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बिहार के इस यूनिवर्सिटी में छात्राओं को 'स्पेशल' लीव, अब हर महीने दो छुट्टी - CHANAKYA NATIONAL LAW UNIVERSITY

लड़कियों और महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म पर आज भी बात करने से लोग कतराते हैं. ऐसे में CNLU ने बड़ी पहल की है.

MENSTRUAL LEAVE IN UNIVERSITY
चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में मासिक धर्म अवकाश (Etv Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 7, 2025, 6:28 PM IST

Updated : Feb 7, 2025, 6:50 PM IST

पटना :पटना के मीठापुर में स्थित चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बिहार का एकमात्र ऐसा शिक्षण संस्थान है, जहां शिक्षिकाओं और छात्राओं को महीने में दो दिन पीरियड लीव दी जाती है. छात्राएं जिस दिन पीरियड लीव का आवेदन देती हैं उस दिन का उनका प्रॉक्सी अटेंडेंस बनता है. इससे उनका अटेंडेंस भी कम नहीं होता है जिस कारण एकेडमिक रिजल्ट में भी कोई फर्क नहीं पड़ता है.

इंस्टिट्यूट के इस इनीशिएटिव से उन्हें पीरियड के दौरान मूड स्विंग के कारण होने वाले मेंटल स्ट्रेस को हैंडल करने में मदद मिलती है. यह पहल बिहार के सभी हायर सेकेंडरी स्कूल और कॉलेजों में शुरू होनी चाहिए.- CNLU की छात्राएं

बिहार सरकार महिला कर्मियों को देती है पीरियड लीव : दरअसल बिहार में सरकार की ओर से सरकारी क्षेत्र में कार्यरत महिला कर्मियों के लिए महीने में दो दिन मासिक धर्म अवकाश की छुट्टी का प्रावधान है. महिलाओं के हेल्थ और लैंगिक समानता के लिए सरकार की ओर से देश में सबसे पहले यह कदम 1992 में उठाया गया था.

देखें इस मसले पर छात्राओं की प्रतिक्रिया (Etv Bharat)

लगभग 2 महीने पहले किया गया लागू : अगर शिक्षण संस्थान की बात करें तो कई नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में भी पीरियड लीव का प्रावधान है. इसके अलावा सिक्किम यूनिवर्सिटी ने भी हाल ही में छात्राओं को दो दिन की पीरियड लीव की मंजूरी दी है. बिहार में इकलौता शिक्षण संस्थान CNLU है, जहां छात्राओं को पीरियड लीव मिलता है. संस्थान ने यह पहल बीते वर्ष 2024 में 17 दिसंबर से शुरू किया है.

पीरियड लीव से छात्राओं को हुआ है फायदा : CNLU की छात्रा कोपल का कहना है कि संस्थान की ओर से यह बहुत ही अच्छी पहल शुरू की गई है. छात्राओं को पीरियड के दौरान क्लास करने में काफी परेशानी होती थी. पीरियड के दौरान शारीरिक तकलीफ अधिक होती है. जिसके कारण मानसिक तनाव अधिक बना रहता है. इस एक पॉलिसी के कारण वह अब पीरियड के दौरान लीव में आराम करती हैं और मेंटली बी रिलैक्स रहती हैं.

''यह एक बहुत अच्छी पहल है जिसे पटना के सभी शिक्षण संस्थानों को अमल करनी चाहिए. आज के युग में जरूरी है कि सेकेंडरी स्कूल से ही सिर्फ लड़कियों को ही नहीं बल्कि लड़कों को भी मासिक धर्म अवकाश के बारे में जानकारी दी जाए. मेंस्ट्रूअल हेल्थ के विषय में ज्ञान होना सभी के लिए जरूरी है.''- कोपल, CNLU की छात्रा

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'हम एक दूसरे की करते हैं मदद' : छात्रा अमृषा ने बताया कि पीरियड लीव के दौरान उनका पढ़ाई प्रभावित नहीं होता है. 2 दिन में जो कुछ छूटता है वह अपने बैचमेट से नोट्स लेकर कंप्लीट कर लेती हैं. इसके अलावा वह भी अपने दोस्तों को इस समय नोट्स उपलब्ध कराकर मदद करती हैं. अगर कुछ डाउट रहता है तो क्लास के बाद टीचर भी हेल्प कर देते हैं और जो जानकारी चाहिए होती है वह समझा देते हैं.

