इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कश्मीर मुद्दे पर एक बार फिर अपनी बौखलाहट जाहिर की है. रविवार 5 जनवरी को 'कश्मीरियों के आत्मनिर्णय अधिकार दिवस' पर अपने बयान में पीएम शरीफ ने कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार की वकालत करते हुए पूरा नैतिक, राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन जारी रखने के पाकिस्तान के संकल्प को दोहराया.
पाकिस्तान हर साल 5 जनवरी को 'कश्मीरियों के आत्मनिर्णय अधिकार दिवस' के रूप में मनाता है, क्योंकि 1949 में इसी दिन संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर को लेकर विवादास्पद प्रस्ताव अपनाया गया था. हालांकि, पाकिस्तान एक तरफ तो यूएन के प्रस्ताव और कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार की वकालत करता है, जबकि उसने खुद इस प्रस्ताव की शर्तों को नहीं माना.
Message of Prime Minister Muhammad Shehbaz Sharif on Right to Self-Determination Day for the People of Jammu & Kashmir pic.twitter.com/lVMbsHDLxM
— Prime Minister's Office (@PakPMO) January 5, 2025
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान के मुताबिक, पीएम शहबाज ने कहा कि आत्मनिर्णय का अधिकार संयुक्त राष्ट्र चार्टर में एक मुख्य सिद्धांत है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) हर साल आत्मनिर्णय के कानूनी अधिकार की वकालत करने के लिए एक प्रस्ताव को अपनाती है. लेकिन कश्मीर के लोग सात दशकों से इस अधिकार का प्रयोग नहीं कर पाए हैं. उन्होंने कहा, "यही समय है कि संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय अपने वादों पर खरा उतरे और कदम उठाए, जिससे जम्मू और कश्मीर के लोग आत्मनिर्णय के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें."
प्रधानमंत्री शरीफ ने अपने बयान में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से 'मानवाधिकारों के उल्लंघन को तत्काल रोकने, राजनीतिक कैदियों की रिहाई और कश्मीरी लोगों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता की बहाली के लिए सामूहिक आह्वान करने को कहा. हालांकि, पाकिस्तान खुद अपने कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन और उसके खिलाफ उठनी वाली हर आवाज को कुचलने में लिप्त रहा है.
शरीफ ने अपने बयान में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भारत जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता को कमजोर करने के लिए कई कदम उठा रहा है. 5 अगस्त, 2019 को, भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा छीन लिया और राज्य को नई दिल्ली द्वारा सीधे शासित दो क्षेत्रों में विभाजित कर दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया, "5 अगस्त 2019 के फैसले के जरिए भारत जम्मू-कश्मीर की जनसांख्यिकीय और राजनीतिक संरचना को बदलने की कोशिश कर रहा है, जिसका उद्देश्य बहुसंख्यक कश्मीरी लोगों को उनकी अपनी मातृभूमि में एक वंचित अल्पसंख्यक समुदाय में बदलना है."
पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी ने भी कश्मीरी लोगों के लिए समर्थन की बात कही. जरदारी ने कहा, "पाकिस्तान आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए कश्मीरी लोगों को राजनीतिक, कूटनीतिक और नैतिक समर्थन देना जारी रखेगा."
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