नई दिल्ली: भारत सरकार चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी करने पर विचार कर रही है. ये कदम घरेलू बजट को प्रभावित कर सकता है. खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने घोषणा की कि सरकार जल्द ही MSP में संभावित बढ़ोतरी के बारे में निर्णय लेगी, जो फरवरी 2019 से 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर अनचेंज बनी हुई है. अगर MSP बढ़ाई जाती है, तो इससे बाजार में चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है, जिसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा.
चीनी उद्योग ने की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग
चीनी उद्योग लंबे समय से चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग कर रहा है. उद्योग का तर्क है कि बढ़ती उत्पादन लागत और चीनी मिलों पर वित्तीय दबाव के कारण उनके अस्तित्व और प्रॉफिट को सुनिश्चित करने के लिए कीमत बढ़ाना आवश्यक है. पीयूष गोयल ने उद्योग की मांग को स्वीकार करते हुए कहा कि संबंधित विभाग इस मुद्दे से अवगत है और एमएसपी बढ़ोतरी पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा.
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) और नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (NFCSF) जैसे उद्योग निकायों ने सरकार से एमएसपी को 39.4 रुपये प्रति किलोग्राम या यहां तक कि 42 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ाने का आग्रह किया है. उनका मानना है कि यह बढ़ोतरी उत्पादन की वास्तविक लागत को दर्शाएगी और देश में चीनी मिलों की वित्तीय सेहत को स्थिर करने में मदद करेगी.
चीनी उत्पादन में गिरावट
बढ़ती लागत के दबाव के अलावा भारत के चीनी उत्पादन में भी उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है. ISMA के अनुसार चालू मार्केटिंग वर्ष (अक्टूबर से शुरू) की पहली तिमाही में चीनी उत्पादन में 16 फीसदी की गिरावट आई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 11.30 मिलियन टन की तुलना में घटकर 9.54 मिलियन टन रह गया है. उत्पादन में कमी का मुख्य कारण प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन में गिरावट है.