अखिलेश यादव के लिए भाजपा का दावा.
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कन्नौज से नामांकन कर दिया है. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी ने सपा अध्यक्ष को घेरने का प्रयास कर रही है. भाजपा का कहना है कि अखिलेश यादव चुनाव बाद यूपी में रुकेंगे या दिल्ली जाएंगे. बीजेपी का कहना है कि कन्फ्यूजन में अखिलेश यादव लगातार सीट बदल रहे हैं. इसी स्थिति को अखिलेश की कन्फ्यूजन साबित करने का एजेंडा यूपी बीजेपी चलाने का मन बना चुकी है. हालांकि बीजेपी प्रवक्ताओं का दावा है कि अखिलेश यादव चुनाव हारने के बाद नेता प्रतिपक्ष बनकर यूपी में ही रहेंगे.
अखिलेश यादव की सियासी पारी:अखिलेश यादव ने सबसे पहले 2009 में कन्नौज से लोकसभा चुनाव जीता था. 2012 में अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो लोकसभा सीट छोड़कर एमएलसी पद जॉइन किया. इसके बाद कन्नौज में हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी डिंपल यादव मैदान में उतरीं. डिंपल ने यह चुनाव निर्विरोध जीत लिया. 2017 की विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने चुनाव नहीं लड़ा था, मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ से उम्मीदवार बने थे.
आजमगढ़ से उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के दिनेश लाल यादव निरहुआ को हराया था. 2022 के विधानसभा चुनाव में करहल विधानसभा सीट जीती और नेता प्रतिपक्ष बने. अब 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर अखिलेश यादव ने लोकसभा सीट कन्नौज से नामांकन किया है.
अखिलेश के खिलाफ भाजापा की रणनीति :अखिलेश यादव के लोक सभा चुनाव लड़ने को लेकर भारतीय जनता पार्टी बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है. भाजपा अखिलेश के ऊपर कंफ्यूजन का ठप्पा लगाएगी. इसमें प्रमुख रूप से दो मुद्दे हैं. समाजवादी पार्टी में टिकट बंटवारे में लगातार फेरबदल के बाद अखिलेश यादव के चुनाव में उतरने से सियासी गर्माहट बढ़ गई है. भारतीय जनता पार्टी इसे अपने लिए काफी सकारात्मक ले रही है. कन्नौज में वर्तमान सांसद सुब्रत पाठक की जीत के लिए भाजपा ने अपने मोहरे बिछाने शुरू कर दिए हैं.
अखिलेश को घबराने की जरूरत नहीं !भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने बताया कि अखिलेश यादव पूरी तरह से कंफ्यूज हो चुके हैं. इस वजह से समाजवादी पार्टी का पूरा चुनाव अभियान ही फंस गया है. अखिलेश यादव को घबराने की बिलकुल जरूरत नहीं है. उन्हें दिल्ली या लखनऊ में से चुनाव नहीं करना होगा. कन्नौज से चुनाव हारकर वे नेता प्रतिपक्ष बने रहेंगे. बता दें, समाजवादी पार्टी ने लगभग एक दर्जन टिकट में बदलाव किया है. अनेक स्थानों पर टिकट बदलाव को लेकर समाजवादी पार्टी की काफी किरकिरी हो चुकी है. यहां तक की परिवार की टिकट में भी बदलाव होने के बाद इसको लेकर बहुत ज्यादा चर्चा हो रही है.
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