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वैक्यूम सक्शन मशीन की मदद से अब KGMU में बनेंगे प्लास्टिक के कृत्रिम अंग - KGMU VACUUM SUCTION MACHINE

MEDICAL COLLEGE FACILITY : मशीन से तैयार कृत्रिम अंगों के अंदर नहीं आएगी हवा जाने की समस्या.

लोगों को मिलेंगे बेहतर  कृत्रिम अंग.
लोगों को मिलेंगे बेहतर कृत्रिम अंग. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 6, 2024, 9:44 AM IST

लखनऊ : केजीएमयू में कृत्रिम अंग अब हल्के व सटीक बन सकेंगे. वैक्यूम सक्शन मशीन की मदद से अब प्लास्टिक के कृत्रिम अंग बनाए जाएंगे. ये पहले से भी ज्यादा सटीक होंगे. खास बात ये है कि ये कृत्रिम अंग वास्तविक अंग के बेहद करीब होंगे. इसका इस्तेमाल करने वालों को इनके कृत्रिम होने का अहसास भी नहीं होगा.

केजीएमयू में प्रोस्थेटिक ऑर्थोटिक विशेषज्ञ शगुन सिंह ने बताया कि अब तक जो कृत्रिम अंग लगाए जाते हैं, उनमें हल्की हवा जाने की शिकायत आती है. उन्हें सटीक बैठा पाना थोड़ा मुश्किल होता है. कृत्रिम हाथ या पैर लगवाने वालों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है. इसके लिए नई वैक्यूम सक्शन मशीन आ रही है.

इससे इन्हें लगाना और भी आसान हो जाएगा. आठ से 10 लाख रुपये कीमत की मशीन की मदद से कृत्रिम अंग बनाना और आसान हो जाएगा. कृत्रिम अंग कम समय में बनाए जा सकेंगे. ज्यादातर कृत्रिम अंग प्लास्टिक के बनाए जाएंगे. ये काफी हल्के होंगे.

शगुन सिंह ने बताया कि कृत्रिम अंग बनाने में दो तरह की प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है. थर्मोथेटिंग और पॉलीप्रोपलिन. इसमें पॉलीप्रोपलिन नई एडवांस मशीन से बनाए जाएंगे. अभी जो मोल्डिंग मशीन से बनाए जाते हैं, वह लैमिनेटेड ही होते हैं. नए कृत्रिम अंग से इसके भीतर हवा जाने की समस्या नहीं होगी.

वहीं दूसरी ओर केजीएमयू, डॉ. शकुन्तला मिश्रा नेशनल रिहैबिलिटेशन यूनिवर्सिटी व लोहिया संस्थान की ओर से मंगलवार को गोमतीनगर स्थित 1090 चौराहे से जागरूकता रैली निकाली गई. रैली 1090 चौराहे से अम्बेडकर पार्क चौराहे तक निकाली गई. इस दौरान लोगों को कृत्रिम अंग के प्रति जागरूक किया गया.

यह भी पढ़ें : यूपी के कई मेडिकल इंस्टीट्यूट को मिलेंगे सुपर स्पेशलिस्ट, केजीएमयू के एक्सपर्ट होंगे तैनात

लखनऊ : केजीएमयू में कृत्रिम अंग अब हल्के व सटीक बन सकेंगे. वैक्यूम सक्शन मशीन की मदद से अब प्लास्टिक के कृत्रिम अंग बनाए जाएंगे. ये पहले से भी ज्यादा सटीक होंगे. खास बात ये है कि ये कृत्रिम अंग वास्तविक अंग के बेहद करीब होंगे. इसका इस्तेमाल करने वालों को इनके कृत्रिम होने का अहसास भी नहीं होगा.

केजीएमयू में प्रोस्थेटिक ऑर्थोटिक विशेषज्ञ शगुन सिंह ने बताया कि अब तक जो कृत्रिम अंग लगाए जाते हैं, उनमें हल्की हवा जाने की शिकायत आती है. उन्हें सटीक बैठा पाना थोड़ा मुश्किल होता है. कृत्रिम हाथ या पैर लगवाने वालों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है. इसके लिए नई वैक्यूम सक्शन मशीन आ रही है.

इससे इन्हें लगाना और भी आसान हो जाएगा. आठ से 10 लाख रुपये कीमत की मशीन की मदद से कृत्रिम अंग बनाना और आसान हो जाएगा. कृत्रिम अंग कम समय में बनाए जा सकेंगे. ज्यादातर कृत्रिम अंग प्लास्टिक के बनाए जाएंगे. ये काफी हल्के होंगे.

शगुन सिंह ने बताया कि कृत्रिम अंग बनाने में दो तरह की प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है. थर्मोथेटिंग और पॉलीप्रोपलिन. इसमें पॉलीप्रोपलिन नई एडवांस मशीन से बनाए जाएंगे. अभी जो मोल्डिंग मशीन से बनाए जाते हैं, वह लैमिनेटेड ही होते हैं. नए कृत्रिम अंग से इसके भीतर हवा जाने की समस्या नहीं होगी.

वहीं दूसरी ओर केजीएमयू, डॉ. शकुन्तला मिश्रा नेशनल रिहैबिलिटेशन यूनिवर्सिटी व लोहिया संस्थान की ओर से मंगलवार को गोमतीनगर स्थित 1090 चौराहे से जागरूकता रैली निकाली गई. रैली 1090 चौराहे से अम्बेडकर पार्क चौराहे तक निकाली गई. इस दौरान लोगों को कृत्रिम अंग के प्रति जागरूक किया गया.

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