बेतिया:बिहार केबेतिया में शिक्षकों से भरी नाव पलट गई है. नाव पर लगभग 15 शिक्षक सवार थे. सभी गंडक नदी पार कर अपने स्कूल जा रहे थे. इसी क्रम में गंडक नदी में अचान नाव पलट गई. स्थानीय लोग और गोताखोंरों की मदद से सभी को नदी से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है.
बेतिया में नाव पलटीः घटना जिले के पूजहा श्रीनगर घाट की है. जानकारी के अनुसार तेज बहाव के कारण से अचानक नाव पलट गई. नाव पलटते ही चीख पुकार मच गयी. लोगों ने देखा तो हल्ला किया. फिर स्थानीय लोग और गोताखोर ने मिलकर सभी शिक्षक को बचाया. हालांकि इस दौरान कई शिक्षक-शिक्षिका की तबीतय बिगड़ गयी है. नदी का पानी पीने के कारण स्थिति खराब हो गयी है.
स्कूल जाने से इनकारः घटना में बाल-बाल बचे शिक्षक स्कूल जाने से इनकार कर दिया है. घटना के कई घंटे बाद भी स्थानीय अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे जिससे शिक्षकों में आक्रोश है. उनका कहना है कि दूसरे विद्यालय में तबादला कर दिया जाए. कहा कि रोज जान जोखिम में डालकर विद्यालय पढ़ाने जाना पड़ता है. शिक्षकों ने कहा कि आज बाल-बाल बच गए लेकिन आगे की कोई गारंटी नहीं है.
'आज बच गए लेकिन आगे क्या होगा?' शिक्षक मुन्ना कुमार ने जिला प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. कहा कि सरकार के द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार बाढ़ क्षेत्र में कोई काम नहीं किया जा रहा है. नाव से नदी पार कर हमें स्कूल जाना पड़ रहा है. आज बड़ा हादसा होने से बाल बाल बच गया. ऐसे में कभी भी हम लोगों के साथ अनहोनी हो सकती है. स्थानीय गोताखोरों के द्वारा हम लोगों को बचा लिया गया है.
"हमलोग कैसे बचे हैं, यह ऊपर वाला ही जानते होंगे. हमारे जिला पदाधिकारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी अपने उत्तरदायित्व को भूल चुके हैं. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया था डीएम अपने विवेक से फैसला ले सकते हैं. यह भी कहा गया था कि बाढ़ग्रस्त इलाके के शिक्षकों को लाइफ जैकेट दिया जाए. अलग से नाव की भी व्यवस्था करने के लिए कहा गया था लेकिन अधिकारी अभी तक कान में तेल डालकर सो रहे हैं." -मुन्ना कुमार, राजकीय मध्य विद्यालय, श्रीनगर
घटना के बाद नहीं चेत रहा प्रशासनः जानकारी के अनुसार जिस नाव से शिक्षक नदी पार कर रहे थे वह काफी छोटी है. नाव में 15 शिक्षक सवार थे. अचानक लहर उठने से नाव पलट गयी. बता दें कि शिक्षकों के साथ यह पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी नाव पलटने की घटना घट चुकी है. इसमें एक शिक्षक की मौत भी हो चुकी है. इसके बावजूद प्रशासन की ओर से लापरवाही बरती जार रही है.