CHANDIPURA VIRUS IN MADHYA PRADESH:बरसात के मौसम में कई बीमारियां आसानी से पनपती है. आमतौर पर डायरिया, इनफ्लुएंजा जैसी बीमारी तो होती है, लेकिन इस बार चांदीपुरा वायरस ने लोगों की टेंशन बढ़ा दी है. गुजरात के कई जिलों में चांदीपुरा वायरस जमकर कहर बरपा रहा है और चांदीपुरा वायरस के मरीजों की संख्या सैकड़ा पार करने वाली है. वहीं इस वायरस से पीड़ित करीब 30 बच्चे गुजरात में दम तोड़ चुके हैं. गुजरात से ये एमपी और राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में प्रवेश कर चुका है. यहां कुछ बच्चों में चांदीपुरा वायरस के लक्षण देखने मिले हैं.
यह एक तरह का दिमागी बुखार होता है और इसका सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होता है. 15 साल के बच्चों को ये आसानी से अपनी चपेट में ले लेता है. एमपी में ग्वालियर मेडिकल काॅलेज में इसकी जांच शुरू हो गयी है. अगर समय पर चांदीपुरा वायरस के लक्षण नहीं समझ पाए, तो देर होने पर मौत भी हो सकती है.
क्या है चांदीपुरा वायरस
वैसे तो ये रबडोविरिडे फैमिला का हिस्सा है और भारत में इसे चांदीपुरा वायरस का नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि सबसे पहले ये महाराष्ट्र के चांदीपुरा में सामने आया था. ये वायरस छोटे मच्छरों और बरसाती कीट पतंगो से इंसानों में फैलता है. एडीज मच्छर के अलावा सैंड फ्लाइज इसके वाहक का काम करते हैं. ये वायरस इनकी लार ग्रंथी में मौजूद होता है. संक्रमित मच्छर या कीट के इंसान को काटने पर ये वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश कर संक्रमण बढ़ाने का काम करता है और तंत्रिका तंत्र पर असर करता है. जिससे दिमाग में सूजन आ जाती है. इसलिए इसे कई जगह दिमागी बुखार भी कहा जाता है.
क्या है चांदीपुरा वायरस के लक्षण
चांदीपुरा वायरस से पीड़ित बच्चों में सामान्य तौर पर फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. इसमें बच्चों को हल्का बुखार आता है और बच्चे एक दम कमजोर हो जाते हैं. बच्चों को बातचीत में भी समस्या होती है और बोलना तक बंद कर सकते हैं. इसके अलावा मतली और चक्कर जैसे लक्षण चांदीपुरा वायरस से पीड़ित में नजर आते हैं.
15 साल तक के बच्चों के लिए खतरा
चांदीपुरा वायरस या दिमागी बुखार की बात करें, तो इसका खतरा दो साल से लेकर 15 साल के बच्चों को ज्यादा होता है, क्योंकि ज्यादातर बच्चे खेलकूद जैसी गतिविधियों में शामिल रहते हैं और ऐसे कपडे़ पहनते हैं. जो उनके शरीर को पूरी तरह नहीं ढकते हैं. ऐसे में ये मच्छर या कीट बच्चों को आसानी से शिकार बना लेता है.