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इलाहाबाद बैंक के अधिकारी समेत पांच को कारावास, करोड़ों रुपये की लगाई थी चपत - Allahabad Bank Official Imprisoned

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश (CBI Court Lucknow) ने इलाहाबाद बैंक के अधिकारी समेत पांच लोगों को कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने सभी को बैंक को करोड़ों रुपये की चपत लगाने के मामले में दोषी पाया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 28, 2024, 11:00 PM IST

लखनऊ : साजिश के तहत बैंक को करोड़ों रुपये की चपत लगाने के आरोपी इलाहाबाद बैंक, कानपुर के तत्कालीन अधिकारी राधा रमन बाजपेयी, तत्कालीन विशेष सहायक गोपीनाथ टंडन समेत पांच लोगों को दोषी ठहराते हुए सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने सजा और जुर्माने से दंडित किया है. कोर्ट ने राधारमण बाजपेयी को सात साल की कठोर कैद और दो लाख रुपये जुर्माना, रिकेश कुमार शुक्ला को पांच साल की कठोर कैद और एक लाख पचास हजार का जुर्माना तथा गोपीनाथ टंडन, संजय सोमानी और दीपक सोमानी को तीन-तीन साल के कठोर कारावास व एक-एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है.

कोर्ट में सीबीआई की ओर से बताया कि सीबीआई ने 29 अप्रैल 1994 को मामला दर्ज किया था. रिपोर्ट में राधारमण बाजपेयी, गोपीनाथ टंडन, संजय सोमानी, रिकेश कुमार शुक्ला और दीपक सोमानी को आरोपी बनाया गया था. रिपोर्ट दर्ज कराते हुए आरोप लगाया गया था कि आरोपी संजय सोमानी ने अन्य के साथ षड्यंत्र रचा और धोखाधड़ी करके 27 मार्च 1992 से 16 जनवरी 1994 के बीच कानपुर के फीलखाना स्थित इलाहाबाद बैंक से 22 करोड़ 70 लाख प्राप्त किया और सारा पैसा हड़प लिया. सीबीआई ने विवेचना के बाद आरोपीयो के ख़िलाफ़ 29 मई 1998 को कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी.


यूको बैंक के अधिकारी को भी कारावास :एक अन्य मामले में दो साल के भीतर करेंसी चेस्ट में धन निकासी का गलत प्रेषण भेज कर करोड़ों रुपये हड़पने के आरोपी कानपुर के हेल्सी रोड स्थित यूको बैंक के तत्काली सहायक शाखा प्रबंधक केके मेहता और प्राइवेट व्यक्ति सुनील कुमार अग्रवाल को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने दंडित किया है. कोर्ट ने केके मेहता को पांच साल के कठोर कारावास और एक लाख 60 हजार रुपये के जुर्माने जबकि सुनील कुमार अग्रवाल को तीन साल की कैद और 20 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई है. कोर्ट में सीबीआई की ओर से कहा गया कि सीबीआई ने शिकायत मिलने पर 28 सितंबर 2005 को यूको बैंक हेल्सी रोड कानपुर के अधिकारियों और कर्मचारियों के ख़िलाफ मामला दर्ज किया था. बताया गया कि रिपोर्ट दर्ज कराकर आरोप लगाया गया था कि बैंक के कर्मचारियों और अधिकारियों ने अप्रैल 2003 से अप्रैल 2005 के बीच आर्मापुर स्थित करेंसी चेस्ट को धन निकासी के लिए गलत प्रेषण (रिमिटेंसेज़) दिखाए और इन दो सालो में कुल एक करोड़ 58 लाख रुपये गलत तरीके से प्राप्त करके गबन किया और बैंक को नुकसान पहुंचाया. सीबीआई ने मामला दर्ज करने के बाद विवेचना की और आरोपी तत्कालीन सहायक प्रबंधक केके मेहता समेत अन्य के ख़िलाफ 30 मार्च 2007 को कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी.


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