चंडीगढ़: इन दिनों ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसका इलाज भी काफी मंहगा है. कई बार तो समय पर इलाज न होने पर मरीज की मौत भी हो जाती है. वहीं, लंबे समय से ब्रेन स्ट्रोक से जूझ रहे मरीज या तो विकलांग हो जाते हैं य फिर उनकी जान चली जाती है.
क्या होता है ब्रेन स्ट्रोक: दरअसल ब्रेन स्ट्रोक को मस्तिष्क का दौरा भी कहा जाता है. जब ब्रेम में रक्त का प्रवाह अचानक रुक जाता है तो ब्रेन की कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं और वो मरने लगती हैं. ब्रेन स्ट्रोक का कारण कई हैं. जैसे रक्त वाहिका में थक्का जमना, मस्तिष्क में या उसके आस-पास की रक्त वाहिका फटना, धूम्रपान, शराब का सेवन करना, मोटापा, डायबिटीज, हार्ट की बीमारियां, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल का होना. इन कारणों से ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है. इसके लक्षणों में बोलने में दिक्कत होना, हाथ या पैर में कमजोरी होना, बोलने में दिक्कत होना, शरीर के एक तरफ लकवा होना. ये सभी इसके कारण हैं.
मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी से ब्रेन स्ट्रोक का इलाज: इस बारे में ईटीवी भारत ने पीजीआई चंडीगढ़ में प्रोफेसर रह चुके डॉ. प्रो. विवेक गुप्ता से बातचीत की. डॉ. प्रो. विवेक गुप्ता फिलहाल चंडीगढ़ फोर्टिस में अपनी सेवा दे रहे हैं. उन्होंने बताया, "ब्रेन स्ट्रोक का इलाज काफी कठिन और महंगा है. हालांकि एडवांस हेल्थ तकनीक जैसे मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी से इसका इलाज आसान हो गया है. ये ट्रिटमेंट अब चुनिंदा अस्पतालों में 24x7 उपलब्ध है. कुछ मामलों में मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी ने स्ट्रोक के 24 घंटे बाद भी गंभीर मरीजों की जान बचाने में मदद की है. "
मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी से किया गया बुजुर्ग महिला का इलाज: डॉ. विवेक गुप्ता ने कहा, "हाल ही में चंडीगढ़ की 80 साल की महिला का इलाज किया गया है. महिला को स्ट्रोक होने के 8 घंटे बाद हमारे पास लाया गया था. मरीज बोलने में असमर्थ थी, उसके बाएं हिस्से में लकवा था और वह आपातकालीन स्थिति में वेंटिलेटर पर थी. हमारे डॉक्टरों की टीम ने 80 वर्षीय महिला का इलाज किया. ऐसे में महिला के लिए मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी सर्जरी का इस्तेमाल करते हुए महिला को राहत पहुंचाई. इलाज के एक हफ्ते में ही महिला की सेहत में सुधार आया और वह अपने पैरों से चलकर घर वापस गई."