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लालू-तेजस्वी और हीना शहाब की बैठक: राजनीतिक क्षति को देखते हुए एक बार फिर साथ आना मजबूरी! - Bihar politics

बिहार की राजनीति में 90 के दशक में लालू प्रसाद यादव का दबदबा था. उनके साथ सिवान के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन की भी तूती बोलती थी. दोनों के बीच काफी घनिष्ठ संबंध थे. मगर शहाबुद्दीन के जेल जाने के बाद और लालू यादव के राजनीति में सक्रियता घटने के बाद दोनों के संबंधों की गरमाहट में कमी आने लगी. शहाबुद्दीन की मौत के बाद तो संबंधों में दरार आ गयी. इन परिस्थितियों में पटना में हिना शहाब की लालू यादव और तेजस्वी यादव के साथ मीटिंग हुई है. इसके राजनीतिक मायने समझिये.

हिना की लालू और तेजस्वी यादव के साथ बैठक.
हिना की लालू और तेजस्वी यादव के साथ बैठक. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 9, 2024, 8:36 PM IST

लालू-तेजस्वी और हीना शहाब की बैठक. (ETV Bharat)

पटना: पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब और उनके बेटे ओसमा की लालू यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद बिहार में सियासी हलचल बढ़ी हुई है. पिछले कई लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद हिना शहाब परेशान है. मुस्लिम वोट छिटकने के कारण लालू यादव भी परेशान हैं. इसलिए विधानसभा चुनाव 2025 की रणनीति दोनों तरफ से तैयार हो रही है.

मुस्लिम वोट में डेंटः राजनीति के जानकारों की मानें तो एआईएमआईएम की एंट्री से लालू-तेजस्वी के लिए मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. 'माय' समीकरण में डेंट लगा है, तो ऐसे में मुस्लिम वोट बैंक साधने की कोशिश हो रही है. आरजेडी का कोर वोट बैंक माय (MY )माना जाता रहा है. एआईएमआईएम के आने से और शहाबुद्दीन परिवार के राजद से दूर जाने के कारण इस वोट बैंक पर असर पड़ा है. बिहार में 17% के करीब मुस्लिम आबादी है. बिहार के तीन दर्जन विधानसभा सीट ऐसे हैं जो मुस्लिम बहुल माना जाता है.

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क्या कहते हैं विशेषज्ञः राजनीतिक विश्लेषक भोलानाथ का कहना है कि लालू प्रसाद यादव की तरफ से ज्यादा प्रयास हो रहा है, इसलिए मुलाकात तीसरे स्थान पर हुई है. लालू प्रसाद यादव का वोट बैंक MY ही रहा है. सिवान में लालू प्रसाद यादव को लगता है कि हिना के कारण मुसलमानों में नाराजगी है और इसलिए उन्हें मनाने की कोशिश हो रही है. राजद ने जिस प्रकार से शहाबुद्दीन परिवार के साथ व्यवहार किया है उससे उनमें नाराजगी है. यदि हिना शहाब से तालमेल होता है तो न केवल सिवान में बल्कि सीमांचल में भी इसका असर पड़ेगा.

जख्म पर मरहम लगाने की कोशिशः एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल इमान का कहना है हिना शहाब उस शहाबुद्दीन की पत्नी है जिन्होंने राजद की स्थापना में अपनी जान लगा दी थी. लेकिन उनके साथ क्या हुआ. अंतिम समय में भी राजद के लोग उन्हें देखने नहीं गए. जिन्होंने जख्म दिया मरहम लगाने की कोशिश कर रहे हैं. अब उन्हें लगता है माय समीकरण में टूट हुई है, तो यह मुलाकात हैरत वाला जरूर है. देखना है हिना शहाब को जो लॉलीपॉप दिया जा रहा है उस पर कितना तैयार होती है.

"17 महीने के शासन में उन्होंने (तेजस्वी यादव) कभी भी मुसलमानों की बात नहीं की. सीमांचल काउंसिल बनाने की बात कही थी. जब सरकार में आए तो मुसलमानों के लिए उन्होंने कोई काम नहीं किया. सिर्फ सत्ता कैसे मिल जाए इसी में लगे हैं."- अख्तरुल इमान, प्रदेश अध्यक्ष, एआईएमआईएम

MY समीकरण की ताकत का अहसासः हिना शहाब, अगर आरजेडी से तालमेल करती है तो तय है सिवान और उसके आसपास के कई विधानसभा सीटों पर सीधा असर डालेंगी. राजद और महागठबंधन को तो फायदा होगा ही हिना शहाब को भी लाभ मिलेगा. साथ ही सीमांचल में जिस प्रकार से एआईएमआईएम अपनी पैठ बढ़ा रहा है उस पर भी लगाम लग सकेगा. लालू यादव MY समीकरण के सहारे राजनीति करते रहे हैं. लालू यादव पूरी कोशिश कर रहे हैं एमवाई समीकरण की ताकत आरजेडी को पहले की तरह प्राप्त हो जाय.

तेजस्वी को बनाना चाहते हैं मुख्यमंत्रीः लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं. नीतीश कुमार जब महागठबंधन में शामिल हुए थे तो उस समय यह तय हुआ था कि 2025 का चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. लेकिन नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव से पहले पाला बदलकर फिर से एनडीए में आ गये. लालू प्रसाद यादव का मंसूबा नीतीश कुमार ने पूरा नहीं होने दिया. अब लालू प्रसाद यादव सारे समीकरण को तेजस्वी यादव के पक्ष में करने में लगे हैं.

"लालू प्रसाद यादव को जिससे जरूरत होता है उसे मनाने के लिए किसी हद तक गिर जाते हैं. काम निकल जाता है उसे दूध से मक्खी की तरह बाहर निकाल कर फेंक देते हैं. माय समीकरण से मुस्लिम छटक चुका है. इसलिए परेशान हैं. एनडीए 2025 में 2010 से भी बेहतर प्रदर्शन करेगा."- निहोरा यादव, जदयू प्रवक्ता

सीमांचल और मिथिलांचल में खराब प्रदर्शनः भागलपुर, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सिवान, गोपालगंज और बेगूसराय जिले मुस्लिम वोट के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. सीमांचल के 30 से लेकर 60 फीसदी तक मुस्लिम वोटर कई सीटों पर हैं. सीमांचल की 20 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक होता है. 2020 विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने 20 उम्मीदवार उतारे थे, पांच उम्मीदवार की जीत हुई थी. सीमांचल और मिथिलांचल में खराब प्रदर्शन के कारण ही महागठबंधन सरकार बनते-बनते रह गई थी.

इन सीटों पर AIMIM ने दिया था झटकाः AIMIM ने 20 मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्र जिसमें नौतन, शिवहर, बरौली, गोपालगंज, दरभंगा ग्रामीण, मढ़ौरा, गौड़ा बौराम, ढाका, बिस्फी, फारबिसगंज, जोकीहाट, किशनगंज, बायसी, प्राणपुर , केवटी, जाले, औराई, सिकटा, नरकटिया, सुरसंड, सुपौल, कदवा, समस्तीपुर, बहादुरगंज, कसवा, बलरामपुर, सिमरी बख्तियारपुर और नाथनगर शामिल है. वहां मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे. इन विधानसभा सीटों में कई सीटों पर राजद और महागठबंधन को झटका लगा.

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