''पीरियड लीव की शुरुआत से छात्राओं को काफी फायदा हुआ है. पीरियड के दौरान लीव मिलने से मूड स्विंग्स, क्रैंप और अन्य प्रॉब्लम जो होते हैं, उसे हैंडल करने में मदद मिलता है. बिहार में सरकार सरकारी क्षेत्र में फीमेल वर्कफोर्स को पीरियड के समय 2 दिन की पीरियड लीव देती है. लेकिन जरूरी अब यह भी है कि बिहार में प्राइवेट सेक्टर में भी महिलाओं को महीने में 2 दिन की पीरियड लीव का प्रावधान किया जाए.''- अमृषा, CNLU की छात्रा

'बिहार के सभी यूनिवर्सिटी इस पहल से लें सीख' :छात्रा तनुश्री सिंह ने कहा कि कॉलेज के इस पहल से उन्हें काफी फायदा हुआ है. वह अब पीरियड के समय लीव में रहती हैं और अटेंडेंस भी प्रभावित नहीं होता है. अभी भी मेंस्ट्रूअल सिचुएशन को एक सोशल टैबू माना जाता है, जिसे छात्राएं बता नहीं पाती हैं. लेकिन इस पहल के कारण अब वह इस बात को बता पाती हैं और लीव क्लेम कर पाती हैं.

''पहले भी छात्राएं पीरियड्स के समय क्लास छोड़ती थी और उनके अटेंडेंस लॉस होता था. लेकिन अब यदि पीरियड लीव क्लेम किया जाता है तो महीने में 2 दिन का प्रॉक्सी अटेंडेंस बन जाता है और एकेडमिक में कोई दिक्कत नहीं होती. बिहार के सभी कॉलेजों में यह पहल शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि इस पहल का काफी फायदा हुआ है.''- तनुश्री सिंह, CNLU की छात्रा

सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में भी लागू हो यह पहल' : छात्रा नेहा ने कहा कि सीएनएनयू ने जो मेंस्ट्रूअल हेल्थ के संबंध में यह जो नई पहल शुरू की है, इससे सभी संस्थानों को सीख लेनी चाहिए. चाहे सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की संस्थाएं हो या शहरी क्षेत्र की सभी को इसे अपनाना चाहिए.

''एक डेटा है कि सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 40% छात्राएं पीरियड्स के समय क्लास मिस कर देती हैं क्योंकि वह दर्द में रहती हैं. यह पहल स्कूलों से ही शुरू कर देनी चाहिए, छात्राओं को शुरू में ही इसके बारे में सही शिक्षा होनी जरूरी है.''- नेहा, CNLU की छात्रा

'मेंस्ट्रूअल हेल्थ के प्रति अवेयरनेस प्रोग्राम हो' :छात्रा आस्था ने बताया कि सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाई जाती है लेकिन फिर भी पीरियड्स के समय छात्राओं की उपस्थिति कम हो जाती है. यह इनीशिएटिव भी जरूरी है लेकिन साथ-साथ पीरियड लीव की भी मंजूरी मिलनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि शुरुआती समय में छात्राएं जब इस दौर से गुजरती हैं तब उन्हें भी खुद नहीं पता रहता कि उनके साथ क्या हो रहा है.

''सिर्फ लड़कियों को ही नहीं बल्कि लड़कों और पेरेंट्स के लिए भी जरूरी है कि उन्हें मेंसट्रूअल हेल्थ के संबंध में जानकारी हो. इसके लिए सरकार को मेंस्ट्रूअल अवेयरनेस प्रोग्राम समय-समय पर चलने की जरूरत है. इसमें यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जिन्हें अवेयर करने के लिए यह प्रोग्राम किया जा रहा है उनकी उपस्थिति भी हो.''- आस्था, CNLU की छात्रा

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'छात्राओं के मेंटल हेल्थ में फायदेमंद साबित हुआ कदम' :चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार एसपी सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर फैजान मुस्तफा की ओर से बीते वर्ष 17 दिसंबर को यह पहल संस्थान में शुरू करने की मंजूरी दी गई. उन्होंने कहा कि यह काफी शानदार पहल है और प्रोफेसर फैजान मुस्तफा जब नालसर यूनिवर्सिटी आफ लॉ के वाइस चांसलर थे तो वहां भी उन्होंने यह पहल शुरू की थी.

''जेंडर सेंसटाइजेशन और जेंडर इक्वलिटी के लिए यह काफी जरूरी है. इस पहल से संस्थान में छात्राओं को काफी फायदा हो रहा है और प्रतिदिन उन्हें 10 से 15 छात्राओं के पीरियड लीव की स्वीकृति देना पड़ रहा है. इस पहल से लड़कियों का मेंटल स्ट्रेस भी दूर हो रहा है क्योंकि पहले पीरियड में जब वह दर्द में होती थी तब क्लासरूम में काफी स्ट्रेस में रहती थी. यह पहल छात्राओं की मेंटल हेल्थ के लिए भी काफी सही साबित हो रहा है.''-एसपी सिंह, रजिस्ट्रार, चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी

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Last Updated : Feb 7, 2025, 6:50 PM IST

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