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खेत में उग रही सोने की टोपी, वेस्ट मटेरियल से कैप बनाकर मालामाल हो रही बुरहानपुर की अनुसुईया - UNIQUE CAP PRODUCTION BURHANPUR

मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में कचरे से बनी टोपी के अंग्रेज भी हुए दीवाने, ऑनलाइन बिक्री के लिए प्रशासन आया आगे.

cap from banana crop waste
वेस्ट मटेरियल से कैप बनाकर मालामाल हो रही बुरहानपुर की महिलाएं (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 9, 2024, 4:15 PM IST

बुरहानपुर : मध्यप्रदेश के खेतों से निकलने वाला कचरा भी सोने के समान है. दरअसल, खेतों से निकलने वाले वेस्ट मटेरियल से तरह-तरह के उत्पाद बन रहे हैं, जिनकी देशभर में खासी डिमांड है. इन्हीं उत्पादों से एक है बुरहानपुर की टोपी, जिसके न सिर्फ भारतीय दीवाने हैं बल्कि अब विदेशों में भी ऑनलाइन इसकी डिमांड बढ़ गई है. हाल ही में केला फसल के वेस्टेज से तैयार टोपियों को डिमांड के चलते बुरहानपुर से लंदन एक्सपोर्ट किया गया है.

केले की फसल कर रही मालामाल (Etv Bharat)

केले के वेस्ट से बन रहीं टोपी, प्रशासन भी आया आगे

दरअसल, जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर एकझिरा गांव की अनुसुईया चौहान ने केले के रेशों से टोपियां बनाई हैं. उनके द्वारा बनाई टोपी लंदन तक पहुंच चुकी हैं, यह टोपी देखने में बेहद स्टाइलिश हैं और इससे धूप से खासा बचाव होता है. अब जिला प्रशासन ने भी केले के रेशों से बनाए गए उत्पादों को बेचने के लिए बनाना क्रॉप वेबसाइट (banana crop website) लांच करने की तैयारियां शुरू कर दी है. इसकी पुष्टि खुद कलेक्टर भव्या मित्तल ने की है.

केले की फसल कर रही मालामाल

बता दें कि जिले में करीब 25 हजार हेक्टेयर रकबे में केला फसल उगाई जाती है, इससे न केवल मीठा फल उत्पन्न होता हैं, बल्कि इसके पौधे के रेशों से घरेलू उपयोग की वस्तुओं का भी निर्माण हो रहा है. इससे महिलाओं को काम मिला है, इस काम से महिलाओं को अच्छी आमदनी भी हो रही है. ये महिलाएं अब लखपति दीदियां कहला रही हैं.

खेत में उग रही सोने की टोपी (Etv Bharat)

विदेशों से आ रहे कैप के लिए ऑर्डर

जिला प्रशासन अनुसुईया और अन्य महिलाओं के लिए वेबसाइट बनाने जा रहा हो लेकिन इससे पहले ही महिलाओं के पास विदेश से ऑर्डर आने लगे हैं. एकझिरा गांव की अनुसुईया चौहान के पास लंदन से 10 टोपियों का ऑर्डर आया है. बताया गया कि इसके पहले भी केले के रेशों से निर्मित टोपी को लंदन में रह रहे एक शख्स ने खरीदा था. इसके बाद ही लंदन से 10 टोपियों का ऑर्डर मिला है. इस उपलब्धि के बाद जिला प्रशासन भी आगे आया है, जिससे केले से रेशों से बने उत्पादों व अन्य उत्पादों की बिक्री के लिए वेबसाइट बनाई जा रही है.

कलेक्टर ने कहा -

''स्व सहायता समूह की महिलाओं की अच्छी ट्रेनिंग दी गई है. सरकार की कई योजनाओं के जरिए भी ट्रेनिंग दी गई थी. वहीं इस ट्रेनिंग के बाद करीब एक साल से ये महिलाएं कुछ न कुछ हैंडीक्राफ्ट बना रही थीं. इनमें से कुछ महिलाओं ने बहुत अच्छे हैंडीक्राफ्ट बनाएं हैं. इनके खुद के भी कुछ लिंक्स है जिससे ये उन्हें मार्केट में बेच रही हैं. वहीं प्रशासन भी इन्हें बढ़ावा देने के लिए एक वेबसाइट ला रहा है.''

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