारी बना दिया है. उनकी मेहनत से दूसरो को भी प्रेरणा मिलती है. सभी अपने बच्चों को पढ़ाने लिखाने की कोशिश कर रहे हैं."- स्थानीय
आईबी और सेना में अधिकारी हैं बेटे: यही उनकी आजीविका का साधन है और पिछले कई दशकों से वह यही काम कर रहे हैं. आज भी वह लगातार लोगों की साइकिल ठीक करते हैं और साइकिलों का पंचर बनाते हैं. मिट्ठू राय सेंगर टोला के पास ही अजमेरगंज बांध के पास रहते हैं. मिट्ठू राय के तीन पुत्र हैं, जिसमें सबसे बड़े पुत्र आईबी में अधिकारी हैं. यहां पर सुरक्षा कारणों से उनका नाम गुप्त रखा जा रहा है.
मिट्ठू राय की दुकान (ETV Bharat) 'आगे भी करता रहूंगा यही काम'- मिट्ठू राय:वहीं उनके छोटे बेटे विकास राय सैन्य अधिकारी हैं. सबसे छोटे बेटे अभी पढ़ाई कर रहे हैं. इसके बावजूद उनके पिता ने अपना काम नहीं बदला है और आज भी वह सुबह 7:00 से लेकर रात में 8:00 बजे तक साइकिल ठीक करते हैं और पंचर बनाते हैं. यह पूछे जाने पर कि दो बेटे बड़े अधिकारी हैं फिर क्यों पंचर बनाने का काम कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि मैंने इसी मेहनत के बल पर बच्चों को खड़ा किया है, इसलिए मैं अपना काम नहीं छोडूंगा.
छपरा के मिट्ठू राय (ETV Bharat) "मुझे भी काफी अच्छा लगता था कि जब गांव के बच्चे पढ़ लिखकर अधिकारी बनते थे. मेरा भी सपना था कि एक दिन मेरे बेटे भी अधिकारी बने. मैंने अपने बच्चों को कोई भी कमी नहीं होने दी और उन्होंने जो मांगा वह मैंने किसी तरह पूरा किया. आज भगवान ने मेरी सुन ली. मेरे दोनों बेटे अधिकारी हैं."- मिट्ठू राय,पंचर बनाने वाले पिता
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